Friday, April 19, 2024

film

तानाशाही की रात, कोहरे की क़ैद और अलां रेने

तानाशाह किस हद तक बर्बर, अमानवीय और हिंसक हो सकते हैं इसके दो बड़े उदाहरण अतीत से उठाकर हम हमेशा इस्तेमाल करते रहे हैं उनमें से एक है ‘हिरोशिमा’ और दूसरा ‘आउशवित्स’ (नाज़ी यातना शिविर)। इस साल आउशवित्स यातना...

ख्वाजा अहमद अब्बास : समाजवाद जिनके जीने का सहारा था

ख्वाजा अहमद अब्बास मुल्क के उन गिने चुने लेखकों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने लेखन से पूरी दुनिया को मुहब्बत, अमन और इंसानियत का पैगाम दिया। अब्बास ने न सिर्फ फिल्मों, बल्कि पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में भी...

जब मंच पर लगे ताले, तो ये कर रहे हैं थियेटर वाले

थियेटर और फिल्मों के अभिनेता-लेखक-कवि दोस्त अमितोष नागपाल की फेसबुक वॉल पर कुछ रंगकर्मियों की तरफ़ से एक कवितानुमा मार्मिक अपील है। ये युवा रंगकर्मी इस मुश्किल वक़्त में दर्शकों के प्यार को याद करते हैं और उनकी ज़िन्दगियों...

मजरूह सुल्तानपुरी की पुण्यतिथि: मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर…

’‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर/ लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया’’ उर्दू अदब में ऐसे बहुत कम शेर हैं, जो शायर की पहचान बन गए और आज भी सियासी, समाजी महफिलों और तमाम ऐसी बैठकों...

पुण्यतिथि पर विशेष: विजय तेंदुलकर, भारतीय रंगमंच में यथार्थवाद का चितेरा

भारतीय रंगमंच को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने वाले विजय तेंदुलकर, देश के महान नाटककारों में से एक थे। वे एक होनहार नाटककार थे, जिन्होंने अपने नाटकों में जोखिम उठाकर हमेशा नये विचारों को तरजीह दी। रंगमंच में...

पुण्यतिथि पर विशेष: नौशाद, जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और मौजूद थी जिंदगी की शक्ल

नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। अपने नाम के ही मुताबिक नौशाद का संगीत सुनकर, उनके चाहने वालों को एक अजीब सी खुशी, मसर्रत मिलती है।...

इरफ़ान = अक्ल, इल्म और शुक्रगुज़ारी

"ओह, वह चला गया? अलविदा कहे बिना, वह ऐसा कैसे कर सकता था? उसने इंतजार किया होगा ” वेटिंग फॉर गोडॉट (नाटक) इरफान जिस सादगी और गौरव के साथ जीया उसी के साथ चला भी गया।  एक दिन घर लौटने पर...

बलराज साहनी: सिनेमा-संस्कृति और लोकाचार के अमिट हस्ताक्षर

बलराज साहनी होना या बनना सबके बूते की बात नहीं और शायद इसीलिए उन  सरीखी शख्सियत जिसे दुनिया कहते हैं, एक ही हुई! जिसका जन्म 1 मई 1913 को हुआ। यानी समूची दुनिया में मनाए जाते मजदूर दिवस के...

सुतपा सिकदर का ख़त इरफ़ान के चाहने वालों के नाम

इरफ़ान की विरासत इरफ़ान के जाने को अगर पूरी दुनिया अपने व्यक्तिगत नुकसान के तौर पर देख रही हैं तो मैं उसके बारे में उसके परिवार के तौर पर कोई बयान कैसे लिख सकती हूं।  जब लाखों लोग इस घड़ी में...

इरफान : अदाकरी की इब्तिदा और इंतिहा

मशहूर-ओ-मारूफ, ‘मकबूल’ अदाकार इरफान के अचानक इंतिकाल से ना सिर्फ बॉलीवुड-हॉलीवुड में उनके साथ काम करने वाले सह कलाकार, निर्देशक और टेक्नीशियन ग़मगीन हैं, बल्कि दुनिया भर में उनकी अदाकारी के चाहने वाले भी गम और मायूसी से डूबे...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।