मुश्किल तो अपने समय के सैकड़ों भगत सिंह के साथ खड़ा होना है- संदर्भ भगत सिंह शहादत दिवस
पहली बात कि भगत सिंह का मानना था कि ब्रिटिश साम्राज्य भारत के बहुसंख्यक लोगों के हितों के खिलाफ है। ध्यान रहे बहुसंख्यक न कि [more…]
पहली बात कि भगत सिंह का मानना था कि ब्रिटिश साम्राज्य भारत के बहुसंख्यक लोगों के हितों के खिलाफ है। ध्यान रहे बहुसंख्यक न कि [more…]
सम्+आज = समाज! समाज स्वयं को सार्वकालिक स्वरूप में देखता है। सम का अर्थ है समान और आज का अर्थ है अब, इस पल। कितनी [more…]
‘जो कोई भी कठिन श्रम से कोई चीज़ पैदा करता है, उसे यह बताने के लिए किसी खुदाई पैगाम की जरुरत नहीं कि पैदा की [more…]
पूंजीवाद की जय और साम्यवाद की पराजय के उद्घोष के इस दौर में वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता दार्शनिक, अर्थशास्त्री, समाजविज्ञानी और पत्रकार कार्ल मार्क्स {1818 [more…]
जिन लोगों को लगता है यह व्यवस्था पूंजीपतियों के लिए है और इसमें बहुसंख्यक जनता न्यूनतम जरूरतें भी पूरी नहीं कर सकती, वे इस व्यवस्था [more…]
अल्योशा यानी अलिक्सेय मक्सिमाविच पेशकोफ यानी मैक्सिम गोर्की पीड़ा और संघर्ष की विरासत लेकर पैदा हुए। उनके बढई पिता लकड़ी के संदूक बनाया करते थे [more…]
डॉ. बीआर अम्बेडकर का साम्यवाद और मार्क्सवाद से संबंध जटिल था। अम्बेडकर वर्ग पर मार्क्सवादी जोर के आलोचक थे और उनका मानना था कि जाति [more…]
ममता के पुनराभिषेक की शुरुआत जमालपुर की वामपंथी महिला नेत्री काकोली खेत्रपाल (52 वर्ष) की बलि के साथ हुयी। महिला सशक्तीकरण की स्वयंभू बड़ी अम्मा [more…]
पत्रकारों को कम वेतन नहीं देना चाहिए। कम वेतन पाने वाला पत्रकार अधिक खतरनाक हो सकता है। कभी यह रोचक निष्कर्ष निकाला था, पूर्व अमेरिकी [more…]
मुल्क में तरक्की पसंद तहरीक जब परवान चढ़ी, तो उससे कई तख्लीककार जुड़े और देखते-देखते एक कारवां बन गया, लेकिन इस तहरीक में उन तख्लीककारों [more…]