Sunday, June 4, 2023

socialism

वे लालू-मुलायम से चिढ़ते हैं या समाजवाद से!

दिल्ली प्रवास कर रहे लालू प्रसाद दो दिन पहले मुलायम सिंह यादव से मिलने क्या गए कि ट्रॉल करने वालों की मौज आ गई। लालू प्रसाद का दोष इतना था कि उन्होंने कह दिया कि देश पूंजीवाद और सांप्रदायिकता...

कहां फंसी सोवियत संघ की समाजवादी गाड़ी और चीन ने कैसे मारी बाजी

चीन की कम्युनिस्ट (सीपीसी) पार्टी ने बीते एक जुलाई को जब अपनी सौवीं सालगिरह मनाई, तो दुनिया में ये सवाल एक बार फिर उभरा कि जब समाजवाद के अपने सात दशकों के प्रयोग के बाद अगर सीपीसी प्रासंगिक बनी...

समाजवादियों के पास है सुचारू व्यवस्था

अर्थव्यवस्था के सभी अनुमान ढलान की ओर हैं। वर्तमान सत्ता-पार्टी अफवाहों की विशेषज्ञ है। व्यवस्था संभालना इनको नहीं आता। पशुपालन, खेती, उद्योग, चिकित्सा तथा भूख की समस्या से अनभिज्ञ है। यही कारण है कि जीडीपी गिर रही है। जिस जीएसटी को ये...

गैर भाजपावाद की रणनीति को कामयाब करने के लिए समाजवादी एकजुटता वक्त की जरूरत

    आज 17 मई 2021 को कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के भारत में गठन के 87 वर्ष हो रहे हैं। यदि कोरोना काल नहीं होता तो हम पटना में समाजवादी समागम में अवश्य मिलते लेकिन आज सभी कार्यक्रम ऑनलाइन...

संविधान में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ना इंदिरा गांधी की बड़ी देनः शाहनवाज़ आलम

लखनऊ। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने आज रविवार को उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में संविधान चर्चा दिवस मनाया। अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 42वें संविधान संशोधन के ज़रिए संविधान की...

अमेरिका के अस्तित्व की रक्षा के लिए ज़रूरी है ट्रम्प की हार

ट्रम्प ने वास्तव में अमेरिकी जनतंत्र के सामने जिसे दर्शनशास्त्र की भाषा में हेगेलियन क्षण कहते हैं उसकी परिस्थिति पैदा कर दी है। ट्रम्प स्वतंत्रता की बात करते हैं, कहते हैं कि बाइदेन के आने से अमेरिकी समाज की...

गांधी के सिपाही और नेहरू के साथी लोहिया

राम मनोहर लोहिया ने आजाद भारत में सत्ता से सवाल पूछना सिखाया और सत्ता के खिलाफ रहकर भारतीय राजनीति के साथ भारतीयों के मन-कर्म पर गहरा प्रभाव छोड़ा। वह हमेशा समाज और सरकार को एक साथ, एक रास्ते पर...

पुण्यतिथि पर विशेषः अंदरूनी अत्याचारियों से विद्रोह चाहते थे लोहिया

अगर माखनलाल चतुर्वेदी एक भारतीय आत्मा थे तो डॉ. राममनोहर लोहिया एक बेचैन भारतीय आत्मा थे। वे चाहते थे कि इस देश की जनता भीतरी अत्याचारियों के विरुद्ध विद्रोह करे। सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी के निधन के बाद...

जनता से ज्यादा सरकारों के करीब रहे हैं हरिवंश

मौजूदा वक्त में जब देश के तमाम संवैधानिक संस्थान और उनमें शीर्ष पदों पर बैठे लोग अपने पतन की नित-नई इबारतें लिखते हुए खुद को सत्ता के दास के रूप में पेश कर अपने को धन्य मान रहे हों,...

जयंती पर विशेष: राही का मानना था- देश के राजनीतिक-आर्थिक ढांचे में बसता है सांप्रदायिकता का भूत

‘‘मेरा नाम मुसलमानों जैसा है/मुझे कत्ल करो और मेरे घर में आग लगा दो/लेकिन मेरी रग-रग में गंगा का पानी दौड़ रहा है/मेरे लहू से चुल्लू भरकर महादेव के मुंह पर फेंको/और उस जोगी से यह कह दो/महादेव अब...

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