भाजपा अपने चुनावी प्रचार में नारा दे रही है कि शिक्षित नारी, सशक्त बिहार। भाजपा कह रही है कि बिहार की सशक्त नारी विकसित बिहार की गवाही दे रही है। भाजपा बिहार ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक पोस्टर ट्वीट किया है, जिसमें महिला सशक्तिकरण को लेकर कई दावे किए गए हैं। पहला दावा महिला साक्षरता दर को लेकर किया है कि बिहार में महिला साक्षरता दर 2001 में 33% से बढ़कर 2024 में 74% हो गई है। दूसरा दावा है कि देश में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक और महिला पुलिस बल बिहार में है। क्या इन दावों में कोई सच्चाई है? आइये, विस्तार से पड़ताल करते हैं और देखते हैं कि बिहार में महिलाओं की साक्षरता की क्या स्थिति है और कुल कितनी महिला शिक्षक व पुलिस बल बिहार में हैं?
क्या बिहार की महिला साक्षरता दर 74% है?
महिला साक्षरता दर का प्रामाणिक आंकड़ा हमें जनगणना से मिलता हैं। वर्ष 2001 और वर्ष 2011 की जनगणना और साक्षरता के आंकड़े मौजूद हैं, लेकिन वर्ष 2021 की जनगणना के आंकड़े मौजूद नहीं हैं। कोविड की वजह से सरकार द्वारा जनगणना को टाला गया था, लेकिन कोविड खत्म हुए भी कई साल बीत चुके हैं, लेकिन जनगणना का कोई अता-पता नहीं है। महिला साक्षरता को लेकर दूसरा प्रामाणिक स्रोत है नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे। तो आइये देखते हैं कि इन रिपोर्टों के आंकड़े क्या कहते हैं।
वर्ष 2001 में बिहार की महिला साक्षरता दर देश में सबसे कम थी, बिहार की महिला साक्षरता दर 33.57% थी, यानी भाजपा का ये तथ्य सही है कि 2001 में बिहार की महिला साक्षरता दर 33% थी। वर्ष 2011 में बिहार की महिला साक्षरता दर 51% थी, जो देश में सबसे कम है। इन दोनों ही सालों में बिहार की महिला साक्षरता दर देश में सबसे कम थी और केरल की देश में सबसे ज्यादा। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 2019-21 के अनुसार बिहार की महिला साक्षरता दर 55% है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार की महिला साक्षरता दर देश में सबसे कम है और केरल की साक्षरता दर देश में सबसे ज्यादा है।
नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 2019-21
भाजपा को बताना चाहिए कि वो किस रिपोर्ट के आधार पर ये दावा कर रही है कि बिहार की महिला साक्षरता दर 74% हो गई है। क्योंकि जनगणना हुई नहीं है और एनएफएचएस के ताजा आंकड़ों के अनुसार बिहार की महिला साक्षरता दर 55% है, 74% नहीं। बीजेपी का बिहार में महिला साक्षरता दर का ये दावा भ्रामक है।
क्या देश में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक बिहार में हैं?
अब एक बार देखते हैं कि क्या देश में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक बिहार में हैं? शिक्षा मंत्रालय के UDISE+ पोर्टल के अनुसार बिहार में कुल 4,86,541 सरकारी शिक्षक हैं, जिनमें से महिला शिक्षकों की संख्या 2,06,447 है। यानी बिहार में कुल शिक्षकों में 42% ही महिला शिक्षक हैं। अगर किसी राज्य द्वारा महिला शिक्षकों की प्राथमिकता को परखना है तो देखना होगा कि महिला शिक्षकों का कुल प्रतिशत कितना है। इसलिए हम कुल संख्या और महिला-पुरुष शिक्षक अनुपात दोनों हिसाब से देखेंगे कि क्या बिहार देश में नंबर वन पर है।
बिहार कुल महिला शिक्षकों की संख्या के हिसाब से देश में पहले नंबर पर नहीं है और अगर महिला-पुरुष शिक्षक अनुपात की बात करें तो हालत और भी खराब हैं। देश में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक बिहार में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में हैं। बिहार में कुल 2,06,447 महिला शिक्षक हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 3,09,297 महिला शिक्षक हैं। यानी बिहार में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक नहीं है। लेकिन सिर्फ संख्या की बात नहीं है महिला शिक्षकों की प्राथमिकता को परखना है, तो हमें महिला-पुरुष शिक्षक अनुपात देखना होगा।
अगर महिला शिक्षकों की भागीदारी की बात करें तो देश में पहले स्थान पर केरल है जहां 78% महिला शिक्षक हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है, जहां 67% महिला शिक्षक हैं। तीसरे नंबर पर पंजाब है, जहां 64% महिला शिक्षक हैं। उसके बाद दिल्ली है, जहां 61% महिला शिक्षक हैं। ये आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि भाजपा का ये दावा कि देश में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक बिहार में हैं, दोनों ही लिहाज से गलत है।
क्या देश में सबसे ज्यादा महिला पुलिस बल बिहार में है?
भाजपा दावा कर रही है कि देश में सबसे ज्यादा महिला पुलिस बल बिहार में है, लेकिन प्रेस इंफोर्मेशन ब्यूरो की वेबसाइट पर मौजूद गृह मंत्रालय की प्रेस रिलीज तो कुछ और ही कह रही है। गृह मंत्रालय की प्रेस रिलीज के अनुसार बिहार महिला पुलिस बल संख्या की दृष्टि से देश में पहले स्थान पर नहीं बल्कि चौथे स्थान पर है। इस संदर्भ में देश में पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है, जहां 33,319 महिला पुलिसकर्मी है। दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है, जहां 32,172 महिला पुलिस कर्मी हैं। तीसरे स्थान पर तमिलनाडु है, जहां 25,334 महिला पुलिसकर्मी हैं और चौथे स्थान पर बिहार है, जहां 24,295 पुलिसकर्मी हैं। यानी भाजपा का ये दावा भी गलत है कि देश में सबसे ज्यादा महिला पुलिस बल बिहार में है।
निष्कर्ष
तमाम तथ्य और आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि भाजपा के दावे गलत और भ्रामक हैं। गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान झूठे दावे और आंकड़े उछालने का ये कोई पहला मौका नहीं बल्कि भाजपा के चुनाव प्रचार में ये ट्रेंड की तरह देखा जा रहा है। ये सीधे तौर पर बिहार के वोटरों को गलत जानकारियां देकर गुमराह करने का मामला है। कायदे से भाजपा को ये तमाम पोस्टर या दावे हटा लेने चाहिए या भूल सुधार करना चाहिए। भाजपा बिहार को हर क्षेत्र में नंबर वन दिखाने पर ही क्यों तुली है, जो स्थिति है उसे पारदर्शिता के साथ ज्यों का त्यों जनता के सामने रखना चाहिए, झूठे और भ्रामक प्रचार के जरिये बिहार की जनता को गुमराह करना बंद करना चाहिए।
(राज कुमार, स्वतंत्र पत्रकार एवं फ़ैक्ट-चेकर हैं।)
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