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बावनी इमली शहीद स्मारक, जहां दी गयी थी 52 क्रांतिकारियों को फांसी
हमारे देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपनी जान देश के नाम कुर्बान की थी। इन शहीदों की [more…]
तहज़ीब की ताबानी पर साया-ए-सियाही- औरंगज़ेब से बहादुर शाह ज़फ़र तक तारीख़ की तौहीन का दर्दनाक फ़साना
तहज़ीब की रूह कभी-कभी चीख़ती नहीं, सिसकती है। वो शोर नहीं मचाती, बस ख़ामोश होकर हमारी पेशानी से अपना नूर वापस ले लेती है। और [more…]
अमर शहीद सुखदेव- भाग 1: समाजवादी क्रांतिकारी आंदोलन का एक गौरवशाली स्वर्णिम पृष्ठ
भारत के तीन महान समाजवादी क्रांतिकारी – सुखदेव (पूरा नाम: सुखदेव थापर – जन्म 15 मई 1907 – शहादत दिवस 23 मार्च 1931 -लुधियाना, पंजाब), भगत सिंह (जन्म 28 सितंबर 1907 – शहादत दिवस 23 मार्च 1931 – गाँव बंगा – अब पाकिस्तान), और राजगुरु [more…]
भगत सिंह की फांसी और ग़द्दारों की कहानी
अंग्रेजी राज में एक ऐसे जज भी हुए जिन्होंने भगत सिंह को फांसी की सजा दिलाना कबूल नहीं किया और निर्णय सुनाने से पहले अपने [more…]
मुश्किल तो अपने समय के सैकड़ों भगत सिंह के साथ खड़ा होना है- संदर्भ भगत सिंह शहादत दिवस
पहली बात कि भगत सिंह का मानना था कि ब्रिटिश साम्राज्य भारत के बहुसंख्यक लोगों के हितों के खिलाफ है। ध्यान रहे बहुसंख्यक न कि [more…]
प्रायोजित और बिल्कुल नकली है हिंदू-उर्दू विवाद
हिन्दी और उर्दू दो भाषा नहीं एक ही भाषा थी जिसे हिन्दोस्तानी कहा जाता था। जिस तरह आज खुशी-खुशी अंग्रेजी बाँचने को गर्वितदृष्टि से देखते [more…]
मोदी जी, अगर देश का सम्मान बचा नहीं सकते तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते?
एक देश कैसे मरता है, अमृतसर में उतरने वाले अमेरिकी सैन्य विमान और उनमें हथकड़ियों और बेड़ियों से बंधे बैठे भारतीय नागरिक उसकी खुली निशानी [more…]
हादसों पर रेल मंत्रियों का रुख़ उनकी संवेदनशीलता की शिनाख़्त
15 फ़रवरी की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ जमा हो गयी और बदइंतज़ामी ने उस भीड़ को भगदड़ में बदल दिया। दर्जन [more…]
निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पीएम मोदी भी जानते थे, कनाडाई रिपोर्ट को भारत सरकार ने किया खारिज
नई दिल्ली। एक कनाडाई मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में [more…]
क्यों गांधी के प्रति आंबेडकर आक्रोश से भरे हुए हैं, जबकि नेहरू के प्रति एक सद्भावना है
गांधी की मौत (1948) के करीब सात साल बाद डॉ. आंबेडकर बीबीसी को एक इंटरव्यू ( 26 फरवरी 1955) देते हैं, जिसमें वे गांधी के [more…]