Sunday, April 28, 2024

प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को लिखा पत्र, कॉजलिस्ट से मामले को हटाये जाने पर मांगी सफाई

नई दिल्ली। चर्चित वकील प्रशांत भूषण ने सु्प्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने केंद्र के खिलाफ जजों के तबादले और नियुक्तियों में देरी से जुड़े अवमानना मामले की सुनवाई संबंधी पीआईएल के अचानक कॉज लिस्ट से गायब हो जाने के बारे में सफाई मांगी है।

8 दिसंबर को लिखा गया पत्र सोमवार को सामने आया है जिसमें कहा गया है कि सुनवाई करने वाली बेंच ने केस को 5 दिसंबर को सुने जाने का आदेश दिया था। पत्र में लिखा गया है कि उसको डिलीट किया जाना निहायत ही असामान्य, गंभीर और विशिष्ट है। और किसी भी रूप में उचित नहीं है।

पत्र में लिखा गया है कि डिलीट किए जाने का कारण याचिकाकर्ता को लिखित रूप में दिया जाना चाहिए। इसमें नाकाम होने पर याचिकाकर्ता उचित कानूनी कार्यवाही में जाने के लिए बाध्य होगा।

सुप्रीम कोर्ट के 2013 के रूल नंबर 7 के आर्डर तीन का हवाला देते हुए पत्र कहता है कि रजिस्ट्रार को किसी भी रूप में लिस्टिंग के नियम का पालन करना होगा। और एक ज्यूडिशियल आर्डर द्वारा किसी खास दिन निर्देशित किसी मामले को नियम और प्रक्रिया से तभी विचलित किया सकता है अगर वहां चीफ जस्टिस का कोई विशेष आदेश हो।

5 दिसंबर को जस्टिस संजय किशन कौल उस बेंच की अध्यक्षता कर रहे थे जिसको इस मामले की सुनवाई करनी थी। और उन्होंने पूरी खुली कोर्ट में मामले के डिलीट होने पर अचरज जाहिर किया। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके बार में कुछ भी न बोलना ही अच्छा होता है। इसके जरिये उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि डिलीट करने के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है। वह इस बात को लेकर निश्चिंत थे कि चीफ जस्टिस को इसके बारे में पता है।

जस्टिस कौल की यह टिप्पणी इस मामले में याचिका दायर करने वाले प्रशांत भूषण द्वारा उनका ध्यान इस तरफ दिलाने के बाद आयी।

जस्टिस कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया ने इस मामले में केंद्र को घेर रखा था और वे दोनों चुनिंदा तरीके से कुछ नामों को क्लीयर करने के केंद्र के रवैये को लेकर बेहद खफा थे। जस्टिस कौल इसी महीने रिटायर हो रहे हैं। 

अपने पत्र में भूषण ने लिखा है कि “जजों की नियुक्ति से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया 5 दिसंबर, 2023 को कोर्ट नंबर दो में आइटम नंबर 13.1 के तौर पर दर्ज था जिसे 20 नवंबर के एक ज्यूडिशियल ऑर्डर के तहत रखा गया था। इसको सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 1 दिसंबर, 2023 को 19.09.58 बजे आइटम नंबर 13 के तौर पर लिस्ट किया गया था। उसके बाद कॉज लिस्ट में जो सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध थी आइटम नंबर 13 हटा दिया गया था।”

उन्होंने कहा कि सुनवाई के दिन मामले से संबंधित एडवोकेट ने हमें सूचित किया कि केस को काज लिस्ट से डिलीट कर दिया गया है। हालांकि कोर्ट नंबर दो के बाहर बोर्ड पर प्रकाशित काज लिस्ट में अभी भी आइटम नंबर 13 के तौर पर वह मौजूद है। जबकि इस मसले पर रजिस्ट्री की तरफ से याचिकाकर्ता के वकील के तौर पर मुझे और न ही याचिकाकर्ता के संगठन को इस डिलीट करने की कार्यवाही की कोई सूचना दी गयी है।

जब मामला अपने समय पर कोर्ट के सामने नहीं आया तब मैंने इसका जस्टिस कौल की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने जिक्र किया। जिन्होंने कहा कि उन्होंने इसको डिलीट नहीं किया है। चीफ जस्टिस इसके बारे में जानेंगे। और इससे आगे उन्होंने कहा कि कुछ चीजों के बारे में कुछ न बोलना ही अच्छा होता है। 

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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