प्रतिरोध
संस्कृति-समाज
जयंती पर विशेष: हर तरह का पाखंड बना देवताले की कलम का निशाना
हिंदी साहित्य में साठ के दशक में नई कविता का जो आंदोलन चला, चंद्रकांत देवताले इस आंदोलन के एक प्रमुख कवि थे। गजानन माधव मुक्तिबोध, नागार्जुन, शमशेर बहादुर सिंह, केदारनाथ अग्रवाल जैसे कवियों की परंपरा से वे आते थे।...
बीच बहस
रंज यही है बुद्धिजीवियों को भी कि राहत के जाने का इतना ग़म क्यों है!
अपनी विद्वता के ‘आइवरी टावर्स’ में बैठे कवि-बुद्धिजीवी जो भी समझें, पर सच यही है, इत्ते बड़े मुल्क में, एक सीधी सी बात को ऐसे खरेपन से कह देना, राहत इंदौरी के ही हिस्से में आया था। हिर्स करो,...
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केवल सात सेकेंड की शक्ति से झूठ-सच के अदल-बदल का खेल खत्म हो सकता है!
अब 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर मजबूत सरकार का मुद्दा बहुत मजबूती से उठाया...
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