neoliberalism
बीच बहस
ऐसे निरुद्वेग सूत्रीकरणों का क्या लाभ?
चौदह फ़रवरी के ‘टेलिग्राफ’ में प्रभात पटनायक की एक टिप्पणी है- (नव-उदारवाद से नव-फासीवाद ) गोपनीय संपर्क । From neoliberalism to neofascism : Hidden link।
प्रभात के शब्दों में कहें तो यह नव-फासीवाद की वर्गीय प्रकृति का सैद्धांतीकरण है। दरअसल...
बीच बहस
ताकि भारत न बने पाखंडी-राष्ट्र!
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के शुरू से ही केंद्र की भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला चल रहा है। किसान संगठनों द्वारा 8 दिसंबर को...
बीच बहस
कोरोना महामारी : अमीर इंडिया बनाम गरीब भारत
भारत में बीसवीं सदी का अंतिम दशक ख़त्म होते-होते समस्त मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों, मंचों और माध्यमों से गरीबी की चर्चा समाप्त हो गई। देश की शासक जमात के बीच यह तय माना गया कि अब देश में गरीबी...
बीच बहस
फोर्ड फाउंडेशन के बच्चों का राजनीतिक आख्यान
पिछले दिनों 'इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित एक खबर पर नज़र गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा छपा था कि उन्होंने राजनीति का आख्यान (नैरेटिव) बदल दिया है। पिछली सदी के अंतिम दशकों में जब इतिहास से लेकर...
बीच बहस
सीएए, एनआरसी विरोधी आंदोलन से आशा और संभावनाएं
कश्मीर-समस्या, मंदिर-मस्जिद विवाद, असम-समस्या (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) और नागरिकता संशोधन कानून पर सरकार के फैसलों की चार बातें स्पष्ट हैं: (1) फैसले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नीयत से प्रेरित हैं। (2) फैसलों में लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं का...
ज़रूरी ख़बर
राजनीतिक पराजय के बाद की पुकार!
लेख के शीर्षक में राजनीतिक पराजय से आशय देश पर नवसाम्राज्यवादी गुलामी लादने वाली राजनीति के खिलाफ खड़ी होने वाली राजनीति की पराजय से नहीं है। वह पराजय पहले ही हो चुकी है, क्योंकि देश के लगभग तमाम समाजवाद,...
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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान
मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...
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