जयंती पर विशेष: अकेले को सामूहिकता और समूह को साहसिकता देने वाले धूमिल

सुदामा पाण्डेय यानी धूमिल ताउम्र जिन्दा रहने के पीछे मजबूत तर्क तलाशते रहे। कहते रहे ‘तनों अकड़ो अपनी जड़ें पकड़ो,…

जयंती पर विशेष : व्यवस्था के खिलाफ मुक्तिबोध में दबा बम धूमिल में फट पड़ा!

‘क्या आजादी सिर्फ तीन थके हुए रंगों का नाम है, जिन्हें एक पहिया ढोता है या इसका कोई मतलब होता…

एक था बीकू: बेटे की याद में कॉमरेड येचुरी को याद आई महाकवि निराला की कालजई कविता

नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 1980 के दशक के प्रारंभ में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया…

भाजपा को एक उथले गड्ढे में गाड़ दो! पढ़िए अरुंधति रॉय की कविता

(अरुंधति रॉय प्रसिद्ध लेखिका हैं।)

पूंजी की सभ्यता-समीक्षा के कवि मुक्तिबोध

मुक्तिबोध गहन संवेदनात्मक वैचारिकी के कवि हैं। उनके सृजन-कर्म का केंद्रीय कथ्य है-सभ्यता-समीक्षा। न केवल कवितायें बल्कि उनकी कहानियां, डायरियां,…

घना होता अंधेरा, मध्यवर्ग का चरित्र और मुक्तिबोध की कविता ‘अंधेरे में’ 

                                       (पूँजी…

गुलज़ार ने कविता के जरिये पूछा- ख़ुदा जाने, ये बटवारा बड़ा है, या वो बटवारा बड़ा था!

कोरोना से निपटने के नाम पर देश में 24 मार्च की रात को अचानक की गई लॉकडाउन की घोषणा ने…

धूमिल के साहित्य के केंद्र में है लोकतंत्र की आलोचनाः प्रो. आशीष त्रिपाठी

वाराणसी। उदय प्रताप कॉलेज के हिंदी विभाग और धूमिल शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा संकाय के सभागार में…

अल्लामा इकबाल का नाम सुना है साहब !

लखनऊ। कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे में ढल गए, कुछ वैसे हुए जिन्होंने सांचे बदल दिए। यह लाइन…

‘क माने कश्मीर लहूलुहान है’

कश्मीर लहूलुहान है। भारत समर्थक नेताओं सहित कश्मीर की आम अवाम संगीनों के साये में है। नागरिकों के अधिकार छीन…