Friday, March 29, 2024

Poor

‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ का सरकारी ढोंग बनाम भूख से मरती मुल्क की 19 करोड़ जनता

भारत में सन् 1982 से 1 सितम्बर से 7 सितम्बर तक एक सप्ताह ‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ मनाने की शुरूआत की गई है। सरकारी दावे के अनुसार इस सप्ताह को मनाने का मुख्य उद्देश्य आम जनता में पोषण के बारे...

सिलेंडर नहीं, सरकार ने हाथी दे दिया जिसे पालना है मुश्किल!

ग्रामीण इलाकों की दलित बहुजन महिलाओं का अस्तित्व ईंधन का पर्याय रहा है। आज 21वीं सदी के तीसरे दशक में भी उस स्थिति में बहुत बदलाव नज़र नहीं आता है। आज भी सुबह से शाम तक ग्रामीण इलाके की...

प्रधानमंत्री का स्वतन्त्रता दिवस उद्बोधन: वे बोले तो बहुत किंतु कहा कुछ नहीं

यह पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस उद्बोधन को किसी गंभीर चर्चा के योग्य नहीं समझा गया। यहाँ तक कि आदरणीय मोदी जी के प्रशस्तिगान हेतु लालायित सरकार समर्थक मीडिया ने भी स्वयं को...

खोरी बाशिंदों के सपनों को कब्र में बदलने के कई हैं गुनहगार

‘वन भूमि से समझौता नहीं किया जा सकता।’ सुप्रीम कोर्ट के इस घोषित निश्चय के चलते, दो महीने से अरावली वन क्षेत्र में शक्ल ले रही विस्थापन त्रासदी का लब्बोलुवाब रहा कि खोरी नामक श्रमिक बस्ती का अंत हो...

गरीब देशों में वैक्सीन को लेकर कोई झिझक नहीं

नेचर मेडिसिन नाम के जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक टीकाकरण को लेकर विकसित व विकासशील देशों की तुलना में गरीब देशों में झिझक कम है। नए अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि एशिया,...

महामहिम का दुखड़ा

इस संसार में सबका  दुखड़ा अलग-अलग है। एक गरीब आदमी के बेरोजगार का दुखड़ा तो समझ में आता है अगर महामहिम अपना दुखड़ा पेश करेंगे तो उस पर आश्चर्य होना, तीखी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है। लगता है इस देश...

विपक्षी बिखराव की खेती पर बीजेपी उगाती है अपनी सत्ता की फसल

आज के भारत की तुलना एक दशक पहले के भारत से करने पर हैरानी होती है। लोकसभा (2014) में भाजपा के बहुमत हासिल करने से राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य में प्रतिकूल परिवर्तन हुए हैं। बढ़ती महंगाई, अर्थव्यवस्था की...

विपन्नता के समुद्र में जाहिलियत की नदी बह रही है!

जाहिलियत और विपन्नता ही अब इस देश की पहचान बन गयी है। और अफगानिस्तान का तालीबानी निजाम हमारा आदर्श है। मौजूदा 'विश्व गुरू' की सच्चाई यह है कि अलीगढ़ में एक परिवार को पिछले 10 दिनों से अन्न का...

भारत एक गंदगी प्रधान देश है!

हमारा भारत देश महान है। विदेशियों (पश्चिमी देश वाले) का कहना है कि भारत सपेरों, नटों और ठगों (भिखारियों से लेकर टैक्सी व ऑटो ड्राइवर और होटलों के दलालों तक) का देश है। दावा है कि अब सरकार ने...

कोरोना काल में उतर गया संघ के सेवा का मुखौटा

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। इसके करीब 50 लाख कार्यकर्ता 55 हजार शाखाओं में रोजाना सुबह सबेरे खाकी नेकर, काली टोपी और सफेद शर्ट में ज्यादातर शहरों...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...