‘जुर्माना’ कहानी की समीक्षा के बहाने: पसमांदा समाज के महान कथाकार थे मुंशी प्रेमचंद

कथाकार प्रेमचंद की कहानी ‘ज़ुर्माना’ अशराफ बनाम पसमांदा के बीच अंर्तद्वन्द्व को समझने के लिए बेहतरीन कहानी है। इस कहानी…

फटे जूते वाले प्रेमचंद !

प्रेमचंद जब अपनी लेखनी से गुलाम जनता में आज़ादी का मानस जगा रहे थे तब कुबेर का खज़ाना उनके पास…

जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की दृष्टि में मध्यवर्ग और किसान

सामान्यत: यह माना जाता है कि मध्य वर्ग की किसी भी आंदोलन, क्रांति और विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।…

जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की परम्परा एक सामूहिक प्रगतिशील परम्परा थी

जिस प्रेमचन्द के निधन पर उनके मुहल्ले के लोगों ने कहा कि कोई मास्टर था जो मर गया, जिस प्रेमचन्द…

पुण्यतिथिः साहित्य में दलित और स्त्री को विमर्श तक ले आने वाले राजेंद्र यादव विवादों से कभी हारे नहीं

हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो…

पुण्यतिथि पर विशेष: बेहद उदात्त शख्सियत के मालिक थे मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचन्द के जीवन और व्यक्तित्व के बारे में जो भी तथ्य मिलते हैं उनसे अन्ततोगत्वा इसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा…

पुण्यतिथिः मुंशी प्रेमचंद मानते थे- किसानों को स्वराज की सबसे ज्यादा जरूरत

हिंदी-उर्दू साहित्य में कथाकार मुंशी प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी…

घना होता अंधेरा, मध्यवर्ग का चरित्र और मुक्तिबोध की कविता ‘अंधेरे में’ 

                                       (पूँजी…

नई शिक्षा नीति, सुल्ताना डाकू और प्रेमचंद में आखिर क्या हो सकता है रिश्ता?

140 वर्ष पूर्व पैदा हुए प्रेमचंद के लेखन और अब घोषित शिक्षा नीति में क्या संगत सम्बन्ध हो सकता है?…

प्रेमचंद के फटे जूते

प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की…