नई दिल्ली। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण प्रावधानों में विसंगतियों के मद्देनजर पूरी सूची रद्द कर नये सिरे से मेरिट लिस्ट बनाने के जारी आदेश से इतना तो स्वत: स्पष्ट है कि सरकार ने नियमों को ताक पर रख भर्ती की है और आरक्षण प्रावधानों का घोर उल्लंघन हुआ है।
अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद मेरिट लिस्ट में बड़ा बदलाव हो सकता है और हजारों चयनित शिक्षकों खासकर सामान्य वर्ग के शिक्षकों के नयी मेरिट लिस्ट से बाहर होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बीच लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसको लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोलते हुए इसे बीजेपी की साजिशों का करारा जवाब बताया है। जबकि आरवाईए ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए सीएम योगी के इस्तीफे की मांग की है।
जानकारों के एक हिस्से का कहना है कि ऐसा प्रमुख रूप से दो वजहों से हुआ है। पहली यह कि एक विज्ञापन की भर्ती को दो भागों में बांट कर मेरिट लिस्ट बनाई गई जिससे बड़ी संख्या में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन आरक्षित श्रेणी की सीटों पर हो गया।
दूसरी विसंगति की वजह आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को स्टेट मेरिट लिस्ट में सामान्य वर्ग में ओवरलैपिंग के बाद जिला स्तरीय काउंसलिंग में सामान्य वर्ग की अपनी मेरिट लिस्ट अथवा आरक्षित श्रेणी की मेरिट लिस्ट के आधार पर जिला आवंटन की च्वाइस से पैदा हुआ। होना यह चाहिए था कि स्टेट मेरिट लिस्ट के आधार पर सरकार जिलों में सीटें आवंटन करती जैसा कि माध्यमिक विद्यालयों में होता है। लेकिन पूर्व की सरकारों में भी यह विसंगति रही है और उसे ठीक नहीं किया गया।
कुल मिलाकर सरकार के मनमानेपन, भ्रष्टाचार और न्यायिक प्रक्रिया के पचड़े में भर्तियों के वर्षों तक अधर में लटकने का खामियाजा युवाओं को भुगतना पड़ रहा है।
विपक्षी नेता राहुल गांधी ने कहा है कि 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आरक्षण व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाली भाजपा सरकार की साजिशों को करारा जवाब है।
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखी अपनी एक पोस्ट में कहा कि यह 5 वर्षों से सर्दी, गर्मी, बरसात में सड़कों पर निरंतर संघर्ष कर रहे अमित मौर्या जैसे हज़ारों युवाओं की ही नहीं, सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले हर योद्धा की जीत है।
उनका कहना था कि आरक्षण छीनने की भाजपाई ज़िद ने सैकड़ों निर्दोष अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया है।
पांच साल ठोकरें खा कर बर्बाद होने के बाद जिनको नई सूची के ज़रिए नौकरी मिलेगी और जिनका नाम अब चयनित सूची से कट सकता है, दोनों की ही गुनहगार सिर्फ भाजपा है। ‘पढ़ाई’ करने वालों को ‘लड़ाई’ करने पर मजबूर करने वाली भाजपा सरकार सही मायने में युवाओं की दुश्मन है।
इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) उत्तर प्रदेश ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। आरवाईए के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य ने कहा कि 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में चयन सूची फिर से जारी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से योगी सरकार का आरक्षण घोटाला साबित हुआ है। यह उचित प्रतिनिधित्व से वंचित अभ्यर्थियों के पिछले चार साल से जारी संघर्षों की जीत है। इस आन्दोलन को संगठित और विस्तारित करने में आरवाईए की सक्रिय भूमिका रही।
उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े आंदोलन के बावजूद भाजपा सरकार आरक्षण घोटाले पर गोल-गोल जवाब देती रही। कभी भी उसने सच्चाई स्वीकार नहीं किया बल्कि आंदोलनकारियों पर लाठी डंडा बरसाए और जेल भेजने का काम किया। कोर्ट के फैसले के बाद सामाजिक न्याय के हित में बेहतर यही होगा कि योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाय हाई कोर्ट के फैसले पर अमल करे।
आरवाईए ने कहा कि विश्वविद्यालय के अंदर एनएफएस और लोक सेवा की नौकरियों में लेटरल एंट्री आरक्षण को खत्म करने का टूल्स बन गई है जो भाजपा सरकार की सोची समझी साजिश का हिस्सा है। भाजपा दरअसल डॉ अंबेडकर लिखित संविधान के आरक्षण को खत्म करना चाहती है। उसकी विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है। इसीलिए वह जातीय जनगणना भी नहीं कराना चाहती, क्योंकि तब वंचित जातियों को उनके पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण देना होगा।
आरवाईए आरक्षण घोटाले के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार मानती है और इस्तीफा देने की मांग करती है। आरवाईए ने कहा कि यदि वांछित तबकों का हित प्रभावित होता है तो नौजवान सड़क पर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
(जनचौक डेस्क की रिपोर्ट।)