भारतीय सिनेमा को प्रेम से बड़ा प्रेम है। वह अमीर और गरीब के बीच होने वाले प्रेम, धर्म-क्षेत्र-भाषा की सीमाओं के…
‘गुलामगिरी’: शूद्रों-अतिशूद्रों की मुक्ति का दस्तावेज
1 जून यानी आज 2020 को ‘गुलामगिरी’ पुस्तक के 147 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह महात्मा ज्योतिबा फुले (11…
आखिर भारत में क्यों नहीं होता जातीय भेद और ब्राह्मणवादी वर्चस्व के खिलाफ अमेरिका जैसा प्रतिरोध?
अमेरिका की तस्वीरें अखबारों और सोशल मीडिया पर पूरी दुनिया ने देखी हैं। निजी तौर पर अमेरिका और उसका कथित…
शहर छोड़ने वाले मजदूरों को पीसने के लिए तैयार है गांव की जातिवादी चक्की
बिहार के गाँवों से बहुत सारे मज़दूर दो पैसा कमाने के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों…
मेहनतकशों के शोषण-उत्पीड़न की वैदिक-सनातन परंपरा
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद्वाहू राजन्य: कृत:। उरू तदस्य यद्वैश्य: पद्भयां शूद्रो अजायत॥ (पुरुष सूक्त ऋग्वेद संहिता के दसवें…
भीड़ का कोई धर्म नहीं होता, न ही होती है कोई जाति और नस्ल
मार्टिन नीम्वैलर (1892-1984) ने जर्मनी में नाज़ी शासन के अंतिम 7 साल यातना शिविरों में बिताए, वे पेशे से प्रोटेस्टेंट…
संघ की टेक्निक को जाने बग़ैर नहीं समझी जा सकती है उसकी राजनीति
संघ का हमेशा से एक गूढ़ उद्देश्य रहा है कि उसको कथित ऊंची जातियों की, उसमें भी ऊंची जातियों के…
जन्मदिन पर विशेष: हिंदुओं के धर्म, ईश्वर और जाति का विनाश क्यों चाहते थे राहुल सांकृत्यायन?
राहुल सांकृत्यायन (9 अप्रैल 1893-14 अप्रैल 1963) बचपन का नाम केदारनाथ पाण्डेय, वैरागी साधु बनने पर नाम पड़ा राम उदार…
हर तरीक़े से संदिग्ध हो गया है भारत के मध्य और उच्च वर्ग का चरित्र
भारत का मध्य और उच्च वर्ग ख़ास तौर पर उच्च जातियों का वर्ग ‘करुणा’ शब्द और उसके अर्थ अभिप्राय का…
पीएम मोदी के चुनावी क्षेत्र में घास की रोटी खा रहे हैं लोग
वाराणसी। कुछ गज जमीन, जर्जर मकान, सुतही-घोंघा और चूहा पकड़कर जीवन की नैया खेते-खेते थक हार चुके मुसहर समुदाय को…