इमरजेंसी में आरएसएस ने क्या किया ?

इस साल (2025) में जून में देश ने आपातकाल (इमरजेंसी) लागू किए जाने की 50वीं वर्षगांठ मनाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा…

पढ़ लिख बबुआ कलमिये में जान बा …..

जब हम लोग छोटे थे तो एक कहावत कही जाती थी। “पढ़ोगे, लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे, कूदोगे होगे खराब।“ यानी…

बीजेपी को अपना “दुश्मन” बताकर थलपति विजय ने तमिलनाडु में किया चुनावी शंखनाद 

”हमारी पार्टी कभी भी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी। चाहे सामने हो या पीछे, टीवीके भाजपा के साथ नहीं…

बिहार में भाजपा को हार से बचाने के लिए चुनाव आयोग की नई पैंतरेबाजी!

चुनाव में ईवीएम के दुरुपयोग और वोटर लिस्ट में यकायक वृद्धि होने के मामले अदालत में विचाराधीन हैं ही। चुनाव…

आपातकाल: भ्रम, कुहासा और सच्चाई

वैसे तो आपातकाल 19 महीने रहा और आज उसे बीते 50 साल हो गए हैं लेकिन परवर्ती भारतीय राजनीति के…

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग पर विश्वास का संकट 

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेएसएसएससी) द्वारा रविवार, 29 जून को आयोजित उत्तराखंड सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा – 2025 में मात्र 50.47 प्रतिशत अभ्यर्थी ही परीक्षा केंद्रों तक पहुंचे यानी लगभग  49.53  प्रतिशत या 50,000 से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा में भाग नहीं लिया, जबकि उन्होंने इसके लिए आवेदन अवश्य किया था पिछले वर्ष 2024 में इसी परीक्षा में 47.67 प्रतिशत ही परीक्षार्थी उपस्थित हुए थे,जबकि आवेदकों की कुल संख्या करीब 1.5 लाख थी।इस बार आवेदन संख्या घटी है 1,01,964 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया लेकिन अनुपस्थित रहने वालों  की संख्या अब भी लगभग आधी  बनी हुई है। सरकार और आयोग इसे “बारिश के बावजूद भागीदारी में वृद्धि” कहकर अपनी पीठ खुद ठोक रहे हैं।लेकिन इस सतही संतोष के  पीछे कुछ गहरे और चिंताजनक सवाल छिपे हैं। आखिर,  बेरोजगारी के  इस युग में जब अग्निवीर  योजना के तहत महज़ चार  साल की नौकरी के लिए हजारों युवा दौड़ते-भागते हैं, …

संविधान के प्रिएंबल में ‘सेक्युलर’ शब्द पर ये ‘तूफान’ क्यों? 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के उप-प्रमुख या सर-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले संघ-भाजपा परिवार के पहले नेता नहीं हैं, जिन्होंने भारतीय संविधान…

आखिर फिर आ गयी संविधान परिवर्तन की जबान पर बात

आखिर असलियत एक बार फिर सामने आ ही गयी। आरएसएस के शीर्ष नेताओं में शामिल दत्तात्रेय होसबोले ने एक बार…

आपातकाल: सच साबित हो रही है आडवाणी की आशंका! 

आपातकाल यानी भारतीय लोकतंत्र का पांच दशक पुराना एक स्याह और शर्मनाक अध्याय…..एक दु:स्वप्न…एक मनहूस और त्रासद कालखंड! दस साल…

अनुभवी राहुल दमदार प्रतिपक्ष नेता ही नहीं, सुनहरे कल की बुनियाद हैं!

एक दौर के भाजपा आईटी सेल द्वारा पप्पू नाम से प्रचारित राहुल गांधी ने लगातार झूठ और अपमान जनक सरकार…