तालिबानों का काबुल पर कब्जा, राजधानी में अफरातफरी का आलम

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नई दिल्ली। काबुल पर तालिबान का कब्जा हो गया है। और यह कब्जा बगैर किसी संघर्ष के हुआ है। इस बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए हैं। बताया जा रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे अमेरिका का छुपा हुआ हाथ है।

20 सालों में यह पहली बार है जब तालिबान ने काबुल शहर में प्रवेश किया है। इसके पहले 1996 में उन्होंने काबुल पर कब्जा किया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक देर रात को लड़ाकों ने एसयूवी में बैठकर काबुल का विजयी चक्कर मारा।

एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक अफगानिस्तान नेशनल रिकंसिलिएशन कौंसिल के अध्यक्ष अब्दुल्ला-अब्दुल्ला ने राष्ट्रपति गनी के देश छोड़ कर जाने की पुष्टि की है। अब्दुल्ला ने कहा कि “अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति इस कठिन परिस्थिति में अफगानिस्तान छोड़ गए हैं।” उन्होंने कहा कि “अल्लाह उन्हें जिम्मेदार ठहराएगा।”

हालांकि इस जीत के संकेत पहले ही मिलने शुरू हो गए थे। जब शहर के बाद शहर और राजधानी के बाद राजधानी पर वो कब्जे करते जा रहे थे और फिर अंत में बगैर किसी प्रतिरोध के उन्होंने काबुल पर भी कब्जा कर लिया। इसके साथ ही पूरे शहर में अफरातफरी मच गयी है। चारों तरफ ट्रैफिक और हॉर्नों की आवाजें सुनाई दे रही हैं। लोग अपने घरों की ओर जरूरी सामानों को लेने के लिए भागते देखे जा सकते हैं। साथ ही पैसे निकालने के लिए बैंकों के सामने लंबी कतारें लगने लगीं।

दोपहर तक पूरा शहर तालिबानों के कब्जे में था। गलियां पूरी तरह से खाली हो गयी थीं। डाउनटाउन इलाके में हेलीकाप्टर घूम रहे थे। बताया जा रहा है कि इस इलाके में अफसरों और देशों के दूतावास स्थित हैं।

बताया जा रहा है कि जैसे ही हेलीकाप्टर के जरिये अमेरिकी दूतावास ने अपने कर्मचारियों को बाहर निकाला वहां धुओं के गुबार देखे गए जिन्हें दस्तावेजों और सामानों को जलाने के तौर पर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि अमेरिकी राजदूत को वहां से निकाल लिया गया है। इसके साथ ही दूसरे देश भी अपने राजनयिकों को निकालने की दिशा में अग्रसर हैं।

तालिबान ने जेलों पर भी कब्जा कर वहां से अपने लड़ाकों को छुड़ा लिया है।

इस बीच, तमाम देशों ने अपने-अपने नागिरकों को सुरक्षित निकालने की कार्यवाही शुरू कर दी है। आस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों को सूचित किया है कि बगैर उसकी जानकारी के कोई भी एयरपोर्ट पर न जाए। न्यूजीलैंड ने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए सेना का जहाज भेजने का फैसला किया है।

तालिबान के पोलिटिकल ब्यूरो के प्रमुख बारादर ने कहा है कि असली परीक्षा अब शुरू हुई है। और यह जनता की समस्याओं को हल करने के जरिये होगी।

उधर काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी का आलम है। एक रिपोर्टर ने बताया कि जो भी लोग एयरपोर्ट की तरफ जा रहे हैं उन्हें रास्ते में तालिबान के बैरिकेड्स का सामना करना पड़ रहा है।

काबुल से उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद गए अशरफ गनी ने जाने से पहले अपनी एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि वह खूनखराबे को रोकने की कड़ी में देश छोड़ रहे हैं।

यूएन सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक हो रही है। जिसमें काबुल की स्थितियों पर बातचीत होगी। नाटो का कहना है कि काबुल से जुड़ी सभी व्यवसायिक उड़ानों को रद्द कर दिया गया है। ब्रिटेन के पीएम बोरिस जान्सन ने कहा कि कोई भी यह नहीं चाहता है कि अफगानिस्तान आतंकियों को पैदा करने की जमीन बने। या फिर वह 2001 के पहले की स्थितियों में पहुंच जाए।

अमेरिकी दूतावास में देश के झंडे को उतार दिया गया है और पूरे दूतावास को खाली करा लिया गया है। वहां सुरक्षा से जुड़े कुछ लोगों को अभी भी रखा गया है। अफगानिस्तान में राष्ट्रपति भवन पर तालिबानों का कब्जा हो गया है।

तालिबान के प्रवक्ता ने कतर से बयान जारी कर कहा है कि “हम सभी को इस बात का भरोसा दिलाते हैं कि हम नागरिकों और राजनयिक मिशन को पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगे। हम सभी अफगान लड़ाकों से बातचीत के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही उन्हें जरूरी सुरक्षा भी मुहैया कराई जाएगी।”  

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