एनजीओ का धंधा, कभी न मंदा

अभी तो मंजिल दूर है, दूर है तेरा गांव। तंबू में तू बैठ कर, ले ले थोड़ी छांव।। मगर उम्मीदों…

बरसी पर विशेष: साल पूरा होते-होते टूटने लगा मोदी का मायाजाल

रेलवे प्लेटफार्म पर मृत मां को जगाने की कोशिश कर रहे बच्चे की तस्वीर ने नए भारत के चेहरे से…

कोरोना लॉकडाउन : मजदूर वर्ग के सामने मौजूद कार्यभार

आज जब देश का मजदूर वर्ग-खासकर प्रवासी या सीजनल मजदूर, दिहाड़ी मजदूर, ठेका मजदूर, ठेले खोमचे वाले, छोटे सर्विस दाता…

कर्ज़ों वाले पैकेज़ से नहीं बल्कि सरकारी ख़र्चों से ही बचेगी अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था अलग आकारों वाले चार पहियों की सवारी है। यही पहिये ‘ग्रोथ-इंज़न’ भी कहलाते हैं। इन पहियों पर होने वाला…

कॉरपोरेट को लाभ पहुंचाने के लिए भी ज़रूरी है गरीबों की जेब में कुछ नगदी

एक कहावत है थोथा चना बाजे घना यही स्थिति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान की है। मंगलवार…

देश में अब इतिहास के विषय हो जाएँगे सार्वजनिक क्षेत्र! कॉरपोरेट घरानों के चरने के लिए सरकार ने खोले सभी क्षेत्र

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक पैकेज का पाँचवा और अंतिम खेप जारी करते हुए अंततः स्वीकार कर लिया कि…

मजदूरों की मौत से आत्मनिर्भरता आएगी?

किसी ने ठीक ही कहा है कि कोरोना महामारी में नया कुछ नहीं हो रहा है। बल्कि जो चीजें हो…

अपनी जड़ों से उजड़ कर जिसके सपनों के महल खड़े किए, उसी ने दिखा दिया ठेंगा

रेल की पटरी पर मज़दूरों के क्षत विक्षत शव और फैली हुयी रोटियों ने हमारी व्यवस्था, नीति, नीयत, और संवेदनशीलता…

देश के बहुसंख्य आमजन-मेहनतकशों के लिए ऐसी सरकार, ऐसे राज्य के बने रहने का तर्क (Raison d’être) खत्म हो गया है !

कोरोना की आपदा तो वैश्विक है, लेकिन इससे जिस तरह हमारे देश में निपटा जा रहा है, उसने मजदूरों की…

दिखावे बहुत हो चुके ! अब ज़रूरत है दिल, दिमाग और जवाबदेही से योजना बनाने की: अरुंधति रॉय

भारतीय अभिजात मीडिया और सत्ता-प्रतिष्ठान की बेनाम प्रवासी मजदूरों की  आकस्मिक और हृदय को छू जाने वाली त्रासदी की खोज…