चिली में 35 वर्षीय ग्रैबिएल बोरिक देश के अगले सबसे युवा राष्ट्रपति होंगे। शिक्षा के सवाल पर देश में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों की अगुआई करने के बाद वह राजनीति के केंद्र में आ गए थे। वह मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के धुर विरोधी हैं।
56 फीसदी वोटों के साथ गैब्रिएल बोरिक ने सांसद जोस एंटोनियो कास्ट को 10 प्वाइंट से परास्त दी। हालांकि इस बीच कास्ट ने मतदाताओं में इस बात का डर पैदा करने की पूरी कोशिश की कि बोरिक की अनुभवहीनता चिली की मजबूत और आगे बढ़ी हुई अर्थव्यवस्था को चौपट कर देगी। लेकिन उनकी इन सारी तरकीबों का कोई फायदा नहीं हुआ।
लेकिन फिर चुनाव के नतीजों के बाद लोकतांत्रिक सिविलिटी का पालन करते हुए कास्ट ने तुरंत अपनी हार मान ली और फोन के जरिये अपनी फोटो के साथ अपने प्रतिद्वंदी को शानदार जीत की बधाई दी। और इतना ही नहीं वह बोरिक से मिलने के लिए उनके चुनाव अभियान हेडक्वार्टर तक गए।
इस बीच निवर्तमान राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा जो दक्षिणपंथी अरबति हैं, ने बोरिक के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस करके उन्हें तीन महीने के संक्रमण काल में सरकार चलाने में पूरा सहयोग करने का वादा किया।
ढेर सारे समर्थकों जिसमें ज्यादातर युवा थे, के बीच बोरिक एक मेटल बैरिकेड के रास्ते स्टेज पर पहुंचकर अपने स्थानीय भाषा में जीत का भाषण दिया।
अपने भाषण में बोरिक ने एक बार फिर अपने प्रगतिशील विचारों को व्यक्त किया जिसे वह अपने अद्भुत अभियान का हिस्सा बनाए हुए थे। जिसमें जलवायु परिवर्तन से लड़ाई का वादा भी शामिल था जिसके तहत चिली में एक प्रस्ताविक खदान के प्रोजेक्ट को रोकना है जो दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर उत्पादक है।
इसके साथ ही उन्होंने चिली की निजी पेंशन व्यवस्था को भी खत्म करने का वादा किया है। आपको बता दें कि यह डिक्टेटर जनरल अगस्टो पिनोशे के नवउदारवादी आर्थिक मॉडल की प्रमुख पहचान था जिसे उसने लागू किया था।
बोरिक ने कहा कि हम एक ऐसी पीढ़ी हैं जो उस सार्वजनिक जीवन में पैदा हुआ है जो चाहती है कि हमारे अधिकारों का अधिकारों की तरह सम्मान किया जाए और उससे उपभोक्ता सामानों या फिर एक व्यवसाय की तरह व्यवहार न किया जाए। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि धनी और गरीब लोगों के लिए न्याय लगातार बना रहेगा और अब हम ज्यादा दिनों तक इस बात की अनुमति नहीं दे सकते हैं कि चिली की असमानता की कीमत गरीब अदा करे।
उन्होंने अपने इस भाषण में महिलाओं के योगदान की भी सराहना की। जिसने बोरिक की जीत में एक ब्लॉक की तरह मदद की है। चिली की महिलाओं को इस बात का डर था कि कास्ट की जीत एक बार फिर से देश में पितृसत्ता को मजबूत करेगी।
एक अध्यापक बोसिर सोटो ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है। हमने न केवल फासीवाद और दक्षिणपंथियों को परास्त किया है बल्कि भय को भी।
बोरिक की जीत का असर पूरे लैटिन अमेरिका पर पड़ने जा रहा है। जहां कोरोना वायरस की महामारी के बीच वैचारिक ध्रुवीकरण बहुत तीखा हो गया है। और जिसने एक दशक के पूरे आर्थिक लाभ को बिल्कुल पलट दिया है। और स्वास्थ्य व्यवस्था में लंबे समय से चली आ रही कमियों का भी पर्दाफाश कर दिया है। और इसके साथ ही पहले से ही दुनिया के सबसे ज्यादा असमनता वाले इलाके की असमानता को और गहरा कर दिया है।
बोरिक चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति होंगे जब वह मार्च महीने में कार्यभार संभालेंगे। और एल सल्वाडोर के नायब बुकेले के बाद लैटिन अमेरिका का नेतृत्व करने वाले सहस्राब्दी के दूसरे शख्स होंगे। इसके अलावा यूरोप में सिटी-स्टेट के एक दूसरे राज्याध्यक्ष सैन मैरिनो ही उनसे छोटे हैं।
देश में शिक्षा में उच्च गुणवत्ता के लिए चलाए गए विरोध प्रदर्शनों के बाद बोरिक उन ढेर सारे एक्टिविस्टों में शामिल थे जिनको 2014 में कांग्रेस के लिए चुना गया था। वह पोनेशे द्वारा छोड़ी गयी नवउदारवादी अर्थव्यवस्था को दफना देना चाहते हैं। इसके साथ ही सामाजिक सेवा के विस्तार, असमानता से लड़ने और पर्यावरण की रक्षा को बढ़ाने के लिए सुपर रिच लोगों पर लगाए गए टैक्स को बढ़ाने के पक्षधर हैं।
पिनोशे के आर्थिक मॉडल के धुर समर्थक कास्ट हाल के दिनों में अपना रुख बदल लिए थे। उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि हम अतिवादी नहीं हैं….मैं खुद को बहुत ज्यादा दक्षिणपंथी नहीं मानता। हालांकि अभियान के आखिरी दिनों में इस बात का खुलासा हो गया था कि उनके जर्मन मूल के पिता एडोल्फ हिटलर की नाजी पार्टी के कार्डधारी सदस्य थे।
आपको बता दें कि बोरिक दूसरे चक्र की वोटिंग में जीते हैं। पहले चक्र का मतदान 21 नवंबर को हुआ था। जिसमें कास्ट को 28 फीसदी मत मिले थे जबकि बोरिक को 25.7 फीसदी वोटों से संतोष करना पड़ा था। बोरिक की जीत इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि चिली में नये संविधान को बनाने की प्रक्रिया चल रही है। और इस जीत का उस पर असर पड़ना लाजिमी है। कहा जा रहा है कि यह पिनोश की पूरी दिशा को ही बदल देगा।
इसका संकेत बोरिक ने जीत के बाद अपने भाषण में दे दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि चिली नवउदारवादी अर्थव्यवस्था का जन्मस्थान है और अब वही उसकी कब्र बनेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि इतिहास हम लोगों के साथ नहीं शुरू हुआ है।
बोरिक का जन्म 1986 में पुंटा एरेना में हुआ था। 2011 में जब वह लॉ डिग्री कोर्स के अंतिम साल में प्रवेश किए तो वह पूरे देश के स्तर पर शिक्षा के लिए चले अभियान के नेता बन गए। जिसमें परिसरों और फैकल्टी के हजारों छात्रों ने हिस्सा लिया था। जिसमें मुफ्त और उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रमुख मांग के तौर पर शामिल थी।
यह विरोध-प्रदर्शन एक समझौते के साथ समाप्त हुआ जिसमें कुछ छात्रों को मुफ्त शिक्षा देने की इजाजत दी गयी। इस दौरान आंदोलन में शामिल ढेर सारे छात्र बाद में विभिन्न स्थानीय चुनावों में हिस्सा लिए और उन सरकारों के हिस्से बने। बोरिक अपनी डिग्री की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। लेकिन 2013 में वह चिली की कांग्रेस के लिए चुन लिए गए। और उसके डिप्टी के तौर पर दो बार सेवा की। और इस तरह से दो परंपरागत गठबंधनों से अलग वह पहले कांग्रेस सदस्य हैं जो इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
उन्होंने चिली को विकेंद्रित करने, राज्य को लोक कल्याणकारी बनाने, सार्वजनिक खर्चे को बढ़ाने और महिलाओं और इंडिजेनस लोगों को शामिल करने की शपथ ली है। लेकिन इन सबसे ज्यादा उन्होंने पिनोशे के अधिनायकवाद की गिरफ्त से चिली को बाहर निकालने का संकल्प लिया है। यह कितना हो पाएगा यह आने वाले चार सालों में तय होंगे।