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संस्कृति-समाज

संस्कृति, संगीत, नृत्य, कला और खेल की सीमाएं नहीं होतीं

“संस्कृति, संगीत, नृत्य, खेल, कला की सीमाएं नहीं होती हैं। आंखों को वीजा की जरूरत नहीं होती। सपनों की सरहद नहीं होती। बंद आंखों से [more…]

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बीच बहस

कौन चाहता है टीचर बनना!

सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य इस कदर बदलते जा रहे हैं कि कभी देवता और गुरु जी कह कर पूजे जाने वाले शिक्षक खिसकते-खिसकते अब सामाजिक [more…]

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बीच बहस

आज़ादी, उपलब्धियां और जनसंघर्ष

स्वतंत्रता प्राप्ति की एक और वर्षगांठ बीत चुकी है। आजादी कैसे प्राप्त हुई? 75 साल में किसी ने क्या पाया, क्या खोया? देशवासी भी खुश [more…]

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बीच बहस

ध्रुवीकरण की राजनीति और साझी विरासत पर हमले

भारत की सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत की समृद्धि उसकी विविधता में निहित है। अनेक कवियों और लेखकों ने बताया है कि किस प्रकार दुनिया के [more…]

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बीच बहस

लोकतंत्र को खत्म करना चाहती हैं सांप्रदायिक ताकतें,हमें प्रतिरोध की ताकतों को करना होगा एकजुट: राम पुनियानी

फाजिल नगर (देवरिया)। देश की मौजूदा राजनीतिक व सामाजिक परिस्थितियों में सबसे बड़ा सवाल अपने लोकतांत्रिक संस्थाओं को बचाने का है। हिंदुत्व के नाम पर [more…]

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बीच बहस

उत्तर और दक्षिण के बीच पुराना है सांस्कृतिक रिश्ता

यह एक विडंबना है कि हिंदी पट्टी के लोग भारत की संस्कृति और भाषा का दायरा बस उतना ही मानते हैं जहां तक उन भाषाओं [more…]

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राजनीति

भारतीय न्यायपालिका की सामंती संस्कृति के क्या मायने हैं मी लार्ड!

भारत की वर्तमान न्यायिक प्रणाली की उत्पत्ति का स्रोत एक प्रकार से न्यायपालिका की औपनिवेशिक प्रणाली में देखा जा सकता है जो कमोबेश स्वामी-सेवक के [more…]

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ज़रूरी ख़बर

गोवर्धन पूजा: निरंकुश सत्ता-व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह का पर्व

गोवर्धन पूजा यानी उत्तर भारत में पशुपालकों का बड़ा पर्व। यह पर्व भारतीय संस्कृति में स्थापित मान्यताओं के प्रति उस पहले विद्रोह का प्रतीक भी [more…]

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ज़रूरी ख़बर

विघटन और विखंडन में विश्वास करने वाले नहीं समझ सकते हैं गंगा-जमुनी तहजीब

विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव मिलिन्द परांडे ने हाल (सितम्बर, 2021, ‘दि टाइम्स ऑफ इंडिया’) में कहा कि गंगा-जमुनी तहजीब (जिसे भारत में हिन्दू और [more…]

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बीच बहस

उनके तालिबान तालिबान हमारे वाले संत !

अपने 20 साल के नाजायज और सर्वनाशी कब्जे के दौरान अफ़ग़ानिस्तान से लोकतान्त्रिक संगठनों, आंदोलनों और समझदार व्यक्तियों का पूरी तरह सफाया करने के बाद [more…]