सन 1992 के छह दिसंबर को भारत में किसी भी विरासत स्थल पर सबसे बड़ा संगठित हमला हुआ था। यह…
तानाशाही की ओर बढ़ते पैर की शोभा बढ़ाने के लिए लोकतंत्र की ‘पैजनिया’
इस समय भारत की राजनीतिक गतिविधि ‘राम मंदिर के संदर्भ’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ की दो लहरों के बीच…
बिलकिस बानो फैसला: ज्यादा सी राहत, थोड़ी सी आश्वस्ति
बुरी से बुरी होती खबरों, सहमाते, चौंकाते न्यायालयीन फैसलों और न्यायालय के शीर्ष सहित शीर्षस्थ संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों…
थका हुआ टीचर पढ़ाये कैसे?
‘बर्नआउट’ अंग्रेजी का शब्द है पर आज कल इसका सामान्य तौर पर हिंदी में भी उपयोग होने लगा है। इसका…
चंद परिवारों में क्यों सिमटी भारत की राजनीति ?
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल में यह दिलचस्प बात कही कि गुजरे 30 वर्षों में बिहार में सिर्फ साढ़े…
आत्मनिर्भर और खुशहाल भारत की नारेबाजी नहीं, ठोस जन-पक्षधर नीति चाहिए जनाब
हर साल देश का केंद्रीय बजट बड़े गाजे-बाजे के साथ तैयार किया जाता है। हर बार वित्त मंत्री के पास…
2023 में हम थोड़ा और पाकिस्तान हो गए
अभी कुछ दिन पहले सुपर कॉप जूलियस रिवोरो ने एक बातचीत में कहा था कि “हम भगवा पाकिस्तान होते जा…
आभासी यथार्थ के दौर में भारतीय पत्रकारिता
मैं यथार्थ हूं, मुझे पकड़कर, छूकर देखा, महसूस किया जा सकता है लेकिन आईने में नज़र आ रही मेरी छवि…
सत्ता-अधिकार, जनाकांक्षा और जनादेश
भारत में आजादी के स्वरूप के बारे में जानने के लिए धर्म और भक्ति के स्वरूप को जानना दिलचस्प ही…
इंडिया गठबंधन जनता का वोट तो चाहता है लेकिन उसे सोचने का वक्त नहीं देना चाहता
यह लेख मेरे पिछले तीन लेखों– ‘तीसरे मोर्चे की प्रासंगिकता’ (मई 2014 ), ‘लोकसभा चुनाव 2019: विपक्षी एकता के लिए…