Saturday, April 27, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

पहलवानों के मुद्दे पर मोदी की चुप्पी से हरियाणा भाजपा में बेचैनी

नई दिल्ली। महिला पहलवानों की बर्बर तरीके से गिरफ्तारी और जंतर-मंतर पर धरना देने की अनुमति न देने के बाद मोदी सरकार ने मान लिया था कि अब पहलवानों का आंदोलन समाप्त हो गया। लेकिन पहलवान पुलिसिया उत्पीड़न के बाद और मजबूती के साथ सामने आ रहे हैं। पहलवानों के संघर्ष को देखते हुए हरियाणा के कई भाजपा नेताओं ने अब खुले तौर पर पहलवानों का समर्थन किया है और सरकार को चेताया है कि यदि पहलवानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। राज्य के कई नेताओं को पहलवानों के संघर्ष में अपनी चुनावी हार का संकेत दिख रहा है। ऐसे में अब तक कई नेता पहलवानों के समर्थन में बयान दे चुके हैं। हरियाणा भाजपा के कुछ नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर पहलवानों के पक्ष में बयान देकर मोदी सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

रविवार को पहलवानों के साथ बर्बर पुलिसिया कार्रवाई की गूंज अब दुनिया भर में सुनी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संघ ने एक बयान देकर मामले को और गरमा दिया है। पहलवानों ने कहा है कि उनका आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, आरोपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी तक आंदोलन चलता रहेगा।

दरअसल, इस मामले में भाजपा को कोई बहाना नहीं मिल रहा है। दरअसल, यौन शोषण का आरोप लगाने वाली सभी महिला पहलवान हरियाणा की हैं। हरियाणा में भाजपा की सरकार है, केंद्र में भाजपा की सरकार, खेल मंत्री भाजपा का और आरोपी, भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष भी भाजपा का है। ऐसे में भाजपा चाहकर भी इस मामले से भाग नहीं पा रही है। ऐसे में वह इस मुद्दे को ही नजरंदाज कर रही है। सरकार के इस रवैए ने हरियाणा के जाट समुदाय के भाजपा नेताओं के समक्ष संकट खड़ा कर दिया है। उनके सामने संकट यह है कि चुप रहे तो पहलवान और उनके समर्थक नाराज, बोलें तो पार्टी नाराज। जाट नेताओं के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाईं है। लेकिन पार्टी की नाराजगी की परवाह किए बिना अब कई विधायक सांसद पहलवानों के पक्ष में आ गए हैं।

पहलवानों के अपने पदक गंगा में विसर्जित करने के लिए उत्तराखंड के हरिद्वार जाने पर भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा मैं अपने पहलवानों के दर्द और लाचारी को महसूस करता हूं। पहलवानों को सड़कों पर विरोध करते देखना निराशाजनक है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने एथलीटों को किसी भी तरह के अन्याय से बचाएं।

बृजेंद्र सिंह के बयान में हरियाणा भाजपा के भीतर की बेचैनी को दर्शाती है। पहलवानों का विरोध लगातार बढ़ रहा है और गति पकड़ रहा है और केंद्र सरकार अभी तक खामोश है। राज्य के नेता लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर सशंकित हो गए हैं। हालांकि राज्य के अधिकांश नेता विरोध से दूर रहे हैं, केवल कुछ बयान दे रहे हैं, लेकिन अब कुछ पहलवानों के संघर्ष का खुल कर समर्थन करने लगे हैं।

साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बजरंग पुनिया-चार महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे सभी तीन पहलवान हरियाणा के मूल निवासी हैं। मलिक रोहतक के मोखरा गांव, विनेश चरखी दादरी और पुनिया झज्जर के खुदन गांव के रहने वाले हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के जनसंवाद कार्यक्रमों में विरोध और व्यवधानों का सामना करने से भाजपा पहले से ही घबराई हुई है। कुछ मौकों पर खट्टर अपना आपा भी खो बैठे।

पहलवानों को राज्य के मजबूत किसान संघों का पूरा समर्थन मिला है, जो भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध की बात कर रहे हैं।

इस बीच, पहलवानों के विरोध में एक सुनहरा अवसर मानकर कांग्रेस पहलवानों के पीछे मजबूती से खड़ी है। ज्यादातर पहलवान जाट समुदाय के हैं और जाटों में कांग्रेस का मजबूत जनाधार है। पहलवानों को इनेलो और आम आदमी पार्टी का भी समर्थन मिल रहा है।

लेकिन पहलवानों के समर्थन की इन बढ़ती आवाजों और बृजभूषण पर लगे गंभीर आरोपों के बावजूद हरियाणा बीजेपी नेतृत्व ने अब तक आंख मूंदे है। राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तो यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया कि यह मामला हरियाणा का नहीं… खिलाड़ियों की टीमों और केंद्र सरकार का है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया है … एक जांच का पालन किया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने इस मुद्दे को उठाया था और उनसे कहा था कि इससे पार्टी की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचेगा। सिंह ने कहा, “मैं अपने पार्टी प्रमुख से दो बार मिला। दोनों बार मैंने उनसे कहा कि पार्टी को इसे एक राज्य के पहलवानों से जुड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। यह गंभीर चिंता का विषय है और पार्टी की साख दांव पर है। मैंने उनसे (नड्डा) से हस्तक्षेप करने, खेल मंत्रालय से बात करने या जो भी जल्द से जल्द इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल कर सकता है, से अनुरोध किया। मैंने कहा कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, इसलिए हमें इस पर काम करना चाहिए।”

“मैंने पार्टी अध्यक्ष से यह भी कहा कि भले ही यह माना जाए कि वे (पहलवान) किसी राजनीतिक दल के इशारे पर काम कर रहे हैं या किसी के द्वारा उकसाया गया है, उनकी आवाज़ सुनी जानी चाहिए। वे एक ऐसा मुद्दा उठा रहे हैं जिसका समाधान किया जाना चाहिए।”

उन्होंने खेल संघों के नियंत्रण को लेकर भी सवाल उठाए। “समस्या राजनेताओं, विशेष रूप से सत्ता में रहने वालों के साथ-साथ उद्योगपतियों और ऐसे संघों को चलाने वाले नौकरशाहों के साथ है। सरकार को खेल संघों को चलाने के तरीके में सुधार करना चाहिए।”

पहलवानों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि उन्होंने इसे केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने उठाया था। उन्होंने कहा, “मैंने इस बात पर जोर दिया कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने वाली हमारी बेटियां हैं और उन्हें न्याय मिलना चाहिए। मंत्री ने कहा कि उन्हें निश्चित रूप से न्याय मिलेगा।”

बीजेपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि यह मामला हरियाणा से संबंधित नहीं है। लेकिन, मुद्दा यह है… भाजपा कैडर आधारित पार्टी है और सीएम इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं बोल सकते हैं।”

एक अन्य बीजेपी नेता ने स्वीकार किया कि इस मामले पर पार्टी की चुप्पी का उलटा असर हो सकता है। कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनसे ऊपर पार्टी की नीतियों से निपटने की जरूरत है। न केवल अपने मन की बात कहने का साहस होना चाहिए, बल्कि जमीनी हकीकत को सुनने और समझने का भी साहस होना चाहिए। विरोध के पीछे कारण जो भी हो, तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने में देरी से जमीनी धारणा बदल जाएगी।

(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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