Sunday, April 28, 2024

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चिकित्सा आपातकाल को राजनीतिक आपातकाल में बदलने की कवायद

आखिर एक अदद समन- जो बुनियादी तौर पर एक कानूनी नोटिस होती है - शहर से सात सौ किलोमीटर दूर रह रहे वेब जर्नल के एक सम्पादक को पहुंचाने के लिए कितने पुलिसकर्मियों की जरूरत होती है, जबकि ईमेल,...

पीएम मोदी ने संपादकों से बात ज़रूर की लेकिन प्रकाशित करने के लिए नहीं बल्कि ख़बरों को छुपाने के लिए

नई दिल्ली। लॉक डाउन की घोषणा से पहले सरकार ने भले ही कोई तैयारी न की हो लेकिन उसने एक बात की तैयारी ज़रूर की थी कि कैसे लॉक डाउन से जुड़ी  नकारात्मक ख़बरों को दबाया जाए। इस सिलसिले...

‘समयांतर’ में अटकी है हिंदी की राजनीतिक और वैचारिक पत्रकारिता की जान: असद जै़दी

हिन्दी के वरिष्ठ कवि, गद्यकार और विचारक असद ज़ैदी ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता में बतौर संपादक पंकज बिष्ट से ज़्यादा योगदान शायद ही किसी का रहा हो। इस बेशर्म युग में हिन्दी की राजनीतिक और वैचारिक पत्रकारिता की...

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वकीलों के हड़ताल से न्याय के शत्रु खुश होते हैं

मऊ, ‘‘तारीख पे तारीख...!’‘ ‘लेकिन इंसाफ नहीं मिलता है।’  फिल्म ‘दामिनी’ का डायलॉग कोर्ट कचहरी को लेकर बहुत मशहूर...