कल 22 फरवरी को देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपना आखिरी बजट पेश किया। 5,50,270.78 करोड़ के बजट में धार्मिक स्थलों के विकास, गौशालाओं, एक्सप्रेसवे और एयरपोर्ट के लिए...
पटना। किसानों का यह आंदोलन सिर्फ कृषि कानूनों के खिलाफ ही नहीं, लोकतंत्र, संविधान और देश बचाने के साथ-साथ अस्तित्व बचाने का संघर्ष है । आपदा की घड़ी में मोदी सरकार ने देश के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को पूंजीपतियों के...
बिहार में 'शहीद जगदेव-कर्पूरी संदेश यात्रा शुरू की गई। यह यात्रा 'शहीद जगदेव-कर्पूरी का संदेश, बहुजन हो एक' और 'ब्राह्मणवादी-पूंजीवादी हमले के खिलाफ संघर्ष करो तेज' के आह्वान के साथ गांव-गांव तक शहीद जगदेव प्रसाद और कर्पूरी ठाकुर के...
जीवन में अनेक ऐसे अवसर आए जब गांधी जी को अपना परिचय देने की आवश्यकता पड़ी और हर बार उन्होंने स्वयं की पहचान किसान ही बताई। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे गांधी अहमदाबाद में एक...
संघ-भाजपा गठजोड़ द्वारा कारपोरेट-पूंजपीतियों के हित में लाए गए नए कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन चरम पर है। वर्तमान समय में इस आंदोलन को कई नजरिए से व्याख्यायित किया जा रहा है। जिसमें उच्च जातीय-उच्च वर्गीय एवं परजीवी...
जैसे-जैसे किसान आंदोलन की समयावधि लंबी खिंचती जा रही है आंदोलन में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज़ की जा रही है। इसी कड़ी में आज रविवार की सुबह आंदोलन में शामिल अमरजीत सिंह नामक एक वकील ने हरियाणा के...
25 दिसंबर को 'मनुस्मृति दहन दिवस' पर देश के कई राज्यों सहित बिहार-यूपी में बहुजन संगठनों ने मनुस्मृति के साथ मनुवादी-पूंजीवादी गुलामी थोपने के कानूनों-प्रावधानों-नीतियों का दहन किया। इस मौके पर मनुस्मृति के साथ मनुविधान थोपने के एजेंडे, तीनों...
अपनी कथित फकीरी का ढिंढोरा पीटने वाले नरेंद्र मोदी नीत भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने अपने पहले पूर्णकालिक शासनकाल में पूंजीपतियों को वारे न्यारे करते हुए भारतीय बैंकों से पहले लोन दिलवाया और फिर करीब 8 लाख...
अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य ने चुनाव से कुछ पहले कानून बना दिया कि किसी तरह का कोई जुर्माना अदा न करने वालों का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाये। इस तरह साढ़े सात लाख गरीब लोग मतदाता सूची...
युवाल नोह हरारी की बहु-प्रचारित किताब `सेपियंस` पढ़कर एक टिप्पणी।
“मध्य युग के कुलीन सोने और रेशम के रंग-बिरंगे लबादे पहनते थे और अपना ज़्यादातर समय दावतों, जश्नों और भव्य टूर्नामेंटों में बिताया करते थे। उनकी तुलना में आधुनिक युग...