Tag: socialism
अमेरिका के अस्तित्व की रक्षा के लिए ज़रूरी है ट्रम्प की हार
ट्रम्प ने वास्तव में अमेरिकी जनतंत्र के सामने जिसे दर्शनशास्त्र की भाषा में हेगेलियन क्षण कहते हैं उसकी परिस्थिति पैदा कर दी है। ट्रम्प स्वतंत्रता [more…]
गांधी के सिपाही और नेहरू के साथी लोहिया
राम मनोहर लोहिया ने आजाद भारत में सत्ता से सवाल पूछना सिखाया और सत्ता के खिलाफ रहकर भारतीय राजनीति के साथ भारतीयों के मन-कर्म पर [more…]
पुण्यतिथि पर विशेषः अंदरूनी अत्याचारियों से विद्रोह चाहते थे लोहिया
अगर माखनलाल चतुर्वेदी एक भारतीय आत्मा थे तो डॉ. राममनोहर लोहिया एक बेचैन भारतीय आत्मा थे। वे चाहते थे कि इस देश की जनता भीतरी [more…]
जनता से ज्यादा सरकारों के करीब रहे हैं हरिवंश
मौजूदा वक्त में जब देश के तमाम संवैधानिक संस्थान और उनमें शीर्ष पदों पर बैठे लोग अपने पतन की नित-नई इबारतें लिखते हुए खुद को [more…]
जयंती पर विशेष: राही का मानना था- देश के राजनीतिक-आर्थिक ढांचे में बसता है सांप्रदायिकता का भूत
‘‘मेरा नाम मुसलमानों जैसा है/मुझे कत्ल करो और मेरे घर में आग लगा दो/लेकिन मेरी रग-रग में गंगा का पानी दौड़ रहा है/मेरे लहू से [more…]
जन्मदिवसः गरीबों-मजदूरों को अंधेरे में संघर्ष की राह दिखाते हैं शैलेंद्र के गीत
भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) ने देश को कई शानदार कलाकार, गीतकार और निर्देशक दिए। शैलेंद्र भी ऐसे ही एक गीतकार हैं, जिनकी पैदाइश इप्टा [more…]
डॉ. सुनीलम के हवाले से: समाजवादी चिंतक किशन पटनायक के किस्से, पत्नी वाणी की जुबानी
कल यानी 30 जून के ही दिन 1930 में समाजवादी चिंतक एवं पूर्व सांसद किशन पटनायक जी का जन्म ओडिशा के भवानी पटना में हुआ था। देश ने [more…]
तानाशाही पूंजीवादी लोकतंत्र की तार्किक परिणति है!
23 अप्रैल 2020 के ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपे अपने लेख ‘Lenin is not a figure to look up to…’ में प्रो. अपूर्वानन्द एक तीर से [more…]
संपूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर: मंच पर गांधी थे नीचे मैं वालंटियर -पारीख
मुंबई। देश का माहौल बदला हुआ है। आजादी के समय गांधी, नेहरु और पटेल थे। बोस थे तो जेपी और लोहिया भी थे। फिर चौहत्तर [more…]
ख्वाजा अहमद अब्बास : समाजवाद जिनके जीने का सहारा था
ख्वाजा अहमद अब्बास मुल्क के उन गिने चुने लेखकों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने लेखन से पूरी दुनिया को मुहब्बत, अमन और इंसानियत का पैगाम [more…]