Tag: mahatma gandhi

  • मशीन और पूंजी के नहीं श्रम के पक्षधर थे गांधी

    मशीन और पूंजी के नहीं श्रम के पक्षधर थे गांधी

    अहिंसा महात्मा को सिर्फ बीती सदी तक ही सीमित करना, उनके साथ न्याय करना नहीं होगा। यह सही है, उनका कर्म रंग मंच 19वीं और 20वीं सदी रही हैं। लेकिन वे किसी राष्ट्र या भूभाग या नस्ल के बारे में तो स्वयं को सीमित नहीं रखते हैं। उनकी प्रासंगिकता कल-आज-कल के फलक पर समानरूप से…

  • गांधी:भारतीय समाज की स्पष्ट समझ और परख

    गांधी:भारतीय समाज की स्पष्ट समझ और परख

    यदि मैं मार्क्सवादी भाषा में कहूं तो उस समय का मुख्य अंतर्विरोध था साम्राज़्यवाद और उसकी दासता से आज़ादी उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के मध्य तक यह अंतर्विरोध प्रमुख बना रहा। गांधी जी अपनी दृष्टि, आस्था और सिद्धांत से मार्गदर्शित होकर इस मुख्य अंतर्विरोध का समाधान करना चाहते थे, और वो भी अहिंसा के माध्यम…

  • परिवर्तनशील, प्रयोगधर्मी व निरंतरता के गांधी

    परिवर्तनशील, प्रयोगधर्मी व निरंतरता के गांधी

    जब यह फ्रेम गांधी जी के लिए है ही नहीं तब क्यों उनकी प्रासंगिकता पर चिंतन किया जाए। ऐसा चिंतन फिजूल की क़वायद ही होगी।यह सही है, कोई भी नायक-महानायक अपने, चिंतन, विचारधारा और क्रिया में समय-समाज सापेक्ष होते हैं। इन्हें भौतिक विकास अवस्था के संदर्भों से काट कर नहीं देखा जा सकता। यदि ऐसा किया…

  • आज और कल के दौर में गांधी

    आज और कल के दौर में गांधी

    सर्व प्रथम यह सपष्ट कर दूं, मैं गांधीवादी या गांधी अनुयाई नहीं हूं। पचास साल पहले जब थोड़ी बहुत राजनीतिक या विचारधारात्मक चेतना मुझमें आयी थी तब मैंने महात्मा गांधी के विचारों और कार्यशैली की आलोचना की थी। तब मैंने समझा था कि गांधी जी पूंजीवाद के एक ईमानदार पक्षधर या नेता हैं। मार्क्सवादी नेता…

  • गांधीमार्ग से संभव है वैश्विक समस्याओं का समाधान : राधा बहन भट्ट

    गांधीमार्ग से संभव है वैश्विक समस्याओं का समाधान : राधा बहन भट्ट

    बा-बापू की 150 वीं जयंती वर्ष पर देश-विदेश में विभिन्न कार्यक्रम चल रहे हैं। इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज और आकाशवाणी के संयुक्त तत्वाधान में “महात्मा गांधी का जीवन दर्शन और युवा” विषय पर एक राष्ट्रीय गोष्ठी आयोजित की गई। दिल्ली के राजधानी कॉलेज में आकाशवाणी के कलाकारों ने गांधी के प्रिय…

  • शराब से तन-मन हो रहा खोखला

    शराब से तन-मन हो रहा खोखला

    भारत ही नहीं समूचे विश्व में शराब और नशे की लत बढ़ती जा रही है। शराब और दूसरे नशा न सिर्फ स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है बल्कि देश और समाज के लिए भी हर तरीके से नुकसानदेह हैं। शराब और नशा का क्या दुष्परिणाम होता है यह हम पंजाब को देख कर समझ सकते हैं।…