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संस्कृति-समाज
जन्मदिन पर विशेष: भगत सिंह चाहते थे सर्वहारा की सत्ता
भगत सिंह को भारत के सभी विचारों वाले लोग बहुत श्रद्धा और सम्मान से याद करते हैं। वे उन्हें देश पर कुर्बान होने वाले एक जज़बाती हीरो और उनके बलिदान को याद करके उनके आगे विनत होते हैं। वे...
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चीफ जस्टिस ने कहा- नहीं चल पाएगी अंग्रेजों के जमाने की न्याय व्यवस्था
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि भारत की न्याय व्यवस्था औपनिवेशिक है और समय के हिसाब से अब इसमें परिवर्तन की जरूरत है। इसका भारतीयकरण जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि भारतीयकरण से मेरा तात्पर्य है...
ज़रूरी ख़बर
संघर्षों और बलिदानों से भरा पड़ा है हिंदी पत्रकारिता का इतिहास
1826 की 30 मई को कोलकाता की आमड़ातल्ला गली से प्रकाशित अल्पजीवी हिंदी पत्र उदन्त मार्तण्ड ने इतिहास रचा था। यह साप्ताहिक पत्र था। पत्र की भाषा पछाँही हिंदी थी, जिसे पत्र के संपादकों ने “मध्यदेशीय भाषा” कहा था।...
ज़रूरी ख़बर
अफगानिस्तान की कहानी नेहरू की जुबानी
सन् 1919 को अफगानिस्तान औपचारिक तौर पर ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त हुआ था। 19 अगस्त अफगानिस्तान अपनी स्वाधीनता दिवस मनाता है। इस संदर्भ में अपनी किताब विश्व इतिहास की झलक में जवाहर लाल नेहरू लिखते हैं कि...
बीच बहस
दूसरी किस्त: हेडगेवार-गोलवलकर ने स्वाधीनता संग्राम के प्रति अपनी नफरत को कभी नहीं छुपाया!
अनिल जैन -
जिस तरह भारत-विभाजन की ऐतिहासिक विभीषिका इतिहास में अमिट है और जिसे कोई भुला या झुठला नहीं सकता, उसी तरह इस हकीकत को भी कोई नहीं नकार या नजरअंदाज कर सकता है कि मौजूदा सत्ताधीशों के वैचारिक पुरखों का...
बीच बहस
स्वतंत्र भारतः अधूरे सपनों का ख्वाबगाह
औपनिवेशिक शासन से भारत की मुक्ति के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वाधीनता आंदोलन के नेताओं के सपनों और आकांक्षाओं का अत्यंत सारगर्भित वर्णन अपने प्रसिद्ध भाषण 'ए ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी' में किया था। उन्होंने कहा...
ज़रूरी ख़बर
जातिगणना पर हायतौबा क्यों?
जातिगणना की मांग जोर पकड़ने लगी है। पक्ष और विपक्ष में दावे अपनी जगह हैं और जनगणना जैसी जरूरी और वैज्ञानिक प्रक्रिया से समाजिक संदर्भों का अध्ययन, अपनी जगह है। ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता द्वारा संग्रहीत गजेटियर आज भी भारत...
ज़रूरी ख़बर
21 सिख बनाम 10000 पठान यानी सारागढ़ी युद्ध की क्या है हकीकत?
अभी पिछले दिनों केसरी (Kesari) के नाम से एक नई फिल्म रिलीज़ हुई है। ये एक ऐतिहासिक फ़िल्म है। इसमें सारागढ़ी की मशहूर जंग दिखाई गई है। इसमें बताया गया है कि केवल 21 सिखों ने 10000 पठानों का...
संस्कृति-समाज
फटे जूते वाले प्रेमचंद !
Janchowk -
प्रेमचंद जब अपनी लेखनी से गुलाम जनता में आज़ादी का मानस जगा रहे थे तब कुबेर का खज़ाना उनके पास नहीं था सत्ता की दी हुई जागीरदारी नहीं थी। यह तथ्य बताता है की साहित्य रचने के लिए धन...
बीच बहस
गांधी ने किस तरह किया राजद्रोह के मुकदमे का सामना, पेश है पूरी दास्तान
हर कानून का दुरुपयोग न केवल बुरा है, बल्कि यह खुद भी कानून का उल्लंघन है, पर यह बात भी काफी हद तक सही है कि हर कानून का कुछ हद तक दुरुपयोग होता आया है और अब भी...
Latest News
मुख्तार अंसारी की मौत का मामला प्रथमदृष्टया संदिग्ध, उच्च स्तरीय जांच हो: PUCL
लखनऊ। 28 मार्च, 2024 की रात जेल में बंद पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत की...
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