Friday, June 2, 2023

Poor

महात्‍मा गांधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय मोतिहारी में आरक्षण का उड़ता मखौल

महात्‍मा गांधी दलितों को "हरिजन" कहते थे और पूना पैक्‍ट के वक्‍त उन्‍होंने अंबेडकर को भरसक विश्‍वास दिलाने का प्रयास किया था कि वे सवर्ण हिंदुओं को दलितों के साथ भेदभाव नहीं करने देंगे। गांधी जी की तमाम भलमनसाहत...

आखिर गरीबों, दलितों और वंचितों पर कहर बनकर क्यों टूट पड़ती है पुलिस?

किसी बड़ी महामारी के बीत जाने के बाद, उससे जुड़े कुछ दृश्य और घटनाएं लोक-चेतना में स्थाई निवास बुन लेते हैं। कोरोना की दो लहरों के दौरान हुई मीडिया कवरेज में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी, जलती चिताएं, ऑक्सीजन...

गरीबों के आंदोलनकारी व उनके प्रतिनिधियों का 4 अक्टूबर को होगा दिल्ली में सम्मेलन

लखनऊ। गरीबों खासकर ग्रामीण गरीबों के देशभर के आंदोलनकारी संगठनों और उनके प्रतिनिधि 4 अक्टूबर को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में मिलेंगे। मजदूर किसान मंच द्वारा आयोजित सम्मेलन में ग्रामीण गरीबों के लिए विचार विमर्श होगा व भावी कार्यक्रम...

‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ का सरकारी ढोंग बनाम भूख से मरती मुल्क की 19 करोड़ जनता

भारत में सन् 1982 से 1 सितम्बर से 7 सितम्बर तक एक सप्ताह ‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ मनाने की शुरूआत की गई है। सरकारी दावे के अनुसार इस सप्ताह को मनाने का मुख्य उद्देश्य आम जनता में पोषण के बारे...

सिलेंडर नहीं, सरकार ने हाथी दे दिया जिसे पालना है मुश्किल!

ग्रामीण इलाकों की दलित बहुजन महिलाओं का अस्तित्व ईंधन का पर्याय रहा है। आज 21वीं सदी के तीसरे दशक में भी उस स्थिति में बहुत बदलाव नज़र नहीं आता है। आज भी सुबह से शाम तक ग्रामीण इलाके की...

प्रधानमंत्री का स्वतन्त्रता दिवस उद्बोधन: वे बोले तो बहुत किंतु कहा कुछ नहीं

यह पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस उद्बोधन को किसी गंभीर चर्चा के योग्य नहीं समझा गया। यहाँ तक कि आदरणीय मोदी जी के प्रशस्तिगान हेतु लालायित सरकार समर्थक मीडिया ने भी स्वयं को...

खोरी बाशिंदों के सपनों को कब्र में बदलने के कई हैं गुनहगार

‘वन भूमि से समझौता नहीं किया जा सकता।’ सुप्रीम कोर्ट के इस घोषित निश्चय के चलते, दो महीने से अरावली वन क्षेत्र में शक्ल ले रही विस्थापन त्रासदी का लब्बोलुवाब रहा कि खोरी नामक श्रमिक बस्ती का अंत हो...

गरीब देशों में वैक्सीन को लेकर कोई झिझक नहीं

नेचर मेडिसिन नाम के जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक टीकाकरण को लेकर विकसित व विकासशील देशों की तुलना में गरीब देशों में झिझक कम है। नए अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि एशिया,...

महामहिम का दुखड़ा

इस संसार में सबका  दुखड़ा अलग-अलग है। एक गरीब आदमी के बेरोजगार का दुखड़ा तो समझ में आता है अगर महामहिम अपना दुखड़ा पेश करेंगे तो उस पर आश्चर्य होना, तीखी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है। लगता है इस देश...

विपक्षी बिखराव की खेती पर बीजेपी उगाती है अपनी सत्ता की फसल

आज के भारत की तुलना एक दशक पहले के भारत से करने पर हैरानी होती है। लोकसभा (2014) में भाजपा के बहुमत हासिल करने से राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य में प्रतिकूल परिवर्तन हुए हैं। बढ़ती महंगाई, अर्थव्यवस्था की...

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जीडीपी के आंकड़ों में उलझा देश आखिर कब तक बेवकूफ बनाया जायेगा?

भारत में जीडीपी के आंकड़े सरकार और एजेंसियों के लिए एक आश्चर्यजनक उत्साह जगाने वाले हैं। 2022-23 की चौथी...