वैसे निर्लज्जता की कोई सीमा नहीं होती है। यह बात कल प्रधानमंत्री मोदी की उस पहल से समझ में आयी…
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस बनाम नफरत की निर्मिति
14 अगस्त की सुबह 10 बजे के लगभग हमारे अति संवेदनशील प्रधानमंत्री जी को अचानक इलहाम हुआ कि वे अनायास…
पुस्तक समीक्षा: भारत की मौजूदा राजनीति और जिन्ना पर एक नज़र ए सानी
अगले साल, दो हज़ार बाइस (2022) में भारतीय उपमहाद्वीप अपनी आज़ादी के पचहत्तर (75) साल पूरे करने जा रहा है।…
कृश्न चंदर की पुण्यतिथि: कड़वी हकीकत का सच्चा अफसानानिगार
उर्दू अदब, खास तौर से उर्दू अफसाने को जितना कृश्न चंदर ने दिया, उतना शायद ही किसी दूसरे अदीब ने दिया हो।…
पुण्यतिथिः कथ्य और संवेदना के स्तर पर मंटो के करीब है शानी का लेखन
शानी के मानी यूं तो दुश्मन होता है और गोयाकि ये तखल्लुस का रिवाज ज्यादातर शायरों में होता है, लेकिन…
हमारे जिया भाई: इतिहास का एक अहम दौर जिनकी आंखों से होकर गुजरा!
इलाहाबाद के प्रगतिशील राजनीति और साहित्य से जुड़ा हर व्यक्ति जिया भाई को जानता ही जानता है, वे इन दोनों…
गुलज़ार ने कविता के जरिये पूछा- ख़ुदा जाने, ये बटवारा बड़ा है, या वो बटवारा बड़ा था!
कोरोना से निपटने के नाम पर देश में 24 मार्च की रात को अचानक की गई लॉकडाउन की घोषणा ने…
तपती गर्मी में भूखे प्यासे पैदल चलते लोग
हम मई के ठीक मध्य में खड़े हैं। मौसम बेहद गर्म है और कुछ जगहों पर गर्म हवा चलने लगी…
एक ज़िंदा कसक का नाम है मंटो, जो हमेशा बनी रहेगी
आज, 11 मई को उर्दू के अनोखे अफसानानिगार सआदत हसन मंटो का जन्मदिन है। उन्हें याद करते हुए पहले उनकी…
ग्राउंड रिपोर्टः मजबूर कॉलोनी का नारा है, हिंदुस्तान हमारा है
‘मजबूर कॉलोनी का नारा है, हिंदुस्तान हमारा है’। ये बिल्कुल यूनिक सा नारा अपनी राष्ट्रीयता को क्लेम करते हुए अनशन…