संघ भाजपा के सामने नतमस्तक 

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जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी जी के अहंकार के आगे संघ को झुकना होगा। लगभग वैसा ही हुआ। जेपी नड्डा द्वारा कही बात अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं को पारिवारिक मामला कहकर जिस तरह सुलटाया गया। वह इस बात का द्योतक है कि संघ की हालत बहुत पतली है और वह भाजपा शरणम् गच्छामि की नीति पर चल रहा है। इसकी दूसरी वजह संघ के शताब्दी समारोह का विजयादशमी 2025 का आयोजन भी है जो बिना भाजपा के सहयोग से संभव नहीं है। भाजपा अध्यक्ष भी संभवतः मोदी शाह की मर्जी का ही होगा।

विदित हो संघ की समन्वय बैठक जो केरल के पलक्कड़ में तीन दिन चली। इसकी वजह केरल जैसे वामपंथी राज में संघ की 7500 के लगभग शाखाओं का होना और एक सीट भाजपा को मिलना था। संघ इसे बड़ी उपलब्धि के बतौर देख रहा है वह त्रिपुरा राज्य की तरह केरल को भी भाजपामय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस बैठक में राहुल गांधी की जाति जनगणना का जोर रहा। इसके लिए संघ प्रमुख ने हिंदुत्व पर पुनः जोर देने की बात कही। क्योंकि भाजपा अच्छी तरह जानती है जब जब वोटर जातियों में बटा है उसने हिंदुत्व को ठेंगा दिखाया है। इंडिया गठबंधन और प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी का यह कहना कि हर हाल में जातिगत जनगणना करवाएंगे और सबकी भागीदारी सुनिश्चित होगी इतना कारगर है कि संघ भाजपा के पसीने छूटे हुए हैं। हिंदुत्व वाला उनका घिसा-पिटा पैंतरा बुरी तरह पिट चुका है।

संघ प्रमुख ने शीघ्र ही योगी आदित्यनाथ से मिलने की जानकारी दी है। विदित हो कथित आतंक के विरुद्ध बुलडोजर क्रांति के जनक के रुप में संघ के वे चहेते हैं किन्तु उनके प्रदेश में भाजपा की जो दुर्गति हुई है उसे यथावत कायम करने की कोशिश में वे उनसे मिलेंगे। उत्तर प्रदेश में बनारस से जहां दस लाख से जीतने का दावा कर रहे मोदीजी बमुश्किल जीत पाए। अयोध्या हाथ से खिसक गई। दोनों जगह के बदतर निर्माण कार्य की पोल ने सारी कलई उतार दी। योगी पूरी तरह फेल हो गए। इसलिए मोदी-शाह उनसे ख़फ़ा हैं ये रिश्ते शायद ही सुधरें।

संघ शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन-सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, राष्ट्रीय स्वत्व और नागरिक कर्तव्य के आधार पर एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक परिवर्तन की योजना बना रहा है। संघ शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन के तहत सामाजिक समरसता देशव्यापी परिवर्तन के लिए अभियान चलायेगा। यह कोई नई बात नहीं है सौ साल से लगभग यही चल रहा है समरसता का कहर अल्पसंख्यक यहां बुरी तरह झेल रहे हैं।

आरएसएस की समन्वय बैठक में कोलकाता कांड की निंदा की गई। कोलकाता जैसी घटना की जांच और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए आरएसएस चाहता है कि सरकारी मशीनरी, तंत्र की सक्रियता और तेज गति से न्यायिक प्रक्रिया पर बल देना चाहिए। महिला सुरक्षा हेतु फास्ट ट्रैक की बात भी हुई। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की स्थिति पर चर्चा हुई। वायनाड त्रासदी को भी याद किया गया।‌ समसामयिक विषयों पर भी बात चीत हुई जो आमतौर पर होती है।

इस बैठक में खुलकर कुछ लोगों ने संघ के साथ समन्वय ना होने की बात को अस्वीकार किया। उनका कहना था कथित राम भक्त के अहंकार से ही लुटिया डूबी। संघ ने बराबर काम किया है। जबकि कुछ लोगों का कहना था कि लोकसभा चुनाव से पहले संघ ने समन्वय की बात कभी नहीं की।इससे संघ के खिलाफ तेवरों को समझा जा सकता है।

बैठक के अंत में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर ने कहा हमारे हिंदू समाज में जाति बहुत संवेदनशील मुद्दा है। जनगणना हमारी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए अहम है इसे बहुत गंभीरता के साथ लिया जाना चाहिए। किसी जाति या समुदाय की भलाई के लिए भी सरकार को आंकड़ों की ज़रूरत होती है इसका राजनीति या चुनाव में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।

संघ के जातीय जनगणना वाले बयान पर कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संघ ने जातीय जनगणना का खुलकर विरोध किया है। यह देश हित में नहीं है इससे साफ़ हो गया है कि ये जातीय जनगणना कराने में पीछे हट रहे हैं। दलितों, पिछड़ों का हक मार रहे हैं। कांग्रेस ने कहा हम लोग हर कीमत पर जातीय जनगणना करवा कर रहेंगे।

कुल मिलाकर आगत विधानसभा चुनावों में हार की दस्तक से बेचैन संघ अब भाजपा की हां में हां मिलाने के लिए संकल्पबद्ध है। जहां समन्वय टूटा है उसकी मरम्मत का इंतजाम किया जाने वाला है किंतु यह सत्य है इन दस सालों में संघ और भाजपा के मुखौटों को अवाम ने भली-भांति पहचान लिया है और वह हिंदुत्व से छिटककर जाति जनगणना के ज़रिए अपने विकास के द्वार खोलने के इंतजार में हैं। लगता है संघ और भाजपा का ये उखड़ा हुआ तालमेल एक दूसरे को डुबाकर ही दम लेगा।

(सुसंस्कृति परिहार एक्टिविस्ट और लेखिका हैं।)

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