Saturday, March 25, 2023

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नव-उदारवाद ने भारत को बनाया या बिगाड़ा?

नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के जो परिणाम आज हम देख रहे हैं, उसके लिए सिर्फ मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराना इंसाफ नहीं होगा। बल्कि इसकी जिम्मेदारी उन तमाम सरकारों पर आएगी, जिन्होंने पिछले तीन दशक में इन नीतियों पर...

समसामयिक संदर्भ में भगत सिंह

भगत सिंह को भारत के सभी विचारों वाले लोग बहुत श्रद्धा और सम्मान से याद करते हैं। वे उन्हें देश पर कुर्बान होने वाले एक जज्बाती हीरो और उनके बलिदान को याद करके उनके आगे विनत होते हैं। वे...

भारत को लूट का शिकार बनाकर हिंदुत्व आधारित राष्ट्र बनाने की साजिश रच रही है मोदी सरकार: सीताराम येचुरी

भोपाल। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 16वें मध्यप्रदेश राज्य सम्मेलन का उद्घाटन भोपाल में पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने किया। उन्होंने अपने भाषण में देश और दुनिया की मौजूदा स्थितियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा...

मध्यवर्गीय संघर्ष और विषमताओं की ताकत का आख्यान

गजानन माधव मुक्तिबोध उन गिने चुने कवियों में थे जिन्होंने विज्ञान और फैंटेसी के आधुनिक तथा कलात्मक बिंब और भाव कविता में लिए। उनकी एक कविता 'मुझे मालूम नहीं' में मनुष्य की उस असहायता का चित्रण है जिसमें वह...

विलास सोनवानेः समता और स्वतंत्रता के योद्धा

विलास भाई नहीं रहे। विलास भाई यानी विलास सोनवाने। वे 69 वर्ष के थे। उनसे पहली बार सन 2001 में मिला था और आखिरी मुलाकात तकरीबन छह साल पहले पानीपत में सर्वोदयी कार्यकर्ता राम मोहन राय की ओर से...

पीएम मोदी के नाम एक पूर्व माओवादी के बेटे का खत

भाकपा (माओवादी) के केन्द्रीय कमेटी सदस्य प्रमोद मिश्रा के पुत्र सुचित मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 27 जुलाई, 2021 को एक खुला खत लिखा है, जिसे 28 जुलाई को रजिस्टर्ड डाक से भी उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा है। मालूम...

मरघट पर पहुंचा भारतीय लोकतंत्र

आजादी मिलने के बाद से हम लोकतंत्र और संसदीय राजनीति के जरिये जिस मुकाम पर आज पहुंचे हैं, उसमें 140 करोड़ भारतीयों की पहचान आज एक भारतीय नागरिक की करीब-करीब खत्म हो चुकी है। असल में जो खुद को आज...

वर्ग और जाति के बीच की केमेस्ट्री

वीरेन्द्र यादव की फेसबुक वॉल पर जाति और वर्ग के बारे में डा. लोहिया के विचार के एक उद्धरण* के संदर्भ में : जाति हो या वर्ग, दोनों ही सामाजिक संरचना की प्रतीकात्मक श्रेणियाँ (Symbolic categories) हैं। भले कभी...

उपन्यास, आलोचना और वीरेंद्र यादव का समाज-बोध

मार्क्सवादी साहित्यालोचक वीरेंद्र यादव के कुछ लेख और टिप्पणियां मैंने पढ़ी थीं। पर उनकी आलोचनात्मक पुस्तक पढ़ने का पहला मौका हाल के दिनों में मिला। यह पुस्तक है-उपन्यास और वर्चस्व की सत्ता।* 2017 में पुस्तक का दूसरा संस्करण प्रकाशित...

रूसी जमीन पर क्रांति के नायक लेनिन से एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी की मुलाकात

भारत के स्वाधीनता संग्राम पर मार्क्सवादी विचारधारा का व्यापक प्रभाव पड़ा है। 1857 के प्रथम स्वाधीनता पर कार्ल मार्क्स ने भी एक किताब लिखी है और उस संघर्ष को उपनिवेशवाद के विरुद्ध एक प्रतिरोध कहा है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम...

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क्या है रिश्ता अडानी-नरेंद्र मोदी के बीच, यह पूछना ही  सबसे बड़ा ‘गुनाह’ बना: राहुल गांधी 

संसद की सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने और भी ज्यादा आक्रामक तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र...