कुछ लोग तारीख़ बनाते हैं, और कुछ लोग तारीख़ बन जाते हैं। राजीव गांधी उन चंद शख़्सियतों में से थे…
जब बेदी और मंटो में ख़तो-किताबत बंद हो गई
अफ़साना निगार राजिंदर सिंह बेदी का दौर वह हसीन दौर था, जब उर्दू अदब में सआदत हसन मंटो, कृश्न चंदर,…
तिलाड़ी विद्रोह की बरसी पर उत्तराखंड में उठी हक की आवाज
देहरादून। कल 30 मई को तिलाड़ी विद्रोह की याद में प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके तहत जुलूस,…
जयंती पर विशेष: आज अगर विवेकानंद होते तो उन्हें भी हिंदू विरोधी करार दे दिया जाता!
हर देश-काल में ऐसी विभूतियां हुई हैं, जिन्हें बहुत छोटा जीवन मिला, लेकिन छोटे से जीवनकाल में ही उन्होंने अपने…
पुण्यतिथि पर विशेष: भारतीय राजनीति के दधीचि थे सुरेन्द्र मोहन
समाजवादी चिंतक पूर्व सांसद सुरेंद्र मोहन जी से 1984 में दिल्ली पहुंचने के बाद लगातार मुलाकात होती थी। जनता दल…
65 साल बाद भी जीवंत और प्रासंगिक हैं बाबा साहेब
1956 में आज ही के दिन – 6 दिसंबर को – नहीं रहे थे बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ;…
पुण्यतिथि पर विशेष: एक सच्चे अम्बेडकरवादी थे भगवान दास
भगवान दास का जन्म 23 अप्रैल, 1927 को जुतोग छावनी, शिमला (हिमाचल प्रदेश) में रहने वाले एक अछूत परिवार…
पुण्यतिथि पर विशेष: भगत सिंह के दिल में बसते थे करतार सिंह सराभा
‘फांसी पर ही तो चढ़ा दोगे और क्या? हम इससे नहीं डरते!’ उक्त बयान भारत मां के उस सपूत के…
जयंती पर विशेष : व्यवस्था के खिलाफ मुक्तिबोध में दबा बम धूमिल में फट पड़ा!
‘क्या आजादी सिर्फ तीन थके हुए रंगों का नाम है, जिन्हें एक पहिया ढोता है या इसका कोई मतलब होता…
पुण्यतिथि पर विशेष: क्या राजेन्द्र यादव का सही मूल्यांकन होना बाकी है?
आज से करीब 50 साल से भी पहले प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मारियो पूजो की बहुचर्चित किताब” गॉडफादर” आयी थी जो…