Sunday, April 28, 2024

एक राष्ट्र-एक चुनाव: पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति, खड़गे ने विपक्षी नेताओं को किया आगाह

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव को विधानसभा चुनावों के साथ समय से पहले कराने की कवायद में केंद्र सरकार एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। केंद्र ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसका अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को बनाया गया है। समिति लोकसभा चुनाव को समय से पहले कराने की संभावनाओं की तलाश करेगी जिससे कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव भी आयोजित किया जा सके।

सूत्रों के मुताबिक कोविंद पता लगायेंगे की देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कैसे कराया जा सकता है, जैसा कि 1967 तक होता था। सूत्रों ने बताया कि उम्मीद है कि पूर्व राष्ट्रपति संविधान और चुनाव विशेषज्ञों से बात करेंगे और अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं से भी सलाह ले सकते हैं। सरकार का यह फैसला 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाने के फैसले के एक दिन बाद आया है, जिसका एजेंडा गुप्त रखा गया है।

2014 में सत्ता में आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव कराने के विचार के प्रबल समर्थक रहे हैं, जिसमें लगभग लगातार चुनाव चक्र के कारण होने वाले वित्तीय बोझ और मतदान अवधि के दौरान विकास कार्यों को झटका लगने का हवाला दिया गया है, जिसमें स्थानीय निकाय भी शामिल हैं।

कोविंद ने भी मोदी के विचार को दोहराया था और 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की सोच पर अपना समर्थन जताया था। उन्होंने 2018 में संसद को संबोधित करते हुए कहा था, “बार-बार चुनाव न केवल मानव संसाधनों पर भारी बोझ डालते हैं बल्कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है।”

पीएम मोदी की तरह, उन्होंने लगातार इस विषय पर बहस की मांग की थी और उम्मीद जताई थी कि सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर आम सहमति पर पहुंचेंगे। मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के अंत के करीब पहुंच रही है। पार्टी के शीर्ष नेताओं की राय है कि वह अब इस मुद्दे को लंबा नहीं खींच सकते हैं और इसपर अब आगे बढ़ने की जरूरत है। उनका मानना है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ भाजपा हमेशा लोकप्रिय समर्थन जुटाने के लिए बड़े विषयों और बड़े-बड़े नारों का सहारा लेती है। यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी पार्टी के लिए अनुकूल होगा और विपक्ष को परेशान करेगा।

नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिनमें मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान शामिल है। इसके बाद 2024 के मई-जून महीने में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। हालांकि, सरकार के हालिया कदमों ने आम चुनावों और कुछ राज्य चुनावों को आगे बढ़ाने की संभावनाओं को बढ़ा दिया है, जो लोकसभा चुनाव के बाद और उसके साथ होने वाले हैं। जिनमें आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। इन राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होने हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ भाजपा के अच्छे संबंध हैं, भले ही वे औपचारिक रूप से इसके गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। अरुणाचल प्रदेश में भी भाजपा सत्ता में है जबकि सिक्किम में सहयोगी दल का शासन है। महाराष्ट्र और हरियाणा, दो राज्य ऐसे हैं जहां भाजपा सहयोगियों के साथ सत्ता में है। झामुमो-कांग्रेस शासित झारखंड में लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव होने वाले हैं।

वहीं केंद्र के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को लेकर चल रही राजनीतिक खींचतान के बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने निशाना साधते हुए कहा है कि विपक्ष के INDIA गठबंधन की ताकत से सत्तारूढ़ सरकार घबराई हुई है। उन्होंने विपक्षी नेताओं से कहा, “हमें इस सरकार के बदले की राजनीति के कारण आने वाले महीनों में और अधिक हमलों, अधिक छापे और गिरफ्तारियों के लिए तैयार रहना चाहिए।”

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