विधान सभा चुनावों में मात खाने के बाद भी हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी के पैंतरे थम नहीं रहे। आनेवाले साल 2025 में प्रदेश की 11 में से 10 नगर निगमों के चुनाव भी होने हैं। विधानसभा सभा चुनावों में जीत से उत्साहित भाजपा पूरी गंभीरता से प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की और बढ़ रही है।
कांग्रेस का प्रदेश में संगठन को मजबूत करने की बजाय प्रदेश अध्यक्ष उदय भान अभी भी वफ़ादारी सिद्ध करने के प्रयोगों में लगे हुए हैं। अपनी विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद और प्रदेश में हार की कोई नैतिक जिम्मेदारी ले कर पद त्यागने की बजाय प्रदेश में गुटबाजी को मजबूत करने के उनके प्रयास को प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने झटका दिया है।
1987 में लोकदल की टिकट पर चुनाव जीते उदय भान 4 बार हरियाणा में विधायक रह चुके हैं। 1997 में कांग्रेस में शामिल हुए उदय भान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुडा के विश्वासपात्र माने जाते हैं। 2022 में कुमारी शैलजा के पद छोड़ने के बाद उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते पूरे प्रदेश में पार्टी का संगठन मजबूत करने और कार्यकर्ताओं में समानता का उत्साह स्थापित करने की जगह एक गुट विशेष के प्रति अपनी वफ़ादारी निभाने में ज्यादा व्यस्त रहे।
हाल ही में उदय भान ने जिला प्रभारियों की एक लिस्ट जारी की थी जिस पर प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने रोक लगा दी है। विधानसभा चुनावों में हार के बाद मजबूत संगठन की कमी स्पष्ट रूप से सामने आयी थी जिसको ले कर पार्टी हाई कमांड अब काफी गंभीर है।
जिला प्रभारियों की लिस्ट में जो फेर बदल किये गए उनके बारे में प्रदेश प्रभारी या हाई कमांड से सम्भवतया कोई बात नहीं की गई इसलिए लिस्ट को रोक दिया गया। दीपक बावरिया ने सीधे मीड़िया को जारी प्रेस नोट में कहा है कि ‘हरियाणा प्रदेश कार्यालय की और से 18 दिसंबर 2024 को जारी जिला प्रभारियों की नियुक्ति को अगले आदेश तक लंबित किया जाता है।
हरियाणा विधान सभा चुनाव के समय कुछ जिला प्रभारी बागी हो गए थे। कुछ नेताओं ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था जिन्हें पार्टी 6 साल के लिए निकाल चुकी है। इसलिए उदयभान ने उन नेताओं को हटा कर दूसरे नेताओं को जिला प्रभारी बना दिया था। इस लिस्ट में उदय भान ने कुछ जिला प्रभारियों के नामों में बदलाव किया था।
शारदा राठौर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था इसलिए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया था। ललित नागर की जगह नई नियुक्ति की गई। इसी तरह रोहतक में जयतीर्थ दहिया पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। जयप्रकाश हिसार से सांसद चुने गए थे। इस वजह से कुछ बदलाव सूची में किए गए थे।
इस लिस्ट में सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के गुट को जगह नहीं दी गई थी। माना जा रहा है इनकी शिकायत पर प्रदेश प्रभारी ने यह कार्यवाही की है। चुनावों में हार के बाद भी हरियाणा कांग्रेस में हुडा गुट का दबदबा बना हुआ है।
हालांकि अभी तक पार्टी की ओर से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की घोषणा अभी तक की नहीं गई है। प्रदेश प्रभारी ने जिस लिस्ट को रोका है उसमें प्रदेश अध्यक्ष ने 6 विधायक 12 पूर्व विधायक 2 पूर्व मंत्री के नाम शामिल किये थे।

ऐसी चर्चा है की हरियाणा में अगले साल होने वाले निकाय चुनावों से पहले पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर नई लिस्ट जारी की गई थी।
लेकिन निकाय चुनावों के लिए जहां भाजपा अपनी तैयारियों में जुटी हुई लगती है वही कांग्रेस का ढुलमुल रवैया जारी है। पिछली बार भी कांग्रेस निगम चुनावों से दूर रही थी। इस बार भी ऐसा लग रहा है की निर्दलियों को समर्थन दे कर ही कांग्रेस औपचारिकता निभाने की तैयारी में है।
हरियाणा में 11 नगर निगम 55 नगर पालिकाएं 28 नगर परिषद हैं। वर्तमान में 10 नगर निगमों के चुनाव लंबित हैं। सोनीपत से मेयर निखिल मदान और अम्बाला से मेयर शक्ति रानी शर्मा भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बन गए गए हैं।
पंचकुला नगर निगम का कार्यकाल अभी 2026 तक बाकी है। शहरी क्षेत्रों में सरकार बनाने के लिए भाजपा अपनी रणनीति पर पूरी तरह काम में लगी हुयी है। यमुनानगर करनाल पानीपत रोहतक हिसार गुरुग्राम फरीदाबाद में कार्यकाल पूरा हो चुका है वहां पर प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्था संभाल रहे हैं।
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व एक तरफ सत्ता से सीधा टकरा रहा है तो प्रदेश में नेतृत्व अपने राजनीतिक वर्चस्व को बनाने में लगा हुआ है जिसके कारण कांग्रेस का एक दशक से अपना आधार प्रदेश में सिमटता जा रहा है।
(जगदीप सिंह सिंधु वरिष्ठ पत्रकार हैं।)