Sunday, April 28, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: 9 साल और 300 तारीखों के बाद हुई सजा, खौफ में जी रहे परिवार ने ली राहत की सांस

सोनभद्र। जिस परिवार को दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती रही हो, भला वह कैसे मुकदमे की पैरवी के लिए कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगा सकता है। लेकिन नहीं, बंधुराम पर तो मानो बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध को लेकर अंदर ही अंदर पीड़ा रूपी वह ‘घाव’ (जख्म) बना हुआ था जो उन्हें हर पल, हर समय यहां तक कि सोते-जागते, उठते-बैठते, चलते-फिरते पीड़ा दिए जा रहा था।

यह दर्द, कसक और वेदना से भरी कहानी किसी और की नहीं बल्कि उस बंधुराम की है, जिसने जमाने के अनगिनत तानों को सहा, बेटी की वेदना को सुना, दबंगों की दबंगई को देखा, बेटी को न्याय दिलाने के लिए एक बीघा खेत तक को बेंच दिया, लेकिन अपने इरादे को नहीं बदला।

नाबालिग बेटी के बहते आंसुओं को सीने से लगाकर पोंछते आए एक बेबस लाचार पिता के लिए इससे ज्यादा पीड़ा दायक स्थिति और क्या हो सकती है। पूरी तरह से टूटकर बेबस हो चुके हालात के बावजूद हिम्मत को हारने और डिगने नहीं दिया और बेटी को न्याय दिलाने की खातिर संघर्ष जारी रखा।

जिसका प्रतिफल यह रहा कि देर से ही सही, लेकिन उस बंधुराम को पूरे नौ साल और 300 तारीखों के बाद न्याय मिला। और एक इंसान के रूप में खूले में घूमता, गुर्राता ‘भेड़िया’- जो ‘जनप्रतिनिधि’ होने की आड़ में मासूमियत का गला घोटता आया है, बेबसों पर जुर्म ढाता रहा है- को आखिरकार जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा है। जिसका धन-बल, बाहु-बल, पद-प्रभाव धरा का धरा रह गया।

आखिरकार यह बंधुराम हैं कौन? उनकी वेदना क्या है? किस मुकदमे के लिए उन्होंने अपनी जमीन तक को दांव पर लगा दिया, जो उनके व परिवार के पेट पालने का एक मात्र सहारा था?

उत्तर प्रदेश के आखिरी छोर पर स्थित सोनभद्र जिले का म्योरपुर थाना क्षेत्र। यह दुद्धी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाला आदिवासी, वनवासी, दलित-पिछड़े जाति बाहुल्य वाला इलाका कहलाता है। म्योरपुर का इलाका झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से बिल्कुल सटा हुआ है।

विकास के मायने में अति पिछड़े क्षेत्रों में शुमार यह इलाका सच में कहा जाए तो अपनी झोली भरने वाले लोगों के लिए मुफीद ही होता आया है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट होने के बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लोग यहां हाशिए पर खड़े नजर आते हैं।

सोनभद्र जिले के म्योरपुर थाना एवं विकास खंड क्षेत्र अंतर्गत एक गांव आता है रासपहरी। ग्राम पंचायत रासपहरी जिला मुख्यालय से तकरीबन 80 किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित है। यह गांव म्योरपुर-मुर्दहां मुख्य मार्ग से बिल्कुल लगा होने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से अमूमन 45 किमी दूर है।

6 हजार की आबादी वाले इस गांव में तकरीबन 35 सौ मतदाताओं की संख्या बताई जाती है। गोंड़ (जनजाति) बाहुल्य इस गांव में कुम्हार और यादव पिछड़ी जातियों के साथ ही दलित और अन्य जातियों के लोग भी रहते हैं। बात की जाए यहां ‘विकास के बयार’ की तो पूर्व के प्रधान और वर्तमान विधायक के दरवाजे तक जाकर ‘विकास’ के कदम ठिठक (ठहर) गए हैं।

विधायक रामदुलार गोंड के घर के बाहर लगा बोर्ड।

एक अदने से व्यक्ति का गांव की मिनी पंचायत से होते हुए राज्य के सबसे बड़े सदन तक पहुंचने और आतंक, दबंगई से लेकर किसी के भी साथ जब चाहा मनमानी कर बैठने का खौफ भी इस गांव में देखने सुनने को मिला है, जहां कानून व्यवस्था से लेकर इंसानियत और मानवता की वह सारी बातें औंधे मुंह गिरती नजर आई थीं।

लेकिन कहते हैं ना कि हद की भी अपनी एक सीमा होती है जो ध्वस्त होती है तो डूबोने का काम करती है। शायद ऐसा ही कुछ इस (रासपहरी) गांव के रहने वाले रामदुलार गोंड के साथ हुआ है और आगे होने के संकेत भी मिलने लगे हैं।

रामदुलार गोंड कोई मामूली हस्ती नहीं बल्कि सोनभद्र के दुद्धी विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक और दबंगई, दहशत आतंक के पर्याय हैं। जिन्हें सोनभद्र की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 25 साल की सजा और दस लाख के अर्थ दंड से दंडित करते हुए जेल भेजा है। सजा की सुनवाई होते ही रामदुलार गोंड के कुनबे में मानो सांप सूंघ गया है।

यह है पूरा मामला?

दुद्धी विधायक रामदुलार गोंड व बंधुराम प्रजापति रासपहरी गांव में पुश्तों से रहते आए हैं। दोनों के घरों के बीच तकरीबन आधा किलोमीटर की दूरी है। रामदुलार गोंड का आलीशान बंगला (घर) मुख्य मार्ग से कुछ दूरी पर गांव की सड़क से लगा हुआ है जबकि बंधुराम का कच्चा खपरैल वाला मकान गांव के अंदर है।

बंधुराम प्रजापति जहां मेहनतकश सीधे सादे व्यक्ति, तो रामदुलार गोंड की दबंग वाली छवि गांव में बताई जाती है। खौफ ऐसा कि कोई खुल कर भी बोलने से कतराता है। शबाब के शौकीन रामदुलार को न तो अपनी उम्र का लिहाज रहा है और ना ही गांव के होने की मर्यादा का।

यही कारण रहा है कि वह अपने दबंगई भरे खौफ व कुछ महिलाओं के जरिए अपनी हवस की आग बुझाने के लिए गरीब बहन-बेटियों पर बुरी नजर गड़ाये रखता था। बंधुराम की छोटी बेटी के साथ भी रामदुलार ने यही कृत्य किया जो उसके पतन की कहानी लिखने को आतुर है।

दरअसल, बात वर्ष 2014 की है तब रामदुलार की बेटी 14 वर्ष की थी। जिसपर रामदुलार की नियत खराब हो गई थी। उसने बंधुराम के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित एक महिला के घर पर बंधुराम प्रजापति की बेटी चांदनी (बदला हुआ नाम) को बुलाया। चूंकि जिस महिला के घर चांदनी को बुलाया गया था उस घर की बेटी चांदनी की सहेली थी सो उसे जाने में कोई हर्ज नहीं महसूस हई और वह वहां चली गई, जहां रामदुलार गोंड ने चांदनी को डरा धमकाकर उसकी मासूमियत और इज्जत को नोंच डाला था।

जाते-जाते मुंह न खोलने की हिदायत देते हुए चेतावनी दी कि यदि किसी को कुछ बताया, मुंह खोला तो तुम्हें और तुम्हारे परिवार को नष्ट कर दूंगा। इस चेतावनी और रामदुलार के खौफ ने चांदनी की जुबान को जहां सिल दिया तो वहीं रामदुलार के मनोबल को बढ़ा दिया।

रामदुलार गोंड एक वर्ष तक नाबालिग चांदनी के जिस्म को नोचता रहा। हद तब हो गई जब 3 नवंबर 2014 को भी एक खेत में रामदुलार गोंड ने चांदनी की इच्छा के विपरीत उस पर इस कदर टूट पड़ा कि वह बुरी तरह से टूट कर बिलख उठी।

अपने साथ होते आए इस कृत्य की वेदना को जब उसने परिवार के लोगों को बताया तो मानो सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई। आनन-फानन में पीड़िता के भाई रामसेवक ने उसी दिन म्योरपुर थाना पुलिस को इसकी तहरीर देकर गुहार लगाई, लेकिन पुलिस ने टालमटोल किया।

रामदुलार गोंड का घर और कार्यालय।

लेकिन मामला उछलने पर दूसरे ही दिन 4 नवंबर 2014 को म्योरपुर थाना में रामदुलार गोंड के खिलाफ नाबालिग से दुराचार करने के मामले सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। मुकदमा दर्ज होने के बाद भी रामदुलार गोंड का आतंक कम नहीं हुआ, बल्कि पीड़ित परिवार पर पहले से ज्यादा उसका आतंक बढ़ गया।

मुकदमे के बाद भी बढ़ता रहा प्रभाव

मुकदमा दर्ज होने के बाद भी रामदुलार गोंड का आतंक और प्रभाव कम होने को कौन कहे, उसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए पीड़ित परिवार के चार लोगों पर ही एससी-एसटी एक्ट का फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया। इससे भी बात नहीं बनी तो वह नाबालिग लड़की के परिवार वालों पर तरह-तरह से दबाव भी बनवाने लगा था।

रासपहरी गांव का जहां स्वयं रामदुलार गोंड प्रधान रहा है, वहीं उसकी पत्नी सुरत देवी भी दो बार प्रधान चुनी गई थी। ऐसे में पद प्रभाव के साथ पैसे और आतंक, दबंगई में मदमस्त रामदुलार गोंड का खौफ गांव में सभी के सिर चढ़कर बोला करता था।

गांव के ग्रामीण बताते हैं कि “रामदुलार भले जनजाति समुदाय से आता है लेकिन वह किसी को कुछ भी नहीं समझता था। शबाब का शौकीन रामदुलार महिलाओं को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता था। कहने को तो सूरतन देवी उसकी पत्नी है, लेकिन उसने गांव की ही एक अन्य शादीशुदा बाल-बच्चेदार महिला को अपना बनाये हुए है। उक्त महिला के बच्चे अपने पिता के साथ रहते हैं।”

ग्रामीण दबी जुबान में बताते हैं कि “रामदुलार गोंड के इस कृत्य को लेकर परिवार में भी रार होता आया है। लेकिन पद और पैसों के प्रलोभन में परिवार से बाहर आवाज न निकलने पाए इसलिए सभी चुप्पी साध लेते हैं।”

सत्ता बदलने के बाद बदलता रहा है पाला

अपने गांव सहित पूरे इलाके में अपनी कारगुजारियों को लेकर बदनाम जेल गए दुद्धी विधायक रामदुलार गोंड सत्ता सुख भोगने में भी महारत हासिल किए हुए हैं। कभी समाजवादी पार्टी का झंडा थामकर चलने वाला रामदुलार गोंड 2015 में भाजपा का दामन थामकर ‘दांग अच्छे हैं’ की तर्ज पर राष्ट्रवादी पार्टी कही जाने वाली भाजपा के लिए आदिवासी जनजाति मतों को मोड़ने का माध्यम बना।

यह अलग बात है कि लोग खुलकर कहते हैं कि वोट रामदुलार गोंड को नहीं भाजपा के नाम पर दिया गया है, जिसपर अब लोगों को पछतावा भी हो रहा है। क्योंकि लोगों की जो उम्मीदें रामदुलार से जुड़ी रही हैं वह चकनाचूर ही होती आई हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद रामदुलार गोंड को भाजपा अनुसूचित जन जाति मोर्चा का सोनभद्र जिलाध्यक्ष भी बना दिया गया। इसके बाद 2022 में दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से टिकट थमा कर विधानसभा सभा में भी भेज दिया गया।

विधायक बनने के बाद रामदुलार गोंड का आतंक और भी बढ़ गया। नाबालिग लड़की से दुराचार मामले को दबाने के लिए वह पीड़िता के परिवार वालों पर हर तरह के दबाव से लेकर रुपये पैसे का भी प्रलोभन देता आया है, ताकि वह इससे बरी हो जाए। लेकिन पीड़ित परिवार के लोग उसके झांसे में आने को तैयार नहीं थे।

न्याय पाने के लिए बेंच दी जमीन

बेटी को न्याय दिलाने तथा दर्ज हुए फर्जी मुकदमे को लेकर बंधुराम प्रजापति का परिवार बुरी तरह से टूट गया था। मुकदमे की दौड़ में परिवार की माली हालत जर्जर हो चुकी थी। सभी हताश-निराश हो गए थे। इससे भी इतर उनकी मदद के लिए भी जो खड़ा होता रहा है उसे भी विधायक रामदुलार गोंड फर्जी मुकदमे में फंसाकर नष्ट करने की चेतावनी देकर खामोश करा देता था।

ऐसे बहुत कम ही लोग पीड़िता के साथ खड़े होने को तैयार थे। ऐसी स्थिति में बंधुराम को मुकदमे की खातिर अपना एक बीघा खेत भी बेचना पड़ा। तकरीबन डेढ़ बीघा भूमि ही उनके व परिवार के जीने खाने का जरिया रही है वह भी बिक जाने से परिवार पर रोटी के लाले पड़ने लगे थे, बावजूद इसके बंधुराम ने हौसले को गिरने नहीं दिया।

बंधुराम प्रजापति का घर।

रासपहरी गांव के ग्राम प्रधान रामदयाल ‘जनचौक’ को बताते हैं कि “रामदुलार गोंड ने अपने पद प्रभाव का हमेशा से ही बेजा इस्तेमाल किया है। वह ग्राम प्रधान रहते हुए भी मनमानी और ग्रामीणों का शोषण करते आए हैं।”

एक सवाल के जवाब में वह तपाक से कहते हैं कि “क्या-क्या उनके (रामदुलार) के बारे में बताया जाए। उन्होंने क्या क्या नहीं किया है।” मौके पर मौजूद कई ग्रामीण भी पीड़ित के पक्ष में खड़े होते हुए विधायक रामदुलार गोंड को जेल होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने की बात कहते हैं।”

भाजपा विधायक रामदुलार गोंड का विवादों से रहा नाता

दुद्धी भाजपा विधायक रामदुलार गोंड का विवादों से गहरा नाता रहा है। उन पर नाबालिग लड़की से दुष्कर्म सहित मारपीट, लूटपाट इत्यादि के भी मुकदमे दर्ज रहे हैं। साल 2007 में अशोक कुशवाहा से मारपीट और लूटपाट के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने धारा 394 की कार्रवाई की थी जिसमें उन्हें जेल जाना पड़ा था।

गांव के ही रहने वाले देवसरन पनीका को मारपीट कर गंभीर रूप से घायल करने- जिसमें देवसरन की कुछ माह बाद मौत हो गई थी- के मामले में धारा 304 बी का मुकदमा दर्ज हुआ। लेकिन किसी प्रकार इसमें वह सुलह समझौता कराने में सफल रहा है।

2014 में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में जेल जाने और फिर जमानत मिल जाने के बाद 2015 में सोनभद्र जिले की म्योरपुर थाना पुलिस ने रामदुलार गोंड के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई की थी। कहते हैं कि पद प्रभाव व कुछ स्वजातीय बड़े जनप्रतिनिधियों से मजबूत संबंधों और मिलने वाले संरक्षण का लाभ उठाते हुए यह इसे रफा-दफा कर बचने में कामयाब रहा।

रामदुलार गोंड को करीब से जानने वाले ग्रामीण व भाजपा के एक पुराने कार्यकर्ता नाम न छापे जाने की शर्त पर ‘जनचौक’ को बताते हैं कि “रामदुलार गोंड को राजनीति में मजबूती से स्थापित कराने में भाजपा से जुड़े एक बाहुबली एमएलसी तथा जिले के ही स्वजातीय मौजूदा विधायक व मंत्री तथा एक पूर्व विधायक व मंत्री रहे नेताओं का हाथ रहा है।”

उन्होंने आगे बताया कि “इन्हीं नेताओं ने जनभावनाओं को दरकिनार कर रामदुलार गोंड को आगे बढ़ाने का काम किया है।” कहा तो यहां तक जाता है कि पार्टी में अहम ओहदे पर होने के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात से चलकर यूपी में संगठन की बागडोर संभालने वाले नेता जो हाल ही में दिवंगत हुए हैं का भी हाथ रामदुलार गोंड के सिर पर रहा है। यही कारण रहा है कि रामदुलार अपने को किसी सुपरपावर से कम नहीं आंकता था।

खड़ंजा उखड़वा कर ईंट रख लेने का लगा था आरोप

रामदुलार गोंड सिर्फ महिलाओं की ही इज्जत नहीं हथियाता था, वह जंगल की जमीन को भी हथिया रखा है। वह जंगल की जमीन पर भी काबिज बताया जा रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक धारा-20 (जंगल की जमीन) की तकरीबन डेढ़ सौ बीघा जमीन पर विधायक का कब्जा है।

वर्ष 2018 में गांव में ढाई किलोमीटर दूरी की खड़ंजा को उखड़वा कर उसकी ईंट भी उठा लेने की शिकायत इनके खिलाफ दर्ज कराई गई थी। आश्चर्य की बात है कि शासन-प्रशासन से शिकायत करने के बाद भी न तो कोई कार्रवाई हो पाई और न ही उन ईंटों को लेने की जहमत उठाई गई। जिसका परिणाम यह हुआ कि कुछ ईंटों का तो बिना किसी खौफ के उपयोग किया गया, जबकि अन्य कब्जे में पड़े रहे।

ग्राम प्रधान रामदयाल प्रजापति बताते हैं कि “गांव के विकास की खातिर जब हमने उन ईंटों को लेने का प्रयास किया तो रामदुलार गोंड ने सत्ता की धौंस दिखाकर मारपीट करने पर अमादा हो गए, ऐसे में उन ईंटों को उनके कब्जे से मुक्त नहीं कराया जा सका है।”

भाजपा-आरएसएस की शुचिता और शुद्धता की राजनीति महज छलावा: आईपीएफ

यूपी के दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक रामदुलार गोंड को पाक्सो के तहत बलात्कार के आरोप में अदालत द्वारा दोष सिद्ध करने के फैसले का स्वागत करते हुए ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने कहा है कि “यह मामला भाजपा और आरएसएस की शुद्धता और शुचिता की राजनीति करने के दावों को उजागर करता है।” इस मामले को लेकर जिले के कई इलाकों में आईपीएफ ने धिक्कार दिवस मनाया।

आईपीएफ ने मनाया धिक्कार दिवस।

आईपीएफ ने कहा कि “विधानसभा चुनाव 2022 के समय यह जानते हुए कि रामदुलार पाक्सो के तहत नाबालिग से बलात्कार का अभियुक्त है और प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है, भाजपा और आरएसएस ने उसे टिकट देकर दुद्धी के आदिवासी समाज और जनता के साथ छल किया है।”

समाजसेवी दिनकर कपूर कहते हैं “ऐसे दागियों को सदन में भेजने से पहले संघ और भाजपा को सौ बार सोचना चाहिए था, लेकिन नहीं, सत्ता की खातिर बेटी बढ़ाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करने वाले यह कैसे भूल गए कि रामदुलार एक मासूम बेटी का दुष्कर्मी है।”

आईपीएफ नेता ने कहा है कि पाॅस्को के तहत बेहद गंभीर मामले में अभियुक्त को विधानसभा के लिए टिकट देना भाजपा-आरएसएस के नारी सम्मान, नारी स्वाभिमान से लेकर नारी वंदन के वकालत करने के पाखंड को उजागर करता है।

सूनी पड़ी हवेली, कार्यालय पर लटका ताला

हमेशा गुलजार रहने वाले दुद्धी विधायक रामदुलार गोंड के आलीशान घर से लगे कार्यालय पर ताला लटका हुआ है। यही हाल उसके घर का भी है। कुछ लोगों को छोड़ दिया जाए तो यहां सियापा पसरा हुआ है। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

मौके पर पहुंची ‘जनचौक’ की टीम ने नाम पूछने के साथ विधायक को सजा सुनाए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो बगैर नाम बताए एक महिला बोल पड़ी कि “विधायक को फंसाया जा रहा है।” टीम द्वारा कैमरा ऑन करते ही वह चुप्पी साध चेहरे को ढक कर कैमरा हटाने का इशारा करते हुए पीछे हट जाती है।

(सोनभद्र के रासपहरी से संतोष देव गिरी के साथ अजित सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट)

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