Saturday, April 27, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

महिला आरक्षण विधेयक: मोदी की नीति और नीयत पर विपक्षी दलों ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक मंगलवार को पेश किया गया। पीएम मोदी ने इसे महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया। महिला आरक्षण विधेयक पहली बार 1996 में सदन में पेश किया गया था। 2010 में यूपीए सरकार ने भी महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश किया था। लेकिन तब इसे संसद में पास नहीं कराया जा सका। अब मोदी सरकार ने इसे सदन में पेश किया है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल को अपना बताया है। लेकिन विधेयक को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि मोदी सरकार विधेयक के पास हो जाने की दशा में भी इसे तत्काल लागू नहीं करना चाहती। इसके लिए वह जनगणना और लोकसभा सीटों के परिसीमन का बहाना ले रही है। कांग्रेस के कई नेताओं ने मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठाएं हैं। सपा और बसपा ने दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण में आरक्षण का मुद्दा उठा दिया है।

महिलाओं को 2029 के पहले आरक्षण नहीं मिलने वाला: मनीष तिवारी

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का कहना है, “जो विधेयक पेश किया गया है वह दुर्भाग्य से महिला आंदोलन और नीति निर्माण और विधायी मामलों में अधिक प्रतिनिधित्व के लिए उनके संघर्ष के साथ विश्वासघात है। विधेयक के खंड 334 ए में कहा गया है आरक्षण संवैधानिक संशोधन विधेयक के पारित होने और उसके बाद होने वाले परिसीमन के बाद पहली जनगणना के बाद लागू होगा। तो अनिवार्य रूप से इसका मतलब यह है कि किसी भी परिस्थिति में यह आरक्षण 2029 से पहले लागू नहीं होगा…।”

महिलाओं को मिले 50 प्रतिशत आरक्षण: मायावती

बसपा प्रमुख एवं यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री बहन मायावती ने कहा कि “महिला आरक्षण में ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग की महिलाओं का आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बसपा के साथ-साथ ज्यादातर पार्टियां महिला आरक्षण बिल के पक्ष में अपना वोट देंगी…हमें उम्मीद है कि चर्चा के बाद इस बार यह बिल पास हो जाएगा क्योंकि यह काफी समय से लंबित था। संसद में मेरी पार्टी की ओर से कहा गया है कि महिलाओं की आबादी को ध्यान में रखते हुए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को प्रस्तावित 33% के बजाय 50% आरक्षण मिले। मुझे उम्मीद है कि सरकार इस बारे में सोचेगी।”

आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए हो अलग कोटा: अखिलेश यादव

महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।

महिलाओं को आरक्षण देने में मोदी सरकार ने 9.5 साल क्यों किया इंतजार: रंजीता रंजन

कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन का कहना है, “महिला आरक्षण विधेयक कांग्रेस द्वारा लाया गया था। यह 2010 में राज्यसभा में पारित किया गया था। अगर यह महिलाओं के लिए एक मील का पत्थर था, तो बीजेपी 9.5 साल तक इंतजार क्यों किया? क्या आपको लगता है कि इससे आपको आगामी चुनावों में होने वाले नुकसान से कुछ राहत मिलेगी? हम इस बिल का स्वागत करते हैं क्योंकि कांग्रेस महिलाओं के लिए आरक्षण चाहती है…”

महिलाओं को सिर्फ सपना दिखाया जा रहा है: कपिल सिब्बल

महिला आरक्षण बिल पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल का कहना है, “वे (बीजेपी सरकार) 2024 में राजनीतिक फायदा चाहते हैं और महिलाओं को बताना चाहते हैं कि उन्होंने इतना ऐतिहासिक काम किया…उन्हें यह काम 2014 में करना चाहिए था। इतना ऐतिहासिक क्या है” इस बारे में?…महिला आरक्षण बिल लागू होने से पहले जनगणना और परिसीमन होगा। अगर जनगणना और परिसीमन नहीं हुआ तो क्या होगा? वे महिलाओं को सिर्फ सपने दिखा रहे हैं कि उन्हें 2029 में आरक्षण मिलेगा…वे राजनीति के अलावा कुछ नहीं सोच सकते।”

महिला आरक्षण विधेयक सबसे बड़ा चुनावी जुमला है: जयराम रमेश

चुनावी जुमलों के इस मौसम में, यह सबसे बड़ा जुमला है! यह देश की करोड़ों महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद प्रभावी होगा। क्या 2024 चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन हो जाएगा?

हमने पहले भी बताया है कि मोदी सरकार ने अभी तक 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना नहीं की है। अब कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद, जो पहली दशकीय जनगणना होगी, उसके उपरांत ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। यह जनगणना कब होगी?

मोदी जी की नीति और नीयत दोनों में खोट : सुप्रिया श्रीनेत

महिला आरक्षण को लेकर मोदी जी की नीति और नीयत दोनों में खोट है। मोदी सरकार के महिला आरक्षण बिल में साफ लिखा है कि महिला आरक्षण, जनगणना और परिसीमन के बाद ही हो सकता है। मतलब 2029 से पहले महिला आरक्षण संभव नहीं है।

महिला आरक्षण विधेयक मनुवादियों के दिल पर चाकू: प्रकाश अंबेडकर

वंचित समाज अघाड़ी के प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि “हम महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हैं क्योंकि यह मनु के दिल पर चाकू है। लेकिन हमारी कुछ चिंताएं हैं। यह “अधूरा” विधेयक आंखों में धूल झोंकने वाला है। यह भाजपा की एक राजनीतिक चाल है जिसका उद्देश्य केवल महिलाओं के सामने अपनी राजनीति को बेचना है और उन्हें वास्तविक अर्थों में बाहर करना है। दरअसल, भाजपा-आरएसएस के डीएनए में ही मनु निहित हैं।”

1996 से लंबित विधेयक को पेश करने के लिए पीएम मोदी को बधाई: एचडी देवेगौड़ा

महिला आरक्षण बिल पर पूर्व पीएम और राज्यसभा सांसद एचडी देवेगौड़ा का कहना है, “मैं प्रधानमंत्री को बधाई देना चाहता हूं। उन्होंने कल कैबिनेट में वो फैसला लिया जो 1996 से लंबित था…”

डीएमके महिला सशक्तिकरण का हिमायती: थमिझाची थंगापंडियन

डीएमके सांसद थमिझाची थंगापांडियन ने कहा कि “महिला होने के नाते, हम हमेशा विधेयक के पारित होने की आशा करते हैं लेकिन अभी भी हमें विधेयक के सभी खंडों और उद्देश्यों को पढ़ना बाकी है…फिलहाल, यह डीएमके का रुख है कि हम विधेयक का स्वागत करेंगे, क्योंकि तमिलनाडु महिला आरक्षण अधिकारों के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण का अग्रणी है। हम विधेयक का स्वागत करेंगे, लेकिन हमें सभी खंडों और विधेयक की पेचीदगियों को देखना होगा।”

महिला आरक्षण के पक्ष में जगन मोहन रेड्डी

महिलाओं का सशक्तिकरण हमारे लिए बहुत महत्व रखता है। पिछले 4 सालों में हमने विभिन्न पहल और योजनाओं के माध्यम से आंध्र प्रदेश में महिलाओं को सशक्त बनाया है। लेकिन अब महिलाओं के लिए समान प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करेंगे। आइए! एक साथ न्यायसंगत और उज्जवल भविष्य के लिए वातावरण बनाएं।

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

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