स्पेशल रिपोर्ट: बनारस की गंगा नदी में बाढ़ से डूबी सैकड़ों बीघे की फसल, सुरक्षित स्थानों को जा रहे लोग

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 वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पिछले कई दिनों से गंगा उफान पर हैं। गंगा चेतावनी बिंदु के पास बाह रही है। पहले से सूखे की मार झेल रहे बनारस में गंगा नदी पूरे वेग से बह रही है। रिहायशी इलाकों में पानी भरना शुरू हो गया है। इससे लोग गृहस्थी के सामान सहित मकान के ऊपरी तल या परिचितों-रिश्तेदारों के यहां जाने लगे हैं। वहीं, गंगा नदी तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का पानी भरने से सैकड़ों बीघे की फसल जलमग्न हो गई है। 

बाढ़ के पानी में धान, मक्का, अरहर, सब्जी, चरी-बाजरा समेत हरे चारे की फसलों के डूबने का सिलसिला जारी है। किसानों का कहना है कि अकाल-सूखे जैसे हालत में आर्थिक बोझ उठाते हुए फसलें बोई गई थीं। लगता है अब बाढ़ भी कहीं का नहीं छोड़ने वाली है। वाराणसी जनपद के गंगा किनारे स्थित चिरईगांव, ढाब सोता, रामपुर सोता, सरैया, सुजाबाद, डोमरी, ढेलवरिया, सामने घाट, राजघाट समेत तीन दर्जन इलाकों में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। जबकि, पहले से ही 85 से अधिक घाटों का संपर्क टूट गया है। वर्तमान समय में गंगा का जलस्तर 69.77  मीटर पर बना हुआ है।     

हजारों लोगों का रोजगार प्रभावित 

गंगा में आई बाढ़ ने एक नई मुश्किल खड़ा कर दिया है। बाढ़ की वजह से घाटों के किनारे के 1500 से ज्यादा नाव संचालकों का काम ठप्प है। वहीं, 2000 से ज्यादा कई प्रकार के दुकानदारों के कारोबार ने शट डाउन ले लिया है। खिलौने, वस्त्र, माला-फूल, सामग्री, नाई और टूरिस्ट गाइड का काम भी बंद है। शवों के अंतिम संस्कार कहीं गली में तो कहीं छत पर किए जा रहे हैं। बाढ़ की स्थिति को लेकर व्यापारी, नागरिक आदि चिंतित हो उठे हैं।

वरुणा में उफान से 1500 लोगों के घरों में भरा पानी

गंगा में आई बाढ़ के कारण वरुणा नदी में भी पानी बढ़ रहा है। 1500 से ज्यादा घर बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। यहां की 10 हजार से ज्यादा की आबादी प्रभावित है। लोग अपना घर छोड़ कर सुरक्षित ठिकानों और राहत शिविरों की ओर बढ़ने लगे हैं। जिला प्रशासन के अनुसार, शनिवार और रविवार को नक्खी घाट, सरैयां और दानियालपुर सहित इसके इर्द-गिर्द इलाके के 39 परिवारों को रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

रिहायशी इलाके में भरा बाढ़ का पानी।

स्मार्ट व्यवस्था से टकराने वाला है गंगा का पानी 

वाराणसी में अस्सी, राजघाट, खिड़किया घाट, दशाश्वमेध समेत सभी घाट डूब चुके हैं। दशाश्वमेध घाट पर सड़क के बीच अब सिर्फ दो सीढ़ियों का फासला रह गया है। जबकि गंगा से सटे निचले इलाकों में पानी नालों के जरिए आगे बढ़ने लगा है। गंगा में बढ़ाव के चलते उसकी सहायक नदी वरुणा में पलट प्रवाह तेज हो गया जिसके कारण तटवर्ती इलाकों की आबादी का पलायन लगातार जारी है। साथ ही कई परिवार गृहस्थी के सामान सहित मकान के ऊपरी तल पर खुद को सुरक्षित करने की जुगत में लगे रहे। पानी निचले इलाकों के रास्तों और घरों में प्रवेश करने लगा है।

डोमरी क्षेत्र में उफनाई गंगा में बनता भंवर।

शहर में घुसने लगा पानी 

सामनेघाट स्थित ज्ञान प्रवाह नाले से पानी घुसने के बाद मारुती नगर कॉलोनी के अंतिम छोर पर पानी फैलने लगा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि इसी तरह से पानी बढ़ता रहेगा तो सोमवार तक मारुती नगर, काशी पुरम, गायत्री नगर में नाले के आस-पास बने घरों में पानी से घिर जाएगा। कालोनी की तरफ पानी के बढ़ते रुख को देखकर लोगों की चिंता बढ़ने लगी है। वरुणा और गंगा तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने से राजस्व विभाग की दो चौकियों पर स्वास्थ्य विभाग की टीम लगा दी गई है। यहां 10 घरों से लोगों ने पलायन कर कैंप में प्रवेश ले लिया है। एसीएमओ डा. पीयूष राय ने बताया कि वायरल बुखार से लोगों को बचाने के लिए सरैया और ढेलवरिया में दो बाढ़ चौकियां लगा दी गई हैं। प्रत्येक कैंप में एक डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है। जैसे-जैसे राजस्व विभाग के कैंप लगते जाएंगे, वैसे ही स्वास्थ्य विभाग के कैंप का भी विस्तार किया जाएगा।

अच्छी बात यह है कि लोकल लेवल पर बारिश नहीं है : डीएम 

वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने शनिवार को बाढ़ का जायजा लिया और कहा कि रैनबसेरों की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था के साथ ही बाढ़ राहत शिविरों में संबंधित तहसील के कर्मियों और अन्य संबंधित विभाग के कर्मचारियों को ड्यूटी पर तैनात रहने का निर्देश दिया गया है। यदि गंगा के जल स्तर के बढ़ने की रफ्तार इसी तरह से बनी रहती है तो कल शाम तक वह चेतावनी स्तर पर पहुंच जाएगा।

बाढ़ के पानी में डूबा रमना एसटीपी।

गंगा घाटों के किनारे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वालों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है। जल पुलिस को निगरानी के लिए लगाया गया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से संबंधित थानों की पुलिस को पेट्रोलिंग करने का निर्देश दिया गया है। अभी फिलहाल खतरे जैसी कोई स्थिति नहीं है। अच्छी बात यह है कि लोकल लेवल पर बारिश नहीं है और जिले में कहीं भी जलभराव की स्थिति भी नहीं है।

बाढ़ के पानी में डूबा खिड़किया घाट।

जिले को सूखा घोषित करने की मांग 

जन अधिकार पार्टी के युवा मंडल सचिव बबलू मौर्य कहते हैं कि मानसून ने इस बार पूरी तरह से निराश किया है। ऐसा लगता है सावन के बाद भादो भी दगा दे जाएगा। कम बारिश होने से करीब 30 हजार से अधिक हेक्टेयर खेत परती रह गए हैं। धान की बुआई नहीं होने से किसान अब चरी-बाजरा और अन्य वैकल्पिक फसल बोन में जुटे हैं। इस दौरान भी बीजों को उगने के लिए नमी की आवश्यकता है। लिहाजा, किसान कई मुश्किलों में घिर चुके हैं। सत्ता और जिला प्रशासन वाराणसी जनपद को सूखा घोषित कर किसानों को आर्थित मुआवजा दे। साथ ही कृषि ऋण का पूरा ब्याज और बिजली बिल माफ़ करे। 

जिलाधिकारी ने एनडीआरएफ के जवानों के साथ गंगा में पेट्रोलिंग कर लिया जायजा।

बनारस में बीते सप्ताह में साढ़े 6 मीटर तक बढ़ा गंगा का जलस्तर

रविवार- 69. 77 

शनिवार – 69.30 मीटर

शुक्रवार – 68.44 मीटर

गुरुवार – 67.54 मीटर

बुधवार – 64.78 मीटर

मंगलवार – 64.06 मीटर

सोमवार – 63.44 मीटर

रविवार – 63.32 मीटर

शनिवार – 63.27 मीटर

(वाराणसी से पीके मौर्य की रिपोर्ट।)

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