भौतिक देह को अंतिम सत्य मानने वाला चार्वाक दर्शन कहता है: परान्नं प्राप्य दुर्बुद्धे! मा प्राणेषु दयां कुरु, परान्नं दुर्लभं लोके प्राण: जन्मनि जन्मनि।। इसका अर्थ है कि शरीर तो बार-बार जन्म लेगा, उस पर दया करना मूर्खता है।...
24 सितंबर को जारी यूनाइटेड नेशंस के स्टेटिक्स और डेटा के मुताबिक हर साल 4.7 मिलियन हेक्टेयर जंगल खत्म हो रहे हैं। सालाना खत्म होने वाला ये वनक्षेत्र डेनमार्क से भी बड़ा क्षेत्रफल है।
https://twitter.com/UNstatistics/status/1309021947624333315?s=19
यूनाइटेड नेशंस का ‘इको सिस्टम रिस्टोरेशन’...