Wednesday, April 24, 2024

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किसान आंदोलन तैयार कर रहा है बदलाव की नई जमीन

कल के टेलिग्राफ में प्रभात पटनायक का एक लेख है — A Promethian moment ( The farmer’s agitation challenges theoretical wisdom)। बंधन से मुक्ति का क्षण; किसानों के आंदोलन ने सैद्धांतिक बुद्धिमत्ता को ललकारा है। जाहिर है, यह किसान आंदोलन...

तालिबान का दसवीं प्रांतीय राजधानी गजनी पर कब्जा, सरकार ने की सत्ता में भागीदारी की पेशकश

तालिबान सशस्त्र समूह ने राजधानी काबुल से लगभग 130 किमी (80 मील) दक्षिण-पश्चिम में गजनी प्रांत की राजधानी ग़जनी पर कब्जा कर लिया है। यह कुछ ही दिनों में तालिबानी कब्जे में जाने वाली 10वीं प्रांतीय राजधानी है। गज़नी के...

देश के लोकतांत्रिक वजूद के लिए खतरा हैं आरएसएस और बीजेपी: अखिलेंद्र

देश अपने राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन के सबसे बुरे दौर में है। मोदी सरकार के केन्द्रीय सत्ता पर काबिज होने के साथ देश में गुणात्मक परिवर्तन शुरू हुए। आज वैश्विक पूँजी और बड़ी भारतीय पूंजी ने राज्य पर अपनी...

आडंबर, अंधविश्वास और शोषण के बिल्कुल खिलाफ थे शहीद-ए-आजम भगत सिंह

शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने स्वतंत्रता से पूर्व कांग्रेस की पूंजीवादी व सामंतवादी नीतियों के खिलाफ जमकर लिखा था। एक लेख में उन्होंने लिखा था कि समाज के प्रमुख अंग होते हुए भी आज मजदूरों और किसानों को उनके प्राथमिक...

ट्रेन में न जाति न मज़हब!

यह अकेला हिंदुस्तान ही है, जहाँ ट्रेन के सफ़र में हम एक दूसरे के इतना करीब आ जाते हैं, कि संकोच संकोच में ही अगले के बारे में सब कुछ जान जाते हैं कोविड के पहले एक बारमैं और...

झारखंड की राजधानी रांची में संविदाकर्मियों पर बरसी पुलिस की लाठियाँ

सत्ता बदल जाने से सत्ता का चरित्र नहीं बदल जाता है, इसका ताजा उदाहरण कल झारखंड की राजधानी रांची में उस वक्त देखने को मिला, जब संविदाकर्मी अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के...

कृषि कानून: मकान और कपड़ा के बाद अब रोटी पर कॉरपोरेट के कब्जे की तैयारी

(आज इलाहाबाद में संवाद द्वारा 'कृषि कानून-2020' विषय पर एक सामूहिक चर्चा  आयोजित की गयी। इसमें बतौर मुख्य वक्ता कवि, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुशील मानव ने हिस्सा लिया। पेश है इस मौके पर उनके द्वारा रखा गया पूरा...

घोड़े की गर्दन पर किसानों की गिरफ्त!

प्रत्येक व्यवस्था की अपनी अन्तर्निहित गतिकी (डाइनामिक्स) होती है, जिसके सहारे वह अपना बचाव और मजबूती करते हुए आगे बढ़ती है। भारत में निजीकरण-निगमीकरण के ज़रिये आगे बढ़ने वाली नवउदारवादी/वित्त पूंजीवादी व्यवस्था, जिसे नव-साम्राज्यवाद की परिघटना से जोड़ा जाता...

ठेके की खेती में नहीं उतरने की घोषणा करने वाले अडानी का बेहद विशाल है कारोबारी साम्राज्य

कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच अडानी और अंबानी समूह चर्चा में हैं। कुछ दिन पहले अंबानी समूह की ओर से सफाई के बाद अडानी समूह ने भी सफाई दी है कि वह किसानों...

‘तुम्हारी औकात नहीं है जो राजधानी में सफर करो’ कहते हुए दो मजदूरों को राजधानी से उतारा

कृषि और रेलवे के कारपोरेटीकरण का जमीनी असर दिखने लगा है, कहीं किसान को लूटकर व्यापारी बिना भुगतान के भाग जा रहे हैं तो रेलवे के निजीकरण के बीच क्लास थ्री कर्मचारी टीटीई को भी लगने लगा है कि...

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स्मृति शेष: सत्यजीत राय- वह जीनियस फ़िल्मकार जिसने पहली फिल्म से इतिहास रचा

सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत...