“मैं यहां महज़ कहानी पढ़ने नहीं आया था। इस शहर ने एक बेहतरीन कलाकार और प्रतिभाशाली रचनाकार को निगल लिया…
फ़ासीवाद की बेड़ियां और आज़ादी का मतलब
आज़ादी के बाद जो लोग अब तक यह सोचते रहे कि चिंतन और चुनाव के लिए मनुष्य आज़ाद है और…
पुस्तक समीक्षा: समकालीन राजनीति की स्याह हकीकत का दस्तावेज है ‘जिओ पॉलिटिक्स’
लॉकडाउन के दौरान खोजी पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी ने फेसबुक पर ‘जिओ पॉलिटिक्स’ शीर्षक से एक लंबी सीरीज में जो कुछ…
लालू प्रसाद के भाषणों की किताब: तब जब बिहार चुनाव है, राम मंदिर बन रहा है और राज्यपाल का पद फिर चर्चे में है!
नई दिल्ली। एक ऐसे मौके पर जब बिहार चुनाव के पहले सत्ता पक्ष लालू प्रसाद और उनके कार्यकाल को मुद्दा…
जयंती पर विशेष: नामवर थे, नामवर सिंह
हिन्दी साहित्य के आकाश में नामवर सिंह उन नक्षत्रों में से एक हैं, जिनकी विद्वता का कोई सानी नहीं था।…
पाठ्यपुस्तकों से सेकुलरिज्म समेत दूसरी लोकतांत्रिक अवधारणायें हटाने के साथ संघ का एक और एजेंडा पूरा
आखिरकार नरेंद्र मोदी सरकार ने टेक्स्ट बुक पर धावा बोल ही दिया। मीडिया की खबर के मुताबिक सीबीएससी की 11वीं…
बरनवालः गांधीवादी चिंतक की गुमनाम विदाई
वीरेंद्र कुमार बरनवाल के निधन की सूचना वरिष्ठ पत्रकार और बड़े भाई जयशंकर गुप्त जी की पोस्ट से मिली। अचानक…
अथातो चित्त जिज्ञासा- भाग 4: मनोविश्लेषण का अपना नया सामाजिक संदर्भ
अथातो चित्त जिज्ञासा- भाग 4 (जॉक लकान के मनोविश्लेषण के सिद्धांतों पर केंद्रित aएक विमर्श की प्रस्तावना) (4) मनोविश्लेषण का…
जसवंत सिंह कंवल: विदा हो गया पंजाबी लोकाचार का प्रतिबद्ध महान कलमकार!
पंजाबी साहित्य को मानों ग्रहण लग गया है। कल डॉ. दलीप कौर टिवाणा विदा हुईं, अभी उनका अंतिम संस्कार भी…
आखिर क्यों कहना पड़ता है -‘आई कुड नॉट बी हिन्दू’ !
आज संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है, बाबा साहब ने अपने लेखन में सामाजिक विषमता…