Thursday, April 25, 2024

crisis

विकास नहीं, यह मौत का है रास्ता

वह समाज खूबसूरत होता है जो अपनी कमियों को हंसते हुए स्वीकार करे और उसे ठीक करने के लिए कमर कस ले। यह हरेक इंसान के लिए भी जरूरी है। हर आदमी शीशे में अपना चेहरा देखते हुए थोड़ा...

भारत से बेहतर क्यों है पड़ोसी देशों की अर्थव्यवस्था ?

भारत की अर्थव्यवस्था दिनों दिन गर्त में जा रही है जबकि महामारी भी पूरी तरह से बेलगाम हो चुकी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की पहली तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी 5.2%...

छत्तीसगढ़: किसानों को खाद न देकर खेती से वंचित करना चाहती है सरकार

हर साल की तरह इस साल भी छत्तीसगढ़ की सहकारी सोसाइटियों में यूरिया खाद की कमी हो गई है। गरीब किसान दो-दो दिनों तक भूखे-प्यासे लाइन में खड़े हैं और फिर उन्हें निराश होकर वापस होना पड़ रहा है।...

21 जुलाई से राजधानी में जारी है आशा वर्करों की हड़ताल! किसी ने नहीं ली अभी तक सुध

नई दिल्ली। भजनपुरा की रहने वाली रेनू कहती हैं- हम लोग लॉकडाउन में भी बिना अपने बच्चों और परिवार की चिंता किए गलियों मोहल्लों में कोरोना मरीजों के बीच जा रही थीं। हमारी मांग है कि हमें सरकारी कर्मचारी...

अमर सिंह: मुलायम सिंह के संकट मोचक, जो उनके सबसे बड़े संकट भी थे

इस वक्त मुझे साल-महीना नहीं याद आ रहा है पर वो समाजवादी पार्टी की बुलंदी के दिन थे और पार्टी से भी ज्यादा अमर सिंह की बुलंदी के दिन थे। उन दिनों मैं हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रुप के हिंदी अखबार...

झारखंड में मरनेगा कर्मियों की हड़ताल से मजदूरों के सामने नया संकट

झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के आह्वान पर मनरेगा कर्मियों की 27 जुलाई से अपनी 5 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन राज्यव्यापी हड़ताल जारी है। इसके चलते इस कोरोना काल में मनरेगा मजदूरों की कठिनाइयां बढ़ गई हैं। आप...

‘सेव मिडिल क्लास’ कैंपेन और कोविड-19 क्राइसिस में ईएमआई वर्ग का स्यापा

भारत का नौकरीपेशा मध्यवर्ग दक्षिणपंथी कट्टरवाद का कोर-सपोर्टर रहा है। सरकार ने एक तरह से हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की नाल साफ करने का जिम्मा इसी वर्ग के हवाले कर रखा था। सोशल मीडिया से लेकर कॉलोनियों तक इस वर्ग...

कोरोना संकट: दुनिया के आईने में भारत

दुनिया भर में कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत चौथे नम्बर पर है। भारत में 21 जून तक कुल संक्रमितों की संख्या 4,25,282 थी। इसमें स्वस्थ होकर अस्पताल से छुट्टी पा चुके रोगियों की संख्या 55.76% जबकि...

देश के बहुसंख्य आमजन-मेहनतकशों के लिए ऐसी सरकार, ऐसे राज्य के बने रहने का तर्क (Raison d’être) खत्म हो गया है !

कोरोना की आपदा तो वैश्विक है, लेकिन इससे जिस तरह हमारे देश में निपटा जा रहा है, उसने मजदूरों की जिस दिल दहला देने वाली अकल्पनीय यातना को जन्म दिया है, उसका पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं है। आने...

महाराष्ट्र में संकट टला लेकिन सवाल अब भी शेष हैं!

भारत के संविधान में चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया है, लेकिन उसकी कार्यप्रणाली पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। 1990 के दशक में टीएन शेषन और इस सदी के प्रारंभ में जेएम लिंगदोह...

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स्वागत न्यू इंडिया: जहां अम्बेडकर की रचनाओं का सार्वजनिक अध्ययन ‘अशांति फैला सकता है’

किस तरह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय को डॉ अम्बेडकर को अपमाानित करने दिया जा रहा है और चौतरफा खामोशी का...