करनाल में किसान और हरियाणा सरकार आमने-सामने, इंटरनेट बंद

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हरियाणा के करनाल शहर में किसान और सरकार आमने-सामने आ गए हैं। किसान कल यानी 7 सितम्बर को करनाल लघु सचिवालय का घेराव करेंगे। किसान सुबह 10 बजे किसान मंडी करनाल में जमा होंगे और उसके बाद लघु सचिवालय कूच करेंगे। खबर है कि पंजाब से किसानों के जत्थे करनाल रवाना हो चुके हैं, ताकि वे करनाल अनाज मंडी की पंचायत में हिस्सा ले सकें। दरअसल, करनाल में 28 अगस्त को पुलिस लाठी चार्ज में एक किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। घरौंडा के एसडीएम ने पुलिस वालों को किसानों के सिर फोड़ने का आदेश दिया था। किसान की मौत के बाद एसडीएम पर कार्रवाई के लिए किसान नेताओं ने हरियाणा सरकार को 6 सितम्बर तक का समय दिया था। वह समय सीमा आज पूरी हो गई। सरकार किसानों से टकराव के मूड में लग रही है। इसीलिए आज करनाल में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं मंगलवार आधी रात तक बंद कर दी गई हैं। धारा 144 भी लगा दी गई है। सरकार ने यहां रैलियों पर रोक लगा दी है।

खट्टर सरकार कर रही गलतियां

मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत की कामयाबी से किसान नेताओं के हौसले बुलंद हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी मुजफ्फरनगर से लौटने के बाद आज अन्य किसान नेताओं के साथ जाकर जिलाधिकारी (हरियाणा में डीसी) से मुलाकात की और घरौंडा के एसडीएम को बर्खास्त किए जाने समेत किसानों की कई मांगों के रुख के बारे में जिलाधिकारी से बात की। जिलाधिकारी ने किसान नेताओं से कहा कि एसडीएम पर कार्रवाई उनके हाथ में नहीं है। इस पर किसान नेताओं ने डीसी को बताया कि वे लोग कल लघु सचिवालय का घेराव करेंगे। इस पर डीसी ने चढ़ूनी और अन्य नेताओं से कहा कि धारा 144 लागू है। जिला प्रशासन किसी को न रैली करने देगा और न ही कहीं जमा होने देगा। इस पर दोनों पक्षों में बातचीत टूट गई। डीसी दफ्तर से बाहर निकलकर चढ़ूनी ने आंदोलन की घोषणा कर दी।

हरियाणा सरकार इस मामले में शुरू से गलतियां कर रही है। हरियाणा भाजपा ने 28 अगस्त को अपना कार्यक्रम करनाल में रखा। करनाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विधानसभा क्षेत्र है। भारतीय किसान यूनियन के चढ़ूनी गुट ने शुरू से ही मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को किसी कार्यक्रम में घुसने न देने की घोषणा पहले से ही कर रखी थी। जब किसान नेताओं को 28 अगस्त के कार्यक्रम की सूचना मिली तो उन्होंने घरौंडा में बसताड़ा पर शांतिपूर्ण धरना देने की घोषणा कर दी। इसी दौरान घरौंडा के एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो पुलिस वालों को किसानों का सिर फोड़ने का सीधा आदेश देते दिख रहे हैं। इस घटनाक्रम से बेखबर किसान जब बसताड़ा टोल पर शांतिपूर्वक बैठे हुए थे तो वहां पहुंचा पुलिस वालों का एक विशेष जत्था किसानों पर टूट पड़ा और उन्हें वहां से हटाने लगा। इस दौरान उसने निहत्थे किसानों पर बर्बर लाठी चार्ज किया। इसी दौरान किसान सुशील काजल को गंभीर चोट आईं और अगले दिन उनकी मौत हो गई।

इस प्रकरण में बयान देकर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने लीपापोती की। मुख्यमंत्री खट्टर ने इसे एसडीएम की मामूली गलती बताया और लाठी चार्ज को सही करार दिया। इसके बाद भाजपा के तमाम नेता, सांसद और मंत्री किसानों के खिलाफ गलत तरह की बयानबाजी करने लगे। लेकिन हरियाणा में जब जनदबाव बढ़ा तो सरकार ने एसडीएम को वहां से हटाकर उसे अंडर सेक्रेटरी बना दिया। यानी एक तरह से उसका प्रमोशन ही कर दिया। इससे किसान और भड़क उठे। किसान नेता चढ़ूनी ने हरियाणा सरकार को एक हफ्ते का समय एसडीएम पर कार्रवाई करने के लिए दिया साथ ही सुशील काजल के परिवार को मुआवजा देने की मांग की।

मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत में भी तमाम किसान नेताओं ने रविवार को चेतावनी दी थी कि अगर सुशील काजल की मौत के जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई तो हरियाणा के किसान 7 सितम्बर को लघु सचिवालय घेरेंगे। आज पूरा दिन बीत गया लेकिन हरियाणा सरकार ने किसानों की मांग पूरी करने की बजाय इंटरनेट बंद कर, धारा 144 लगाकर अपनी मंशा जता दी।

क्या होगा करनाल में?

किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने करनाल और आस पास के किसान जत्थेबंदियों को कल करनाल पहुंचने का निर्देश दिया है। मीडिया से उन्होंने कहा कि हम कल लघु सचिवालय घेरेंगे। इसके बाद वे अज्ञात स्थान के लिए रवाना हो गए। लेकिन पुलिस और सीआईडी की गाड़ियां उनका पीछा कर रही हैं। आशंका है कि चढ़ूनी को देर रात गिरफ्तार किया जा सकता है। अभी तक हरियाणा सरकार ने किसी भी मामले में चढ़ूनी को गिरफ्तार नहीं किया है। जिला प्रशासन को सख्त निर्देश है कि किसी भी हालत में किसानों का 7 सितम्बर का आंदोलन सफल नहीं होना चाहिए।

करनाल के एसपी गंगाराम पुनिया ने कहा है कि हम कानून व्यवस्था भंग करने वालों से सख्ती से निपटेंगे। हमने वॉटर कैनन और ड्रोन आदि का इंतजाम कर लिया है। सुरक्षाबलों की 40 कंपनियां तैनात की गई हैं। इसमें 10 सीएपीएफ की शामिल हैं। 25 डीएसपी और 5 एसपी भी तैनात किए गए हैं। एसपी के बयान से सरकार के इरादों का पता चलता है।

बहरहाल, हरियाणा सरकार किसानों का विरोध रोक नहीं पा रही है। रेवाड़ी में कल जब संयुक्त किसान मोर्चा को जैसे ही पता लगा कि मुख्यमंत्री खट्टर रेवाड़ी आ रहे हैं तो तमाम किसान काले झंडे लेकर खट्टर का विरोध करने रेवाड़ी की सड़कों पर निकल पड़े। कोई दिन ऐसा नहीं जा रहा है जब किसान हरियाणा में कहीं न कहीं राज्य के मंत्रियों और नेताओं का विरोध न कर रहे हों। हरियाणा सरकार के मंत्री शहरों में नजर आते हैं लेकिन वे गांवों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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