Saturday, April 27, 2024

स्मार्ट फोन आपका उस पर नियंत्रण और मालिकाना योगी का

25 दिसंबर शनिवार को राजधानी लखनऊ के इकाना स्टेडियम में 60 हजार छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन-टैबलेट बाँटे हैं। और सरकार की योजना प्रदेश में एक करोड़ छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन टैबलेट वितरित करने की है। लेकिन स्मार्टफोन और टैबलेट की डेटा और निजी जानकारियां सरकार द्वारा ऑपरेट करने की ख़बरों को लेकर सरकार की यह योजना आलोचकों के निशाने पर है।

फोन का कंट्रोल सरकार के आईटी एडमिन UPDESCO के पास

योगी सरकार द्वारा छात्र-छात्राओं को वितरित किया गया स्मार्टफोन ओपेन करने पर जो पहला नोटिफिकेशन आता है वो यह कि यह डिवाइस प्राइवेट नहीं है। आपका आईटी एडमिन इस डिवाइस पर आपका डेटा और आपकी एक्टिविटी देखने में सक्षम है।

डिवाइस मैनेजमेंट सेटिंग में जाने पर जो नोटिफिकेशन आता है वो इस प्रकार है – “यह डिवाइस आपकी संस्था (सरकार) से बिलांग करता है। आपका आईटी एडमिन (UPDESCO) आपकी डिवाइस की सेटिंग, कार्पोरेट एक्सेस, एप्स, सामार्टफोन डेटा, और आपकी लोकेशन सूचनाओं को देख और मैनेज कर सकता है”।

 सर्वेंलन्स स्टेट इस स्मार्टफोन के जरिये निगरानी करने की कोशिश कर रहा

लखनऊ यूनिवर्सिटी के स्नातक तृतीय वर्ष के छात्र आदर्श बताते हैं कि उन्हें स्मार्टफोन मिला है। वह बताते हैं कि पहले राउंड में सरकार ने 60 हजार लोगों को स्मार्टफोन दिया है उसमें मैं भी शामिल हूँ।

सरकार के कंट्रोल वाले स्मार्टफोन पर प्रतिक्रिया देते हुये छात्र आदर्श कहते हैं कि – “जो एक सर्विलान्स स्टेट होता है कंट्रोल स्टेट होता है इस स्मार्टफोन के जरिये सरकार वो करने की कोशिश कर रही है”।

स्मार्टफोन का कैमरा, गैलरी कंटैक्ट, कंटैक्ट हिस्ट्री तमाम चीजों का परमिशन सरकार के पास है। और आप चाहकर भी इन्कार (Deny) नहीं कर सकते। इन्कार करने का विकल्प ही नहीं है। आप फोन खोलेंगे तो इसमें ऑटो जनरेटेड जीमेल आई बन जाता है। और उस पर आपका कोई कंट्रोल नहीं होता है। उसके जरिये सरकार आपका गूगल सर्च हिस्ट्री, यूट्यूब का सर्च हिस्ट्री, कंटैक्ट की सर्च हिस्ट्री और तमाम चीजें जैसे कि आप कौन सा एप इंस्ट़ॉल कर रहे हैं कौन सा अनइंस्टॉल कर रहे हैं, सारी जानकारी उनके पास है।

सबसे ख़तरनाक यह है कि सभी चीजों पर सिक्योरिटी खोलना सिक्योरिटी लगाना यह सारी चीजें भी वहीं (UPDESCO) से रेगुलेट होंगी। सर्च हिस्ट्री वहां से रेगुलेट होगा, फीड्स वहां से रेगुलेट होगा।

इस स्मार्टफोन से कंट्रोल्ड मॉस तैयार करेगी सरकार

आदर्श आगे बताते हैं कि “इससे (योगी स्मार्टफोन) सबसे बड़ा ख़तरा यह है कि संविधान अनुच्छेद 21 के तहत हमें जो निजता का अधिकार मिला है उसका हनन है। आप जानते हैं कि आज सोशल मीडिया वॉट्स्अप के जरिये जो मॉस का मैनिपुलेशन होता है वॉट्सअप यूनिवर्सिटी जैसी चीजें हम सुनते हैं। तो उसमें सरकार का एक पहले से ही जो एक प्रोपेगेटेड एजेंडा होगा मेसेज होगा उसके तहत लोगों को मैनिपुलेट किया जा सकता है। तो जो इलेक्टोरल वोट बैंक में कनवर्ट होते हुये दिखेगा।

इस स्मार्टफोन से सरकार एक तरह का एक कंट्रोल्ड मॉस पैदा करेगा। एक जनतंत्र में जो नागरिकता होती है उस पर ख़तरा है। अगर इसे बड़े फलक पर देखा जाये तो डेमोक्रेसी का अंडरमाइनिंग है ये। ख़तरा इस स्तर का है।

आदर्श आगे कहते हैं कि सामान्य छात्र जो किसी संगठन से नहीं जुड़े हुये हैं। उन्हें भी इतना पता है कि प्राइवेसी क्या है और उसके मायने क्या हैं उनके लिये। यूनिवर्सिटी स्तर के छात्र ये जान समझ रहे हैं कि ये डिवाइस कंट्रोल करने का मेकैनिज्म है। 70 प्रतिशत छात्रों ने तो डब्बा पैक करके रख दिया है।

लेकिन चिंता जाहिर करते हुये आदर्श कहते हैं कि “1 करोड़ लोगों में से 10 प्रतिशत लोग नहीं इस्तेमाल करेंगे लेकिन 90 प्रतिशत तो इस्तेमाल करेंगे। इलेक्शन में इस स्मार्टफोन का किस हद तक इस्तेमाल करेगें वो ये भी देखना है। कोविड काल में एक एप आरोग्य सेतु बनाया था सरकार ने। जिसका ओपेन सोर्स लिंक सरकार ने ओपेन नहीं किया था। तो सरकार सारा डेटा इकट्ठा कर रही है उसे कंपनी को बेच देगी। इस स्मार्टफोन में भी यह ख़तरा है कि सरकार निजी डेटा इकट्ठा करके कंपनियों को बेंच दे। सारा पर्सनल डेटा कंपनी को बेच दे। पेगासस कांड देश देख चुका है इस सरकार के द्वारा। 

निजता के मौलिक अधिकार का हनन करता है योगी का स्मार्टफोन

छात्र संगठन आइसा के राज्य सचिव शिवम कहते हैं कि- “जो स्मार्टफोन सरकार दे रही है उसका पूरा कंट्रोल सरकार के हाथ में है। उसमें सिक्योरिटी कंटैक्ट गैलरी कैमरा सब यूपीडेस्क के सॉफ्टवेयर से मॉडरेट होगा। पूरे फोन का कंट्रोल सरकार के हाथ में है। एडमिन भी वही है पूरे फोन का”। 

उपयोगकर्ता की प्राइवेसी खत्म हो जा रही है। संविधान में जो प्राइवेसी का हक़ है उसे सरकार इस स्मार्टफोन से छीन रही है। सारा कंट्रोल उपयोगकर्ता के हाथ से निकलकर सरकार के हाथ में चला जायेगा। आपका पूरा लेकेशन उनके पास होगा। पल पल का हिसाब कि आप कहां जा रहे हैं, किससे बात कर रहे हैं क्या बात कर रहे हैं सब पर सरकार की निगरानी होगी। तो इस तरह से उपयोगकर्ता की सारी आज़ादी खत्म हो जा रही है। फोन का सारा डेटा सरकार के पास होगा।

जनमत प्रभावित करेगा यह स्मार्टफोन

आइसा राज्य सचिव शिवम आगे कहते हैं कि “सरकार पब्लिक को जिस दिशा में ले जाना चाहती है, उसी दिशा में ले जाकर छोड़ देगी। जिस तरह सरकार के द्वारा सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है जिस तरह पूरे देश में ज़हर फैलाया जा रहा है। वो काम अब और आसान हो जाएगा। ये काम अब तक व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के जरिए किया जाता था जो अब इस फ़ोन के माध्यम से बड़े पैमाने पर किया जाएगा। गूगल की सर्च हिस्ट्री, यूट्यूब की सर्च हिस्ट्री, सब पर सरकार की निगाह होगी। जो स्टूडेंट्स या युथ के बीच भय का काम करेगा।”

शिवम आगे कहते हैं कि साल 2012 में अखिलेश यादव ने दसवीं पास छात्र-छात्राओं को टैबलेट और 12 पास छात्र-छात्राओं को लैपटाप बांटा था। लेकिन इलेक्टोरल वोट सपोर्ट या चुनाव भागीदारी करने वाला नहीं था। लेकिन योगी-मोदी सरकार ने जो चुना ही ऐसे 1 करोड़ लोगों को है जो 18 साल की उम्र पार कर चुके हैं। स्नातक प्रथम वर्ष को नहीं चुना है इन्होंने। बल्कि स्नातक द्वितीय व तृतीय वर्ष तथा एमए प्रथम और द्वितीय वर्ष को चुना है।

नये वोट बैंक बनाने के लिये चुना है इस उम्र के छात्रों को। इलेक्टोरल फायदा के लिहाज से है ये। वॉटसअप यूनिवर्सिटी में सब वो करते ही हैं। अब अपने कंट्रोल वाले इस मोबाइल के जरिये वो जनमत तैयार करेंगे। 

 छात्र नहीं करना चाहते इस्तेमाल

लखनऊ यूनिवर्सिटी में जिन छात्र-छात्राओं को मिला है वो सिक्योरिटी और प्राइवेसी के लिहाज से उसे इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। दरअसल फोन को ऑन करने पर सारा नोटिफिकेशन इस तरह से आता है कि आपके हाथ में कुछ नहीं है। क्योंकि वो डिवाइस प्राइवेट नहीं है। यानि पूरा स्मार्टफोन सरकार के द्वारा ही रेगुलेट होगा। तो इतना सब कुछ तो छात्र जान ही रहे हैं कि इस स्मार्टफोन के जरिये उनकी निजता का हनन हो रहा है। तो तमाम छात्र जो स्मार्टफोन पाये हैं वो इसके बारे में सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं और फोन इस्तेमाल करने के बजाय ओएलएक्स पर बेचने में लगे हुये हैं। या कहीं कोने में डंप कर दिया है।  

ओएलएक्स पर बिक रहा मोदी योगी का स्मार्टफोन

25 दिसंबर शनिवार को राजधानी लखनऊ के इकाना स्टेडियम में 60 हजार छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन-टैबलेट बाँटे। और 26 दिसंबर को लखनऊ के आस-पास के क्षेत्र के दर्जनों स्मार्टफोन ओएलएक्स पर बिकने के लिये अपलोड कर दिये गये। यही हाल 27, 28,29, 30 दिसबंर का है। यानि हर दिन सैकड़ों विज्ञापन ओएलएक्स पर सैमसंग गैलेक्सी A 03S के सेल के हैं।

यूपी सरकार राज्य के छात्रों को मोबाइल और टैबलेट बांटने के नाम पर निगरानी और नियंत्रण की संरचना बना रही 

आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने बयान जारी करके कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार छात्रों को मोबाइल फोन और टैबलेट बांटने के नाम पर निगरानी और नियंत्रण का ढांचा तैयार कर रही है। उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी द्वारा जारी एक बयान में आइसा ने दावा किया कि… आइसा ने दावा किया कि जिन छात्रों को उपकरण प्राप्त हुए, उन्हें नोटिफिकेशन मिला है कि “यह उपकरण निजी नहीं है।” 

आइसा ने भाजपा सरकार की निगरानी और नियंत्रण तंत्र का विरोध करते हुए कहा, “क्या आप जानते हैं, यूपी सरकार राज्य के छात्रों को मोबाइल और टैबलेट बांटने के नाम पर निगरानी और नियंत्रण की संरचना बना रही है? 

आइसा ने लिखा है कि – ” आइसा शासन के इस पेगासस मॉडल का विरोध करता है, और निगरानी और नियंत्रण के विन्यास को तुरंत हटाने की मांग करता है”। 

आइसा ने अपने बयान में कहा है कि यह UPDESCO के मार्तफ़ से सरकार ने छात्रों के फोन को समानुरूप किया है, जो पूरी तरह से “गोपनीयता का उल्लंघन” है। UPDESCO के आईटी व्यवस्थापक की मदद से, सरकार छात्रों के डेटा उपयोग कॉल इतिहास, ब्राउज़िंग तक पहुंच रही है। हिस्ट्री, एप्लिकेशन, डिवाइस स्थान और कॉर्पोरेट विवरण, पत्र जोड़ा गया। इसमें कहा गया है कि 1 करोड़ छात्र डिवाइस प्राप्त करेंगे और सरकार प्रत्येक छात्र के व्यवहार पैटर्न तक पहुंचने का इरादा रखती है।

आइसा ने पेगासस स्पाइवेयर और भीमा कोरेगांव मामलों को भी उजागर किया। उनके अनुसार, स्पाइवेयर घोटाले ने नागरिकों की गोपनीयता को ख़तरे में डाल दिया, और भीमा कोरेगांव मामले के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, जिनके फोन पेगासस द्वारा लक्षित थे, और उनके डिवाइस पर कथित सबूत लगाए गए थे। पत्र में कहा गया है, “इस संदर्भ में हमें यह समझने की ज़रूरत है कि यूपी में भाजपा सरकार डिजिटल गैजेट प्राप्त करने वाले छात्रों के साथ क्या कर रही है”।

आइसा ने यह भी दावा किया है कि आरोग्य सेतु में प्राप्त डेटा के साथ कंपनियों को बड़ी मात्रा में डेटा दिया गया था।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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