ट्रांसफर की धमकी पर हाईकोर्ट के जज ने कहा- मैं एक किसान का बेटा हूं और जमीन जोतने के लिए तैयार हूं

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चीफ जस्टिस एनवी रामना ने हाल ही में अमेरिका में कहा था कि न्यायपालिका किसी दल विशेष के प्रति जवाबदेह नहीं है बल्कि केवल संविधान और संविधान के प्रति ही उसकी जवाबदेही है। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र है, लेकिन देखने में इसके विपरीत आ रहा है। अब चीफ जस्टिस इस पर क्या कहेंगे जो कर्नाटक हाई कोर्ट की भरी अदालत में एक जज ने आरोप लगाया है कि एक दूसरे जज ने उसे ट्रांसफर की धमकी दी है। जज एचपी संदेश का आरोप है कि एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में फटकार लगाने पर हाईकोर्ट के ही एक सीनियर जज ने उनसे कहा कि उनका ट्रांसफर हो सकता है। जस्टिस संदेश ने कहा कि अगर लोगों की भलाई करने के लिए उनका ट्रांसफर भी हो जाता है, तो वे इसके लिए भी तैयार हैं।

बेंगलुरु शहर के सिटी डिप्टी कमिश्नर जे मंजूनाथ के कार्यकाल में एक डिप्टी तहसीलदार पी एस महेश को 5 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। महेश के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी और उनकी जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 30 जून को याचिका पर सुनवाई की गई थी। इस पर महेश ने बयान में कहा था कि उन्हें रिश्वत लेने के लिए मंजूनाथ ने कहा था, लेकिन जस्टिस संदेश की पीठ में कहा गया कि मंजूनाथ का तो एफआईआर में नाम ही नहीं है। तब जस्टिस संदेश ने मामले में सुनवाई करते हुए एसीबी को भ्रष्टाचार का केंद्र और संग्रह केंद्र कहा था। जस्टिस ने ये भी कहा था कि एसीबी  अभी एक दागी एडीजीपी सीमांत कुमार सिंह के नेतृत्व में काम कर रही है। जज की टिप्पणी के बाद डिप्टी कमिश्नर जे मंजूनाथ को सोमवार को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।

जस्टिस संदेश ने खुली अदालत में कहा, मैं लोगों की भलाई के लिए इसके लिए तैयार हूं। आपका एसीबी एडीजीपी (सीमांत कुमार सिंह) एक शक्तिशाली व्यक्ति लगता है। किसी ने मेरे सहयोगी को यह बताया है। मुझे इसके बारे में एक जज द्वारा सूचित किया गया है।ट्रांसफर की धमकी दी जाएगी। आदेश में दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं किसी से नहीं डरता। मैंने जज बनने के बाद कोई संपत्ति जमा नहीं की है। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं पद खो देता हूं। मैं एक किसान का बेटा हूं। मैं जमीन जोतने के लिए तैयार हूं। मैं किसी राजनीतिक दल से नहीं हूं, ना ही मैं किसी राजनीतिक दल की विचारधारा का पालन करता हूं”।

जस्टिस संदेश ने कहा कि मुझे इसके बारे में एक जज ने बताया है कि मुझे ट्रांसफर की धमकी दी जाएगी। लोगों की भलाई के लिए अगर मेरा ट्रांसफर किया जाएगा तो मैं इसके लिए तैयार हूं। एसीबी के वकील ने कोर्ट में कहा कि एक और बेंच ‘बी’ रिपोर्ट पर मामले की सुनवाई कर रही है, तो क्लोजर रिपोर्ट की मांग क्यों की जा रही है। इस पर जस्टिस संदेश ने कहा- आप उन लोगों पर बी-रिपोर्ट दाखिल कर रहे हैं, जो रंगे हाथों पकड़े गए थे। आप मुझे विवरण क्यों नहीं दे रहे हैं, जबकि सूचना बेंच को पहले ही दी जा चुकी है।

साथ ही एसीबी पर टिप्पणी में कहा कि क्या आप जनता या दागी व्यक्तियों की रक्षा कर रहे हैं? काला कोट भ्रष्टाचारियों की सुरक्षा के लिए नहीं है। भ्रष्टाचार एक कैंसर बन गया है। अधिकारी तलाशी वारंट की धमकी देकर जबरन वसूली कर रहे हैं। कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो के एडीजीपी को पहले सभी रिकॉर्ड जमा करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, कोर्ट ने अगली सुनवाई 7 जुलाई को करने के आदेश दिए।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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