Tag: inequality
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अब गैर-बराबरी और सामंतवाद का भी महिमामंडन!
देश में आर्थिक गैर-बराबरी पर छिड़ी, लेकिन गुमराह होती गई बहस में कूदते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक चुनाव सभा में टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘यह अमेरिका नहीं, भारत है। भारत की संस्कृति, परंपरा और नैतिक मूल्य अमेरिका जैसे नहीं हैं। भारत, भारत है।’…
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चमकता बनाम डूबता भारत!
सबसे महंगी श्रेणी की कारों की मांग और हवाई यात्राओं की संख्या बढ़ने, मॉल्स या शहरी बाजारों में चहल-पहल और सकल घरेलू उत्पाद की अपेक्षाकृत ऊंची दर के बीच भारत में बढ़ती गरीबी या बदहाली की चर्चा अगर आपके सामने पहेली बनी हुई हो, तो अब सामने आए ताजा आंकड़ों से आपको इस कौतूहल से…
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कोविड-19 ने चौड़ी कर दी है देश और समाज में असमानता की खाई
नव वर्ष आने के साथ कोविड-19 ने फिर से दस्तक देना शुरू कर दिया है। कोविड-19 तथा असमानता के बढ़ने के बीच एक सीधा सम्बन्ध रहा है -ऐसा कोरोना की पहली और दूसरी लहर में स्पष्ट हुआ। दोनों का ही बढ़ना अच्छा नहीं है। एक का बढ़ना स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल है तो दूसरा गैर…
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नई ऊंचाइयों पर है भारत में असमानता
विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के आंकड़ों के बाद भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता फिर चर्चा में है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1 प्रतिशत सर्वाधिक अमीर लोगों के पास 2021 में कुल राष्ट्रीय आय का 22% हिस्सा था, जबकि शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय के 57 प्रतिशत भाग पर काबिज थे। हमारे देश की आधी…
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नवउदारवाद और टपक बूंद सिद्धांत के दिवालियेपन को उजागर करती है वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट
7 दिसम्बर, 21 को ज़ारी वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट (World Inequality Report*) 2022 रिपोर्ट ने पिछली सदी के आखरी दशक से ज़ारी नवउदारवादी दौर के सबसे बड़े झूठ का पर्दाफाश करते हुए तथ्यों के आधार पर यह स्थापित किया है कि नवउदारवाद के समर्थक विद्वानों द्वारा पढ़ाया जा रहा ज्ञान कितना बोदा और भ्रामक है। हमें…
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भारतीय समाज में मार्क्स से पहले सैकड़ों हजारों ज्योतिबा की जरूरत है
वैश्विक संदर्भों में कई बार ये सवाल उठता है कि आखिर भारत में इतनी असमानता और गरीबी होने के बावजूद, ये तबका वर्ग संघर्ष की कसौटी पर एकजुट क्यों नहीं हो सका? इतनी बड़ी संख्या में मजदूर और गरीब आखिर अछूते क्यों रह गए, उनकी सांगठनिक शक्ति प्रबलता से सामने क्यों नहीं आई।इसका एक सीधा…
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चंद्रकांत देवताले की पुण्यतिथिः ‘हत्यारे सिर्फ मुअत्तिल आज, और घुस गए हैं न्याय की लंबी सुरंग में’
हिंदी साहित्य में साठ के दशक में नई कविता का जो आंदोलन चला, चंद्रकांत देवताले इस आंदोलन के एक प्रमुख कवि थे। गजानन माधव मुक्तिबोध, नागार्जुन, शमशेर बहादुर सिंह, केदारनाथ अग्रवाल जैसे कवियों की परंपरा से वे आते थे। अपने अग्रज कवियों की तरह उनकी कविताओं में भी जनपक्षधरता और असमानता, अन्याय, शोषण के प्रति…
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मंडल कमीशन के आईने में असमानता के खिलाफ जंग और मौजूदा स्थिति
विश्व के किसी भी असमानता वाले देश में स्वघोषित आरक्षण होता है। ऐसे समाजों में कुछ तबके ऐसे होते हैं जो उस स्वघोषित आरक्षण का लाभ उठाते हैं। अगर इस स्वतःस्फूर्त आरक्षण को सकारात्मक कार्रवाई कर सदियों से मलाई काट रहे लोगों के हाथों से लेकर वंचितों को भागीदारी न दी जाए, तब तक असमानता…