चार साल देर के बाद भी भारत की जनगणना क्यों रुकी पड़ी है? 

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भारतीय जनगणना अधिनियम-1948 के तहत हमारे देश में हर दस साल के अंतराल पर राष्ट्रीय जनगणना कराने का प्रावधान है। हर दस साल के अंतराल पर होती रही है। सन् 1951 से 2011 के बीच यह नियमित ढंग से होती रही है। पर 2011 के बाद की जनगणना कोविड-19 के प्रकोप के कारण 2021 में नहीं कराई गई। महामारी के बाद शासकीय स्तर पर बताया गया कि जनगणना का कामकाज 2023 में पूरा करा लिया जायेगा। पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। राष्ट्रीय जनगणना में विलंब किये जाने पर जब विपक्ष और अन्य जन संगठनों की तरफ से आवाजें उठने लगीं तो सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और प्रवक्ताओं ने संसद और संसद के बाहर कई बार कहा कि 2021 की जनगणना 2024 के शुरू में करा ली जायेगी।

2023-2024 के बीच भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय को भी इसके ठोस शासकीय संकेत मिल गये और जनगणना की तैयारी शुरू हो गई। यह भी बताया गया कि जनगणना कार्यालय ने गणना सम्बन्धी आंकड़ों को हासिल करने के लिए नागरिकों से पूछे जाने वाले सवालों की लंबी सूची भी तैयार कर ली है। 2024 बीत गया लेकिन राष्ट्रीय जनगणना का अब तक अता-पता नहीं चला। अब बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जनगणना 2025 में कराई जायेगी। पर मार्च महीना बीतने को है, अभी तक राष्ट्रीय जनगणना की शुरुआत के बारे में कोई भी आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। 

किसी भी देश के लिए जनगणना एक जरूरी कार्रवाई है क्योंकि अद्यतन आंकड़ों के बगैर शासन और समाज के बहुत सारे कामकाज प्रभावित होते हैं। सोचिये, भारत सरकार के पास देश की जनता के बारे में बीते चौदह साल से बहुत सारे अद्यतन आंकड़े ही नहीं हैं। पर सरकार के संचालक इससे बिल्कुल बेफिक्र नजर आ रहे हैं। जनगणना के अलावा भी सरकार कई अन्य क्षेत्रों के आंकड़ों के सार्वजनिक करने से परहेज करती दिख रही है। पिछले दिनों उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के आंकड़ों को सार्वजनिक होने से रोक दिया गया।

मशहूर नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता अंजली भारद्वाज के मुताबिक ‘उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण में पाया गया कि उपभोग की वस्तुओं की खपत में काफी गिरावट आई है। शायद इसी तथ्य को प्रकाश में न आने देने के मकसद से सरकार ने सर्वेक्षण के आंकड़ों को प्रकाशित नहीं होने दिया।’ सोचने की बात है कि किसी एक क्षेत्र के आंकड़ों के न होने से देश, शासन और जनता को कितना नुकसान होता है तो देश की जनगणना के आंकड़ों के न होने से कितना भारी नुकसान होता होगा! 

शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, रोजगार, कृषि, आवास और उद्योग सहित हर क्षेत्र में जो भी शासकीय नीति-निर्धारण हो रहे हैं, वे जनगणना के अद्यतन आंकड़ों के बगैर ही किेये जा रहे हैं। दुनिया के किसी भी जिम्मेदार देश में इतने लंबे समय तक जनगणना को लंबित रखने का यह एक हैरतंगेज रिकार्ड है। इंग्लैंड, चीन और अमेरिका जैसे अनेक देशों ने कोविड के कारण अपनी लंबित जनगणना काफी पहले ही पूरा कर ली।

आस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों ने तो अपनी लंबित जनगणना को कोविड के दौरान भी कराया। कनाडा ने भी आस्ट्रेलिया की तरह 2021 में ही अपनी पिछली जनगणना करा ली थी। दक्षिण अफ्रीका ने अपनी जनगणना 2022 में करा ली। हमारे देश के सत्ताधारी नेता और प्रवक्ता अब कह रहे हैं कि सन् 2025 तक जनगणना का काम पूरा हो जायेगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(NPR) को अपडेट भी किया जायेगा। 

सरकार जनगणना में लगातार विलंब क्यों कर रही है? 

सरकार ने पहले आधिकारिक स्तर पर कहा कि 2021 की जनगणना कोविड-19 के चलते नहीं कराई गई। सवाल उठता है-कोविड के बाद 2022-23 में क्यों नहीं कराई गई? माना जाता है कि सरकार को इस बात का भय था कि कोविड से मरने वाले नागरिकों के वास्तविक आंकड़े घोषित सरकारी आंकड़ों से ज्यादा हैं, ऐसे में जनगणना कराने से सही आकड़े उसके घोषित शासकीय आंकड़ों की पोल खोल देंगे। 

2022-23 के बाद भी सरकार जनगणना के कार्यभार को नजरंदाज करती रही। वह चाहती तो 2023-2024 में बहुत आराम से जनगणना करा सकती थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। ज्यादातर विशेषज्ञों और राजनीतिक टिप्पणीकारों ने माना कि 2023-2024 मे राष्ट्रीय जनगणना न कराने के पीछे मुख्य कारण बन गये हमारे राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनाव! सत्ताधारी दल ने अपने निजी राजनीतिक स्वार्थों के चलते जनगणना से परहेज किया। इस विलम्ब के लिए अन्य कोई भी प्रशासनिक कारण नहीं था।

सत्ताधारी इस बात से भयभीत थे कि मुख्य विपक्षी दल-कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों और समाज के एक बड़े हिस्से की जाति-वार जनगणना की मांग को नजरंदाज करके अगर सरकार पहले के फार्मेट पर जनगणना करायेगी तो सत्ता-पक्ष को चुनावों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। दलित-ओबीसी समुदाय में इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी और उसका असर चुनाव के नतीजों पर पड़ेगा। 2024 में लोकसभा के अलावा आठ राज्यों के भी चुनाव थे। इस तरह सत्ता-पक्ष ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जनगणना को फिर रोकने का मन बना लिया। इसके पहले संसद में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने जनगणना कराने सम्बन्धी आधिकारिक बयान दिया था। इसके बावजूद सरकार ने जनगणना कराने का विचार स्थगित कर दिया। 

इतने विलम्ब के बाद क्या सचमुच 2025 में सरकार राष्ट्रीय जनगणना का कार्यक्रम घोषित करेगी? सरकारी वायदे के बावजूद अब भी संशय बरकरार है। अब तक न कोई आधिकारिक घोषणा हुई है और न ही प्रशासनिक स्तर पर ऐसी कोई तैयारी दिखती है। इसकी वजह है-बिहार विधानसभा का चुनाव। इसे अक्तूबर-नवम्बर, 2025 में संपन्न होना है। शायद भाजपा और सरकार के नेतृत्व को इस वर्ष जनगणना कराना राजनीतिक रूप से उचित नहीं लग रहा है। क्योंकि सत्तापक्ष किसी भी हालत में जातिवार जनगणना नहीं कराना चाहता।

कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दल जाति-आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं। विपक्ष-शासित कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जाति-वार सर्वेक्षण तक करा लिये हैं। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार ने अगर पहले की तरह जाति की गिनती के बगैर सामान्य जनगणना कराने का ऐलान किया तो बिहार सहित कई राज्यों में उसका भारी विरोध हो सकता है। सत्तापक्ष का धार्मिक-पृष्ठभूमि आधारित सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का बार-बार आजमाया हुआ चुनावी फार्मूला बिहार में ध्वस्त हो सकता है। जनगणना के फिर स्थगित होने की संभावना का यह एक बड़ा कारण लगता है। सरकारी असमंजस का ही नतीजा है कि अभी तक सरकारी स्तर पर या जनगणना के राष्ट्रीय आयुक्त के कार्यालय की तरफ से जनगणना के कार्यक्रम की कोई तारीख नहीं घोषित हुई है। 

अगर 2025 में सरकार ने जनगणना कराने का औचक फैसला किया तो वह सिर्फ एक ही सूरत हो सकता है। सत्तापक्ष ने अगर अपने पूर्व-घोषित फैसले को बदलते हुए जनगणना में आबादी की जाति-वार गणना कराने का फैसला कर लिया तो यकीनन जनगणना 2025 में ही कराई जा सकती है।

फिर वह बिहार चुनाव से पहले हो सकती है ताकि सत्तापक्ष को बिहार चुनाव में दलित-ओबीसी समर्थन का फायदा मिल सके। लेकिन जातिवार जनगणना कराने के फैसले का हिंदू उच्च-जातियों में विरोध भी होगा। अतीत में हम अनेक मौकों पर देख चुके हैं कि मौजूदा सत्ता-पक्ष शासकीय जरूरतों के मुकाबले अपने राजनीतिक हितों को सर्वोपरि मानता है। इसलिए जनगणना के मुद्दे पर भी वह अपने राजनीतिक नफा-नुकसान का ठोस आकलन करके कोई फैसला करेगा। 

(उर्मिलेश वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं उनसे urmilesh218@gmail.com मेल पर संपर्क किया जा सकता है।)

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