Friday, March 29, 2024

journalism

माहेश्वरी का मत: भारतीय मीडिया की अलग परिघटना हैं रवीश कुमार

रवीश कुमार के भाषणों को सुनना अच्छा लगता है । इसलिये नहीं कि वे विद्वतापूर्ण होते हैं ; सामाजिक-राजनीतिक यथार्थ के चमत्कृत करने वाले नये सुत्रीकरणों की झलक देते हैं । विद्वानों के शोधपूर्ण भाषण तो श्रोता को भाषा के एक अलग...

भारत को बचाना है, न्यूज़ चैनलों को भगाना है; बंद करो टीवी, बंद करो

गुजरात के लाखों युवाओं को बधाई। आखिर उन्होंने सरकार को मानने के लिए बाध्य कर दिया। अब 12 वीं की योग्यता वाले भी इम्तहान दे सकेंगे। परीक्षा की तारीख़ भी आ गई है। 17 नवंबर को परीक्षा होगी। छात्रों इसी बहाने आपसे अपील है। न्यूज़ चैनल...

मेनस्ट्रीम मीडिया से आखिर क्यों गायब है रवीश के मैग्सेसे की ख़बर?

वैसे तो विनोबा भावे (1958) से लेकर अमिताभ चौधरी (1961), वर्गीज कुरियन (1963), जयप्रकाश नारायण (1965), सत्यजीत राय (1967), गौर किशोर घोष (1981), चंडी प्रसाद भट्ट (1982), अरुण शौरी (1982), किरण बेदी (1994), महाश्वेता देवी (1997), राजेन्द्र सिंह (2001), संदीप...

रवीश कुमार को रैमन मैगसेसे तपती दोपहर में ठंडी हवा का एक झोंका है

भारत में करीब हर साल किसी न किसी को रैमन मैगसेसे मिलता है। तमाम तारीफें होती हैं। तमाम आलोचनाएं होती हैं। इस बीच रवीश कुमार को भी रैमन मैगसेसे पुरस्कार मिल गया। स्वाभाविक है कि किसी भी व्यक्ति को...

“अगर आप लोगों की आवाज बन सकते हैं तो ही आप पत्रकार हैं”

(रवीश कुमार को रेमन मैगसेसे पुरस्कार देने के साथ संस्था द्वारा दिया गया ये Citation न केवल रवीश कुमार की पत्रकारिता, बल्कि पिछले 6 सालों में हिंदुस्तान के हालात पर भी टिप्पणी है। संस्था की वेबसाइट पर मूल रूप में अंग्रेजी में दिए गए...

रवीश ने कहा लोगों को शुक्रिया, लाइव चैट में दिया श्रोताओं के सवालों का जवाब

(मैगसेसे अवॉर्ड पाने पर देश-दुनिया के कोने-कोने से मिल रही बधाइयों के लिए वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने लोगों को धन्यवाद दिया है। एक लाइव चैट में उन्होंने इस पुरस्कार का श्रेय आम लोगों और अपने समर्थकों को दिया...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...