क़ानून, डर और आपातकाल: न्यायिक समर्पण का दस्तावेज

भारत के इतिहास में 25 जून 1975 की रात निर्णायक रात थी। इसी रात देश में आपातकाल घोषित किया गया।…

इंदिरा की घोषित इमरजेंसी बनाम मोदी की अघोषित इमरजेंसी- एक ज़रूरी तुलना

भारत के लोकतंत्र में इमरजेंसी एक ऐसा शब्द है, जो आज भी डर और चिंता पैदा करता है। 1975 में…

बूढ़े लोकतंत्र में युवा आंदोलन का स्मरण

(वरिष्ठ पत्रकार अम्बरीश कुमार और अरुण कुमार त्रिपाठी ने मिलकर 1974 के जेपी आंदोलन पर एक किताब संपादित की है।…

राहुल के सामने कांग्रेस को ‘फिदायीन हमलावरों’ से बचाने की गंभीर चुनौती!

कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने पिछले महीने गुजरात में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा…

स्वाधीन लोकतंत्र में लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक निरंकुशता का निर्णायक  दौर 

संस्कृति के लाक्षागृह में प्रवेश कर चुके लोकतंत्र के बचाव लिए जन-गंगा तक पहुंचने के लिए कोई तो सुरंग होनी…

जब भी मुंह खोले झूठ पर झूठ ही बोले

जिन्होंने खुद आडवाणी को अपने रास्ते से हटाकर, एक तरह से उन्हें कारावासी मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया, वे आज…

गहरे संकट काल में कॉमरेड येचुरी का जाना

अपरान्ह जैसे ही कामरेड सीताराम येचुरी के अवसान की ख़बर आई तमाम वामपंथी संगठनों में ख़ामोशी छा गई। वे एक…

बाबरी मस्जिद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय नहीं किया: एजी नूरानी

(जाने-माने विधिवेत्ता, लेखक, पत्रकार और स्तंभकार एजी नूरानी का निधन हो गया है। वह 93 साल के थे। इसके साथ…

आपातकाल: घोषित बनाम अघोषित

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तरह-तरह के विवादों के घेरे में रहे हैं। हाल में लोकसभा अध्यक्ष बतौर अपने दूसरे कार्यकाल…

देवरस का इमरजेंसी पत्र-2: जेपी आंदोलन से नहीं है संघ का कोई रिश्ता

नई दिल्ली। आरएसएस के तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहेब देवरस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दूसरा पत्र भी यरवदा जेल से…