Tuesday, March 19, 2024

अर्थव्यवस्था का रसातलीकरण जारी! जीडीपी -7.3 फीसद पर पहुंची

पिछले सात साल के मोदी सरकार के गुड गवर्नेंस के सातवें साल में देश ने इतनी तरक्की की कि जीडीपी माइनस सात दशमलव तीन फीसद पर पहुंच गयी है। पिछले 40 साल में अर्थव्यवस्था सबसे खराब दौर से गुजर रही है। फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ -7.3 फीसद (माइनस सात दशमलव तीन) रही है। 2019-20 में यह 4.2 फीसद थी। मोदी सरकार के आने के बाद वर्ष 2016-17 से अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है। 2019- 20 में जीडीपी की ग्रोथ रेट 4.2 फीसद थी। यह 11 साल में सबसे कम ग्रोथ रही थी। इससे पहले 2018-19 में यह 6.12 फीसद, 2017-18 में 7.04 फीसद और 2016-17 में यह 8.26 फीसद रही थी। इस गिरावट की अहम वजहें 2016, नवंबर में नोटबंदी और फिर 2017, जुलाई से जीएसटी लागू होना था।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संकट के कारण साल 2020-21 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में 7.3 फीसदी का संकुचन हुआ है, जिसमें पिछले वित्त वर्ष में चार फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज हुई थी। देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है।

गिरावट की दृष्टि से देखा जाए तो पिछले 40 साल में अर्थव्यवस्था का यह सबसे खराब दौर है। इससे पहले 1979-80 में ग्रोथ रेट -5.2 फीसद दर्ज की गई थी। इसकी वजह तब पड़ा सूखा था। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतें भी दोगुना बढ़ गई थीं। उस समय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में थी, जो 33 महीने बाद गिर गई। वैसे कोरोना की दूसरी लहर का असर इस चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच दिखेगा, क्योंकि दोबारा लॉकडाउन मार्च के आखिर और अप्रैल में राज्यों ने लगाया है।

जनवरी से मार्च के दौरान यानी चौथी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 1.6% रही है। वित्त वर्ष 2020-21 में 4 तिमाहियों में पहली दो तिमाही में जीडीपी में गिरावट रही, जबकि आखिरी दो तिमाही में इसमें बढ़त देखी गई। यह लगातार दूसरी तिमाही है जिसमें कोरोना के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था बढ़ती नजर आई है। जीवीए में पूरे साल के दौरान 6.2 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

चौथी तिमाही में इकोनॉमी के साइज का अनुमान 38.96 लाख करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले इसी समय में यह 38.33 लाख करोड़ रुपए थी। सालाना आधार पर इसका अनुमान 135.13 लाख करोड़ रुपए लगाया गया है, जबकि एक साल पहले यह 145.6 लाख करोड़ रुपए थी। चौथी तिमाही में जीडीपी में कृषि की ग्रोथ 4.3 फीसद रही है। एक साल पहले इसी समय में यह 4.3 फीसद थी। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में चौथी तिमाही में 14.5 फीसद की ग्रोथ रही है। इलेक्ट्रिसिटी, पानी, गैस और अन्य युटिलिटीज की ग्रोथ रेट 9.1 फीसद रही है। एक साल पहले यह 7.3 फीसद थी।

फरवरी में दूसरी बार एडवांस अनुमान जो सरकार ने जारी किया था उसमें यह कहा था कि अर्थव्यवस्था में 8 फीसद की सालाना गिरावट आ सकती है। हालांकि उस अनुमान की तुलना में कम गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2019-20 में 4 फीसद की बढ़त देखी गई थी।

दूसरी ओर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान से कम रहा। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को फिस्कल डेफिसिट का डाटा जारी किया। इसके तहत राजकोषीय घाटा 18,21,461 करोड़ रुपए है। यह देश की जीडीपी का 9.3 फीसद है, जो वित्त मंत्रालय के अनुमानित 9.5 फीसद से कम है।

फाइनेंशियल ईयर 2019-20 के दौरान फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 4.6 फीसद रहा था। 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के रेवेन्यू-खर्च के आंकड़ों को जारी करते हुए लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने फाइनेंशियल इयर के अंत में राजस्व घाटा (रेवेन्यू डेफिसिट) 7.42 फीसद रहा।

दरअसल जनवरी और फरवरी में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खुल गई थी। लॉकडाउन राज्यों से हट गया था। इसलिए इस दौरान इसमें बढ़त देखी जा सकती है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जनवरी, फरवरी, मार्च में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का कलेक्शन भी अच्छा रहा है जो 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर था। अक्टूबर-दिसंबर 2020 तिमाही में 0.4 फीसद रही थी। उस समय यह अनुमान लगाया गया था कि कारोबारी साल 2020-21 यानी अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच में देश की जीडीपी में 8 फीसद की गिरावट रह सकती है।

तीसरी तिमाही में विकास दर्ज करने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था तकनीकी मंदी से बाहर आ गई थी। इससे पहले लगातार दो तिमाही में जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई थी। महामारी से लगे झटकों के कारण पहली तिमाही यानी, अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसद गिरावट दर्ज की गई थी। इसके बाद दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर में भी जीडीपी में 7.5 फीसद गिरावट दर्ज की गई थी।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं। जीडीपी किसी देश के आर्थिक विकास का सबसे बड़ा पैमाना है। अधिक जीडीपी का मतलब है कि देश की आर्थिक बढ़ोतरी हो रही है, अर्थव्यवस्था ज्यादा रोजगार पैदा कर रही है। इससे यह भी पता चलता है कि कौन से सेक्टर में विकास हो रहा है और कौन सा सेक्टर आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है।

ग्रॉस वैल्यू ऐडेड यानी जीवीए, साधारण शब्दों में कहा जाए तो जीवीए  से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने इस साल जनवरी में जारी अपने पहले अग्रिम अनुमानों के आधार पर कहा था कि 2020-21 के दौरान जीडीपी में 7.7 फीसद गिरावट रहेगी। एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में 2020-21 के दौरान 7.3 फीसद का संकुचन हुआ है, जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष में चार फीसद की दर से बढ़ी थी।

गौरतलब है कि पिछले साल मार्च में जब कोरोना महामारी की पहली लहर आई थी तो उसने देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया था। देश मंदी के दौर में चला गया था। लगातार दो तिमाही- अप्रैल से जून और जुलाई से सितंबर में भारत की जीडीपी में नेगेटिव ग्रोथ दर्ज हुई थी। जून की तिमाही में तो जीडीपी करीब 24 फीसद के ऐतिहासिक गिरावट बिंदु तक पहुंच गई।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles