बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में अनेक महापुरुषों ने राष्ट्रीय परिदृश्य पर अपने बहुआयामी व्यक्तित्व और कालजयी कृतित्व की छाप छोड़ी।…
शहादत सप्ताह: सांप्रदायिकता को राष्ट्र का सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे गणेश शंकर विद्यार्थी
अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी सिर्फ महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं थे, बल्कि हिन्दी पत्रकारिता के शिखर पुरुष भी…
‘समयांतर’ में अटकी है हिंदी की राजनीतिक और वैचारिक पत्रकारिता की जान: असद जै़दी
हिन्दी के वरिष्ठ कवि, गद्यकार और विचारक असद ज़ैदी ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता में बतौर संपादक पंकज बिष्ट से…
दिल्ली चुनाव में बेघरों का मुद्दा क्यों नहीं
जनवरी जाने को है। देश भर में बारिश के बाद ठंड वापस अपनी रंगत पर है। जमीन गीली, आसमान गीला,…
माहेश्वरी का मत: मीडिया का नया दौर और हिंदी पत्रकारिता
राजकिशोर की तरह के एक स्वातन्त्र्य चेता और पत्रकारिता के जगत में अपने एक अलग ही छंद के रचयिता पत्रकार…
चुभने लगी है फ़ीस की सूई छात्रों को, अब IIMC के पत्रकारों ने किया आंदोलन
भारतीय जनसंचार संस्थान के छात्र फ़ीस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं। उनका मांग पत्र मुझ तक भी पहुंचा है,…
माहेश्वरी का मत: भारतीय मीडिया की अलग परिघटना हैं रवीश कुमार
रवीश कुमार के भाषणों को सुनना अच्छा लगता है । इसलिये नहीं कि वे विद्वतापूर्ण होते हैं ; सामाजिक-राजनीतिक यथार्थ…
भारत को बचाना है, न्यूज़ चैनलों को भगाना है; बंद करो टीवी, बंद करो
गुजरात के लाखों युवाओं को बधाई। आखिर उन्होंने सरकार को मानने के लिए बाध्य कर दिया। अब 12 वीं की…
मेनस्ट्रीम मीडिया से आखिर क्यों गायब है रवीश के मैग्सेसे की ख़बर?
वैसे तो विनोबा भावे (1958) से लेकर अमिताभ चौधरी (1961), वर्गीज कुरियन (1963), जयप्रकाश नारायण (1965), सत्यजीत राय (1967), गौर…
रवीश कुमार को रैमन मैगसेसे तपती दोपहर में ठंडी हवा का एक झोंका है
भारत में करीब हर साल किसी न किसी को रैमन मैगसेसे मिलता है। तमाम तारीफें होती हैं। तमाम आलोचनाएं होती…