Saturday, April 20, 2024

झारखंड: मनरेगा में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल, सोशल ऑडिट में उभरकर आया सामने

झारखंड। उल्लेखनीय है कि मनरेगा की अवधारणा ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर तैयार की गई थी। जिसमें मशीन के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी है, बावजूद इसके झारखंड में मनरेगा के कर्मचारियों, अधिकारियों व उनके दलाल ठेकेदारों की मिलीभगत से मशीन यानी जेसीबी का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है। इसका खुलासा ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड सरकार के सामाजिक अंकेक्षण ईकाई द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 में सभी 24 जिलों के 1,118 पंचायतों में किए गए सोशल ऑडिट में उभरकर सामने आया है।

सोशल ऑडिट में जो मामले सामने उभर कर आए हैं उसके आलोक में मस्टर रोल (एमआर) में दर्ज मजदूरों में से औसतन 25 प्रतिशत मजदूर काम करते पाये गये हैं। धनबाद और दुमका में तो मस्टर रोल के मुकाबले तीन से 10 प्रतिशत तक मजदूर ही काम करते पाये गये। तीन जिलों में वैसे मजदूर भी काम करते पाये गये, जिनके नाम मस्टर रोल में दर्ज नहीं थे। 129 योजनाओं में बिना काम शुरू किये ही मस्टर रोल जारी किया गया। मनरेगा की इस ताजा सोशल ऑडिट रिपोर्ट में मनरेगा कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा की जा रही कई गड़बड़यां सामने आयी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट के लिए राज्य के 24 जिलों को 1,118 पंचायतों में चल रही योजनाओं में से 29.059 योजनाओं को चुना गया। इनके लिए जारी मस्टर रोल में 1,59,608 मजदूरों के काम करने का उल्लेख किया गया था। हालांकि कार्य स्थल पर सिर्फ 40 हजार 629 मजदूर ही काम करते पाये गये। यानी मस्टर रोल में दिखाये मजदूरों की संख्या के मुकाबले सिर्फ 25 प्रतिशत मज़दूर को काम करते पाये गये। इस मामले में सबसे खराब स्थिति गुमला जिले की रही। गुमला जिले में ऑडिट के लिए 92 योजनाओं को चुना गया था, मस्टर रोल में दर्ज आकड़ों के अनुसार, इन योजनाओं में 731 मजदूरों को कार्यरत होना चाहिए था। जबकि सिर्फ 20 मजदूर ही काम करते पाए गये। राज्य में चल रही योजनाओं में 1787 ऐसे मजदूर काम करते मिले, जिनके नाम मस्टर रोल में नहीं थे। गढ़वा, साहिबगंज और गिरिडीह में ऐसे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा पायी गई।

राज्य में चल रही योजनाओं में काम कर रहे 954 मजदूरों का जॉब कार्ड उनके पास नहीं होकर दूसरों के पास था। सिमडेगा, लोहरदगा और गिरिडीह में ऐसे मजदूरों के सख्या सबसे ज्यादा थी। राज्य के सात जिलों में कुल 36 योजनाओं में मशीन का इस्तेमाल करने की जानकारी मिली। इन योजनाओं में मशीन का भुगतान मजदूरों के नाम पर किया गया है।

बता दें कि ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड सरकार के सामाजिक अंकेक्षण ईकाई द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 में सभी 24 जिलों की 1,118 पंचायतों में क्रियान्वित मनरेगा योजनाओं का समवर्ती सोशल ऑडिट किया गया है, जिसमें कुल 29,059 योजना स्थलों का आन स्पाट सत्यापन किया गया। समवर्ती सोशल ऑडिट रिपोर्ट के अवलोकन से स्पष्ट है कि राज्य में मनरेगा योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकारियों/कर्मियों द्वारा नियमों की पूरी तरह अनदेखी की गई है।   

उदाहरण के तौर पर अंकेक्षित योजनाओं में से 36 योजनाओं में JCB मशीन से काम कराये जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। कुल 1,59,608 मजदूरों के नाम से मस्टर रोल (हाजरी शीट) निकाले गए थे, उन मजदूरों में से सिर्फ 40,629 वास्तविक मजदूर (25%) ही कार्यरत पाए गए। शेष सारे फर्जी नामों के मस्टर रोल थे। 1787 मजदूर ऐसे मिले जिनका नाम मस्टर रोल में था ही नहीं। 85 योजनायें ऐसी मिलीं जिनमें कोई मस्टर रोल सृजित नहीं किये गए थे, परन्तु काम प्रारम्भ कर दिया गया था। 376 मजदूर ऐसे मिले जिनका जॉब कार्ड बना ही नहीं था। पूर्व के वर्षों में भी सोशल ऑडिट के माध्यम से करीब 94 हजार विभिन्न तरह की शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिसमें करीब 54 करोड़ राशि गबन की पुष्टि हो चुकी है। उस पर भी राज्य के जिम्मेवार अधिकारी वसूलनीय राशि के प्रति गंभीर नहीं हैं। राज्य में विभागीय अधिकारियों ने विगत दो वर्षों से मनरेगा क़ानूनी प्रावधान के विपरीत सोशल ऑडिट की प्रक्रिया को बाधित कर रखा है। मनरेगा लोकपालों की नियुक्ति भी राज्य सरकार नहीं कर रही है। राज्य भर में शिकायत निवारण प्रक्रिया पूरी तरह फेल है।

कहना ना होगा कि मनरेगा पूरी तरह भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों के गिरफ्त में चला गया है।

इस बाबत सदस्य, राज्य संचालन समिति सामाजिक अंकेक्षण ईकाई, ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड सरकार सह राज्य संयोजक, झारखण्ड नरेगा वाच के जेम्स हेरेंज ने सचिव ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार कृषि भवन, नई दिल्ली को एक पत्र भेजकर माँग की है कि समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण में प्रतिवेदित बिंदुओं पर राज्य सरकार से कृत कार्रवाई प्रतिवेदन की माँग की जाए। इसके साथ ही पूर्व में संपन्न सामाजिक अंकेक्षण में प्रतिवेदित प्रत्येक मामले पर राज्य के जिम्मेवार अधिकारियों से समयबद्ध् कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। तथा सभी जिलों में मनरेगा लोकपालों की नियुक्ति यथाशीघ्र करते हुए प्रत्येक स्तर पर शिकायत निवारण प्रक्रिया को प्रभावकारी तरीके से लागू किया जाए।

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य को मनरेगा में हुई गड़बड़ी में से 50 प्रतिशत की वसूली नहीं होने पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में लेबर बजट पर विचार नहीं करने की चेतावनी दी है। केंद्र सरकार के मनरेगा महानिदेशक धर्मवीर झा ने इससे संबंधित पत्र राज्य सरकार के वरीय अधिकारियों को भेजा है, यहाँ सरकार अब तक वित्तीय अनियमितता के मामले में सिर्फ 9.97% राशि ही वसूल सकी है, केंद्र की ओर से सरकार को लिखे पत्र में कहा गया है कि सरकार मनरेगा में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत लोकपाल के 80% पदों को भरने स्वतंत्र सोशल ऑडिट यूनिट और स्वतंत्र निदेशकों को सक्षम बनाने और सोशल ऑडिट में पकड़ी गयी वित्तीय अनियमितता की राशि में से 50% की वसूली करने का निर्देश दिया गया है। इन शर्तों का पालन नहीं होने पर वित्तीय वर्ष 2022-23 के लेबर बजट पर ईपावर्ड कमेटी में विचार नहीं किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि सोशल ऑडिट के दौरान मनरेगा की योजनाओं में कुल 52.37 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गयी है। सरकार इसके आलोक में अब तक सिर्फ 5.21 करोड़ रुपये की वसूली कर सकी है सबसे ज्यादा गड़बड़ी गढ़वा जिले में 5.93 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी गयी है। इस मामले में गिरिडीह दूसरे नंबर और तीसरे नंबर पर रामगढ़ जिला है। गिरिडीह में 4.95 करोड़ और रामगढ़ में 4.93 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी गयी है।

दूसरी तरफ एक रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा में 100 दिन का काम मिलना भी अब मुश्किल हो गया है। राज्य में अब तक काम मांगने वालों में से सिर्फ 2.4 प्रतिशत लोगों को ही 100 दिनों का काम मिल सका है। नियमानुसार, मनरेगा में काम मांगने वालों को कम से कम 100 दिन का काम देने की बाध्यता है। 100 दिन काम नहीं दे पाने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है। 100 दिन काम देने के मामले में आठ जिलों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है।

विभिन्न जिलों की स्थिति।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पूरे राज्य में मनरेगा के तहत 45.80 लाख मजदूर निबंधित हैं। इनमें से 22.80 लाख मजदूरों ने काम की मांग की है। इनमें से अब तक सिर्फ 54,041 मजदूरों को ही 100 दिन काम दे पाना संभव हो सका है। रामगढ़ में 7.1 प्रतिशत और खूंटी में 5.1 प्रतिशत मजदूरों को 100 दिनों का काम मिल पाया है। राज्य के आठ जिलों में 0.9 प्रतिशत से 1.9 प्रतिशत मजदूरों को ही 100 दिन का काम मिल सका है। इन जिलों में साहिबगंज, गढ़वा, लातेहार, कोडरमा, देवघर, धनबाद, गिरिडीह और सुखाड़ के लिए चर्चित पलामू जिले का नाम शामिल है, नौ जिलों में 2.5 से 2.9 प्रतिशत और पांच जिलों में 35 से 45 प्रतिशत मजदूरों को ही 100 दिनों का काम मिल सका है। रांची जिले में भी सिर्फ 2.9 प्रतिशत मजदूरों को ही 100 दिन का काम मिल सका है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, काम मांगने वालों में से 5.19 लाख को 1 से 14 दिन का काम मिल सका है। 5.54 लोगों को 15-30 दिनों तक का काम मिला है। 2.11 लाख लोगों को 31-40 दिन का काम मिला है। 2.43 लाख लोगों के 41-50 दिन, 1.96 लाख को 51-60 दिन का काम मिला है। 1.02 लाख लोगों को 61-70 दिन और 1.36 लाख लोगों को 71-80 दिनों का काम मिला है। 2.62 लाख लोगों को 81-99 दिन काम मिला है। सरकार अब कम से कम इन 2.62 लाख लोगों का 100 दिन काम देने की कोशिश कर रही है। इस लक्ष्य में सफल होने के बावजूद 13.88 लाख लोगों को ही काम देना संभव हो सकेगा। यानी काम मांगने वाले 86.12 प्रतिशत मजदूरों को 100 दिन काम नहीं मिल सकेगा।

मजदूरों को 1 से 100 दिन तक के काम की जिलेवार स्थिति

जिला – रामगढ़

1-14 दिन – 10,364

81-99 दिन – 5,732

100 दिन – 2,974

उपलब्धि – 7.1%

जिला – खूंटी

1-14 दिन – 8,516

81-99 दिन – 5,374

100 दिन – 1,955

उपलब्धि – 5.1%

जिला – लोहरदगा

1-14 दिन – 8,389

81-99 दिन – 2,815

100 दिन – 1,528

उपलब्धि – 4.5%

जिलासिंहभूम

1-14 दिन – 24,481

81-99 दिन — 10,163

100 दिन – 4.259

उपलब्धि – 4.5%

जिला – गुमला

1-14 दिन – 14,132

81-99 दिन — 10,328

100 दिन – 3,246

उपलब्धि – 4.4%

जिला – सिमडेगा

1-14 दिन – 13,184

81-99 दिन — 8,549

100 दिन – 2,902

उपलब्धि – 4.3%

जिला – दुमका

1-14 दिन – 24,231

81-99 दिन — 11,764

100 दिन – 3,805

उपलब्धि – 3.3%

जिला – रांची

1-14 दिन – 25,279

81-99 दिन — 8,859

100 दिन – 2,785

उपलब्धि – 2.9%

जिला – गोड्डा

1-14 दिन – 18,664

81-99 दिन — 10,693

100 दिन – 2,441

उपलब्धि – 2.2%

जिला – पाकुड़

1-14 दिन – 12,746

81-99 दिन — 7,656

100 दिन – 1,585

उपलब्धि – 2.5%

जिला – पू सिंहभूम

1-14 दिन – 24,726

81-99 दिन — 7,934

100 दिन – 2,044

उपलब्धि – 2.5%

जिला – जामताड़ा

1-14 दिन – 18,540

81-99 दिन — 12,392

100 दिन – 2,330

उपलब्धि – 2.2%

जिला – बोकारो

1-14 दिन – 23,101

81-99 दिन — 8,566

100 दिन – 2,137

उपलब्धि – 2.3%

जिला – सरायकेला

1-14 दिन – 18.676

81-99 दिन — 8,485

100 दिन – 1,843

उपलब्धि – 2.3%

जिला – चतरा

1-14 दिन – 22,817

81-99 दिन — 10,592

100 दिन – 2,246

उपलब्धि – 2.3%

जिला – हजारीबाग

1-14 दिन – 23,702

81-99 दिन — 11,581

100 दिन – 2,408

उपलब्धि – 2.1%

जिला – साहिबगंज

1-14 दिन – 23,766

81-99 दिन — 8,647

100 दिन – 1,703

उपलब्धि – 1.9%

जिला – गढ़वा

1-14 दिन – 34,722

81-99 दिन — 30,693

100 दिन – 2,985

उपलब्धि – 1.6%

जिला – लातेहार

1-14 दिन – 19,596

81-99 दिन — 13,391

100 दिन – 1,516

उपलब्धि – 1.5%

जिला – कोडरमा

1-14 दिन – 12,898

81-99 दिन — 4,948

100 दिन – 749

उपलब्धि – 1.5%

जिला – देवघर

1-14 दिन – 26,918

81-99 दिन — 19,750

100 दिन – 1,808

उपलब्धि – 1.4%

जिला – पलामू

1-14 दिन – 44,370

81-99 दिन — 12,588

100 दिन – 2,156

उपलब्धि – 1.3%

जिला – धनबाद

1-14 दिन – 18,675

81-99 दिन — 5,515

100 दिन – 700

उपलब्धि – 1%

जिला – गिरिडीह

1-14 दिन – 47,215

81-99 दिन — 25,487

100 दिन – 1,936

उपलब्धि – 0.9%

————————————————————————————————————————(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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