Tag: poem
और याद आएगी उसकी शिकन भरी पेशानी
(सीपीएम महासचिव कॉमरेड सीताराम येचुरी का निधन हो गया है। वह 72 साल के थे। उनके असमय जाने से न केवल लेफ्ट बल्कि लोकतांत्रिक और [more…]
निराला की कविता में मनुष्य राग
यह संयोग ही है कि मेरे प्रियतम कवियों में निराला रहे हैं। जब मैं आठवीं कक्षा का छात्र था तभी उनकी कवितायें गुनगुनाता था। इस [more…]
लोकल से ग्लोबल तक का सफर करतीं भाषा की बहुरंगी कविताएं
नई दिल्ली। भाषा सिंह की ”कविताएं बहुरंगी हैं। किस तरह के समाज की कल्पना हम करते हैं, उसके प्रति चिंता व्यक्त करती हैं। लोकल से ग्लोबल और [more…]
मेरा रंग फाउंडेशन ने ‘समाज में भाषा और जेंडर’ पर आयोजित की संगोष्ठी, तसलीमा नसरीन ने पढ़ीं कविताएं
नई दिल्ली। मेरा रंग फाउंडेशन के 7 वर्ष पूरे होने पर साहित्य अकादमी सभागार, रवींद्र भवन में ‘समाज में भाषा और जेंडर’ विषय पर एक [more…]
मनोज कुमार झा का लेख: कविता राजनीति की आत्मा है, यह हमेशा से संसद का हिस्सा रही है
भारत की संसद के पवित्र हॉल में, जहां कानून बनाये जाते हैं और नियति को आकार दिया जाता है, हमेशा शब्दों का निर्विवाद प्रभाव रहा [more…]
पुस्तक समीक्षा: अपने समय के सच को उजागर करती मारक विमर्श की कविताएं
पुस्तक समीक्षा: कवि पंकज चौधरी समाज की वर्तमान अवस्था पर पैनी नज़र रखने वाले विलक्षण कवि हैं। इनकी कविता के परिसर में नकली यथार्थ और [more…]
पाश: ज़िस्म कत्ल होने से फलसफा और लफ्ज़ कत्ल नहीं होते!
पाश न महज पंजाबी कविता बल्कि समूची भारतीय कविता के लिए एक जरूरी नाम हैं। जब भी भारतीय साहित्य की चर्चा होगी, उनका उल्लेख जरूर [more…]
प्रकट-प्रछन्न जंज़ीरों से दबी कुचली इंसानियत की मुक्ति का गान हैं मोहन की कविताएं
दलित साहित्यकारों और एक्टिविस्टों ने आधुनिकता के मुहावरे और ढांचे में अपने संघर्ष को स्थापित किया है। मूल्यों के असमान हिंदू सिस्टम के खिलाफ उन्होंने [more…]
पहाड़ की खुरदुरी जमीन पर मोहन मुक्त ने खड़ा किया है कविता का हिमालय
वो तुम थे एक साधारण मनुष्य को सताने वाले अपने अपराध पर हँसे ठठाकर, और अपने आसपास जमा रखा मूर्खों का झुंड अच्छाई को बुराई [more…]
अजय सिंह की कविताएं करती हैं सीधे दुश्मन की शिनाख्त
नई दिल्ली। गुलमोहर किताब ने वरिष्ठ कवि अजय सिंह की नई किताब ‘यह स्मृति को बचाने का वक़्त है‘ पर चर्चा और कविता पाठ का [more…]